Burqa Row: मुरादाबाद के हिंदू कालेज में बुर्का पहनकर आने पर प्रवेश से रोका, छात्राओं ने कहा- नहीं मानेंगे ड्रेस कोड
College Denied Students Entry In Burqas: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित हिंदू कॉलेज के एक दर्जन से अधिक बुर्का पहनी छात्राओं को बुधवार को कॉलेज परिसर में प्रवेश से रोक दिया गया। उनसे कहा गया कि जब तक वे बुर्का नहीं उतारेंगी, तब तक उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जाएगा। छात्राओं ने करीब 40 मिनट तक मुख्य द्वार के बाहर धरना दिया। बाद में वे जब बुर्का उतार दीं तब उन्हें अंदर आने दिया गया। रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से संबद्ध हिंदू कालेज की स्थापना 1911 में हुई थी और यह पश्चिमी यूपी का सबसे पुराना और नामी संस्थान है।
कालेज ने पहली जनवरी से ड्रेस कोड लागू कर दिया है
हिंदू कॉलेज के मुख्य प्रॉक्टर एपी सिंह ने कहा, “कॉलेज ने इस साल पहली जनवरी से एक सख्त ड्रेस कोड लागू किया है और प्रत्येक छात्र को इसके बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया है। हमने फैसला किया है कि कॉलेज की वर्दी नहीं पहनने वाले छात्राओं में से किसी को भी परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
छात्राओं का विरोध-प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा
सिंह ने कहा, "नए ड्रेस कोड के मुताबिक कैंपस में बुर्के की इजाजत नहीं है। हमने एक विशेष चेंजिंग रूम की व्यवस्था की है, जहां बुर्का पहनने वाले इसे उतार सकते हैं और उचित वर्दी में कॉलेज जा सकते हैं और जब वे मुख्य द्वार से बाहर आते हैं, तो वे फिर से वही पहन सकते हैं।" छात्राओं का विरोध बुधवार को भी जारी रहा। प्रोफेसर शालिनी राय और कॉलेज के अन्य शिक्षकों ने उन्हें नए ड्रेस कोड का पालन करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानीं।
समाजवादी पार्टी ने कहा- यह विशेष समुदाय को परेशान करने की चाल है
प्रदर्शनकारियों में बाद में समाजवादी पार्टी की युवा शाखा के कार्यकर्ता भी शामिल हो गए, जिन्होंने कहा कि इन छात्रों को प्रवेश से वंचित करने से उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होगी। समाजवादी पार्टी की मुरादाबाद युवा शाखा के प्रमुख असलम चौधरी ने कहा, “नया ड्रेस कोड आश्चर्यजनक है और एक विशेष समुदाय से संबंधित लोगों को परेशान करने के लिए एक छिपे हुए राजनीतिक मकसद की बू भी आ रही है। जब सिखों को कृपाण के साथ पगड़ी पहनकर किसी भी कॉलेज में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है, तो फिर वस्त्र नियम केवल मुस्लिम महिलाओं को प्रतिबंधित करने के लिए क्यों हैं? हम इस कदम के खिलाफ आंदोलन जारी रखेंगे।”
चीफ प्रॉक्टर सिंह ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन का फैसला सभी पर लागू होता है। “किसी को भी उनके धर्म की परवाह किए बिना उचित वर्दी पहने बिना परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर छात्राओं के पास ड्रेस कोड के अलावा अन्य मुद्दे हैं तो हम प्राथमिकता के आधार पर समाधान के लिए तैयार हैं। ड्रेस कोड 1 जनवरी को लागू किया गया था और 14 जनवरी से सख्ती से लागू किया जा रहा है।"
विरोध करने वाले छात्रों में से अधिकतर गुरुवार को कॉलेज से दूर रहे। उन्होंने कहा कि वे ड्रेस कोड का विरोध करेंगे। एक छात्र ने कहा, "हम एक या दो दिन में अपने भविष्य की रणनीति तय करेंगे।"