अरबाज और उस्मान के एनकाउंटर के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती को याद आया कानपुर के बिकरू का विकास दुबे
प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस की कार्रवाई से बसपा सुप्रीमो मायावती बेहद गुस्से में हैं। उनका सवाल है कि अतीक अहमद और उनके परिजनों के खिलाफ कहीं योगी की पुलिस कानपुर के बिकरू में रहने वाले विकास दुबे जैसा सलूक तो नहीं करने जा रही है। विकास दुबे आठ पुलिसकर्मियों की घात लगाकर हत्या किए जाने के मामले में मुख्य अभियुक्त था। जुलाई 2020 में मध्यप्रदेश से कानपुर लाते वक्त रास्ते में उसे यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया था। पुलिस का कहना था कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे फरार होने की फिराक में था।
मायावती ने एक के बाद एक करके दो ट्वीट्स में कहा कि जनता में कानून के राज को लेकर व्यापक संदेह पैदा हो गया है। पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार अपराधियों को सड़क पर खत्म करने का तरीका अपनाएगी। मायावती ने उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस की कार्रवाई पर गम्भीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद अब तक की गई पुलिस कार्रवाई जो जनता के सामने आई है, उससे लोगों के बीच प्रदेश में कानून के राज के प्रति भारी संदेह है। क्या सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए दूसरा विकास दुबे कांड करेगी।
अतीक के परिजनों ने भी जताई फर्जी एनकाउंटर की आशंका
प्रयागराज में पिछले महीने हुए उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों के हत्याकांड के मामले में प्रमुख अभियुक्त पूर्व सांसद अतीक अहमद के परिजनों ने फर्जी मुठभेड़ में हत्या किए जाने की आशंका जाहिर की है। मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि वैसे पुराने राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या को लेकर सरकार कानून व्यवस्था के मामले में काफी तनाव व दबाव में है। पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार कानून द्वारा कानून के राज पर अमल करेगी या अपराधियों को सड़क पर समाप्त करके अपराध रोकेगी?
गौरतलब है कि गत 24 फरवरी को प्रयागराज में एक दुस्साहसिक वारदात में हथियारबंद बदमाशों ने पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले में शामिल बताये जा रहे अरबाज और विजय चौधरी 27 फरवरी और छह मार्च को पुलिस के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।