सुधीश पचौरी का कॉलम बाखबर: कलियुग में त्रेता की झांकी, न विपक्षी INDIA ने रोका, न जनता ने रोका, रोका तो राम ने रोका!
भाजपा और एनडीए धन्य कि एक बार फिर वही राष्ट्रपति भवन का परिसर! मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए तीसरी शपथ! देर तक करतल ध्वनि! सभी महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों के लिए भाजपा मंत्रियों की शपथ! एनडीए के सभी इकहत्तर मंत्रियों की शपथ! पाक को छोड़ बाकी सभी पड़ोसी देशों के प्रमुख और अंबानी, शाहरुख, रजनीकांत समेत नौ हजार ‘वीआइपी’ की उपस्थिति। और विपक्ष से कांग्रेस के अध्यक्ष खरगे की एकमात्र उपस्थिति।
विपक्ष के कटाक्ष कि यह है ‘लंगड़ी सरकार’, कि यह है ‘बैसााखियों की सरकार’, कि यह है ‘गैरकानूनी सरकार’ कि ‘जल्दी ही मध्यावधि चुनाव की संभावना’। और एक मुख्यमंत्री का कोपभवन में बत्ती बुझाकर शोकमग्न रहना।
शपथ के बाद विदेशी नेताओं की बधाई! पाक की भी आई ‘बधाई
इसी के साथ जारी रहा विपक्ष का ‘एनडीए’ के सहयोगियों पर तंज कि सहयोगियों को मिला ‘झुनझुना’, ‘लालीपाप’। शपथ के बाद विदेशी नेताओं की बधाई! पाक की भी ‘बधाई’, लेकिन एकाध को छोड़, बाकी विपक्ष से बधाई नहीं। पाक की ‘बधाई’ के साथ आए जम्मू में लगातार चार दिन आतंकी हमले। एक दिन तीर्थयात्री बस पर गोलियां, फिर खाई में गिरी बस पर कूद कर आतंकियों का दो बरस के एक बच्चे को गोलियों से भूनना। फिर एक दिन कठुआ में आतंकी हमला और एक दिन डोडा में आतंकी हमला।इस पर भी विपक्ष की लाइन कि इस सबके लिए सरकार की नीति ही जिम्मेदार, पाकिस्तान से संवाद के बिना कोई हल नहीं। एक विशेषज्ञ ने पूछा कि जब संवाद किया तब भी क्या आतंकी हमले रुके?
कोचिंग सेंटर वाले छात्रों के प्रवक्ता बन कर चैनलों में छाए रहे
एक एंकर लाइन देता रहा कि अमेरिका में पाक से क्रिकेट मैच बंद करो, सैनिक कार्रवाई करो, तभी पाक काबू में आएगा। इसके साथ ही आई ‘नीट परीक्षा’ में धांधली की खबर! परीक्षार्थियों का रोष प्रदर्शन! माता-पिता का करुण क्रंदन कि कैसे-कैसे अपने बच्चों को पढ़ाया, फिर भी ऐसा अन्याय! कुछ को ‘कृपांक’, बाकी वंचित। फिर अदालत का आदेश कि ‘कृपांक’ रद्द, कृपांक वाले दुबारा परीक्षा दें। लेकिन फिर उठाया जाने लगा ‘पर्चा लीक’ का मुद्दा। मंत्री जी कहिन कि ‘लीक’ संभव नहीं, बाकी मामले की जांच करेंगे, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। ‘नीट’ का मुद्दा तना रहा, जिस तरह दिल्ली में पानी की कमी का मुद्दा तना रहा। कोचिंग सेंटर वाले छात्रों के प्रवक्ता बन कर चैनलों में छाए रहे। इसे कहते हैं ‘सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ना’ यानी शपथ लेते ही एक के बाद एक आतंकी हमले और नीट में घपला। फिर मोहन भागवत का बयान आया कि जो सेवक मर्यादा में रहकर कर्म करता है, वही सेवक कहलाने का अधिकारी है, सच्चा सेवक अहंकारी नहीं होता।
साथ ही आया एक शिष्य का हिंदुत्व के एक मुखपत्र में अग्रलेख कि भाजपा क्यों पिटी। फिर बताए पिटने के कारण कि भाजपा नेता बने अंहकारी, दूसरे दलों के दागियों को साथ लेने से ‘ब्रांड भाजपा’ का कमजोर होना, ‘बहिरागतों’ को टिकट देने के कारण कार्यकर्ताओं में नाराजगी।
एनडीए गठबंधन के एक सहयोगी ने दुहत्थड़ मारा कि चार सौ पार का नारा रहा बेकार, न ‘चार सौ पार’ का बड़बोलापन दिखाते, न विपक्षी उसे अपने ‘नैरेटिव’ में ‘खतरनाक’ बताते, ‘चार सौ पार तो संविधान खत्म’, ‘जनतंत्र खत्म’ और इसलिए ‘संविधान बचाओ भाजपा हराओ’ का ‘नैरेटिव’ चला, जबकि भाजपा के पास इस ‘नैरेटिव’ की कोई काट तक नहीं रही।
एक शाम एक चैनल लाया सप्ताह का ‘पापुलर रेटिंग्स’ का ‘ट्रेकर’ और एक एंकर बताने लगा कि चुनाव बाद यूपी में राहुल शीर्ष पर। राहुल की लोकप्रियता 36 फीसद, जबकि मोदी की 32 फीसद। एक भक्त ने इसका जबाव दिया कि यह ‘रेटिंग्स’ सच नहीं। दुनिया के नेताओं की ‘पापुलर रेटिंग्स’ तय करने वाली बड़ी अंतरराष्ट्रीय कपनियां बताती हैं कि दुनिया के नेताओं में मोदी की लोकप्रियता आज भी सर्वाधिक यानी 68 फीसद है।
फिर एक शाम एक एंकर ने सवाल किया कि क्या मोदी इस सरकार को चला सकेंगे? और जवाब में मोदी के एक अमित्र पत्रकार तक को कहना पड़ा कि मोदी को कम करके नहीं आंकना चाहिए। जब-जब मोदी पर संदेह किया है, तब-तब उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल से सबको चकित किया है।
और अंत में, फिर एक ‘प्रभु वाणी’ कहत भई कि प्रभु का न्याय बड़ा विचित्र। प्रभु सबके साथ न्याय करते हैं कि रामभक्ति वाली पार्टी अहंकारी हो गई। जिन्होंने घमंड किया, उनको 241 पर रोक दिया, जिनकी राम पर श्रद्धा नहीं थी उन्हें 234 पर रोक दिया। यानी न विपक्षी इंडिया गठबंधन ने रोका, न जनता ने रोका। रोका, तो राम ने रोका! इसे कहते हैं: कलियुग में त्रेता की झांकी।