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सुधीश पचौरी का कॉलम बाखबर: आराधन और दृढ़ आराधन, नेताओं के बोल और चुनावी नारे

एक चैनल पर एक आस्थावादी कहिन कि ये सब ‘पतित धर्मनिरेपक्षता’ है। एक एंकर भी कहिन कि ये विपक्ष का ‘हड़बड़ी का शोर’ है। एक आचार्य कहिन कि जो लोग ध्यान का, साधना का, अध्यान आदि का महत्त्व नहीं जानते, वही ऐसा कहते हैं।
Written by: सुधीश पचौरी
नई दिल्ली | Updated: June 02, 2024 09:21 IST
सुधीश पचौरी का कॉलम बाखबर  आराधन और दृढ़ आराधन  नेताओं के बोल और चुनावी नारे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी। (इमेज- पीटीआई)
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मुझे परमात्मा ने भेजा है… परमात्मा का आशीर्वाद है… परमात्मा की कृपा है!’ ‘ये ‘परमात्मा-कांप्लेक्स’ है!’ ‘वे परमात्मा हैं तो हमें उसके लिए एक मंदिर बना देना चाहिए!’ ‘वे कहते हैं कि वे ‘जैविक प्राणी’ नहीं हैं!’ ‘प्रधानमंत्री तो 2047 की बात कर रहे हैं!’ ‘नौकरी खटाखट-खटाखट, माहौल टनाटन टनाटन!’ ‘ये हारेंगे खटाखट, फटाफट सटासट सनासन टनाटन दनादन!’ ‘4 जून को टनाटन बांड स्कीम सफाचट जनता कहेगी फटाफट!’

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‘आजकल मोदी ज्यादा नहीं बोल रहे कि 400 पार… एक दिन वे कहीं रोने न लगें!’ ‘चुनाव आयोग में आत्मविश्वास की कमी है… अगर कुछ इधर-उधर न हुआ तो हम तीन सौ पार!’ ‘मछली मटन मंगलसूत्र मुजरा… ये कौन-सी भाषा है?’ ‘वे ‘जहर’ हैं!’ एक पूछता है कि आपका ‘प्रधानमंत्री का चेहरा’ कौन, तो जवाब आता है: यह तो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसा है! एक खबर कि एक जून को विपक्षी गठबंधन की बैठक दिल्ली में कि एक बड़े नेता का आने से इनकार।

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एक कटाक्ष आया कि विपक्षी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है! एक रैली में प्रधानमंत्री बोले कि मैं ओबीसी, एससी, एसटी कोटे को कम नहीं होने दूंगा… मैं इनके पक्ष में खड़ा रहूंगा… मेरे लिए संविधान सर्वोपरि है! एक चर्चक बताता रहा कि ईसाइयत या इस्लाम में जब जाति ही नहीं तो इनको आरक्षण कैसे दे दिया गया? एक कहिन कि यह घपला तो भाजपा के राज्यों में भी हुआ है! तो जवाब आया कि ऐसी बात है तो हम इसकी समीक्षा करेंगे, धार्मिक आधार पर आरक्षण असंवैधनिक है।

फिर आया वही पुराना रोना कि ईवीएम में गड़बड़… मैनपुरी में एक व्यक्ति ने आठ वोट कैसे डाले? फिर एक दिन एक चैनल पर चार ज्ञानी एक दूसरे से पूछते भए कि चार जून को क्या होने जा रहा है? एक कहिन: बहुत हुआ तो भाजपा की तीन सौ.. बाकी एक जून को बताएंगे! दूसरे कहिन कि युवा मुखर हो रहा है, औरतें भी मुखर हो रही हैं! ऐसे में किसको कितनी मिलेंगी, कुछ कहा नहीं जा सकता! तीसरे कहिन कि महंगाई बेरोजगारी कब नहीं रहीं… अरे जो जरूरतमंद को देता है, उसका वोट उसे ही मिलता है। चौथे कहिन कि माना कि महंगाई है, बेरोजगारी है, फिर भी लोग सोचते हैं कि इसका इलाज भी मोदी ही कर सकता है।

अंत में सभी सहमत रहे कि मुद्दे हैं, लेकिन बहुत व्यापक नाराजी नहीं है। इस तरह सभी सुरक्षित खेले और पूरा ‘प्राइम टाइम’ निकाला। एक ‘चुनाव विशेषज्ञ’ कहिन कि 2019 में बंगाल में जो ‘फााल्ट लाइन’ भाजपा ने उभारी थी 2024 में, वह और गहरी होती दिखती है। इधर कन्याकुमारी जाकर विवेकानंद मेमोरियल राक पर मोदी जी का पैंतालीस घंटे के ध्यान का एलान और विपक्ष परेशान। एक कहिन, ये ‘ढोंग’ है, दूजे कहिन कि यह ‘पाखंड’ है। तीजे कहिन कि ये ‘प्रचार-भूख’ है, चौथे कहिन कि ‘राक’ के आगे तो पानी ही पानी है।

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पाचवें कहिन कि ये विदा होने वाले प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा है, छठे फरमाए कि इसका कवरेज मतदान को प्रभावित कर सकता है, इसलिए टीवी कैमरों को इसे नहीं दिखाना चाहिए। सातवें ने काले झंडे दिखाए और नारे लिखे कि ‘गो बैक मोदी गो बैक मोदी’ और जब इतने से भी दिल न भरा तो सीधे चुनाव आयोग से शिकायत कर दी गई। एक चैनल पर एक आस्थावादी कहिन कि ये सब ‘पतित धर्मनिरेपक्षता’ है। एक एंकर भी कहिन कि ये विपक्ष का ‘हड़बड़ी का शोर’ है।

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एक आचार्य कहिन कि जो लोग ध्यान साधना का, अध्यान आदि का महत्त्व नहीं जानते, वही ऐसा कहते हैं। हम तो कवि निराला की एक पंक्ति के जरिए, विपक्ष से कहेंगे कि हर वक्त ‘प्रतिक्रिया’ करने की जगह ‘आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर!’

बहरहाल, शुक्रवार की सुबह से ही कुछ चैनल दिखाते बताते रहे कि किस तरह प्रधानमंत्री कन्याकुमारी आए, किस तरह उन्होंने तीन हजार साल पुराने भगवती अम्मन देवी के मंदिर में पूजा की। अगली सुबह से फिर कई चैनल दिखाते बताते रहे कि किस तरह प्रधानमंत्री एकदम ‘ध्यानमग्न हैं… उनके माथे पर त्रिपुंड है… नेत्र बंद हैं… हाथ जुड़े हैं… गैरिक वसना हैं… सामने विवेकानंद की मूर्ति है..! कई विपक्षी कई चैनलों में कलहरत रहे और कहते रहे कि इसे मीडिया को नहीं दिखाना चाहिए, लेकिन कई चैनल मोदी जी को पद्मासन मारे ध्यानमग्न मुद्रा में दिखाते रहे।

एक चैनल ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कुल एक सौ अस्सी रैली की है जो अब तक की सबसे अधिक है और किसी भी विपक्षी नेता की रैलियों से अधिक हैं। विपक्ष के एक नेता यह भी कटाक्ष किए कि यह सब उनकी निराशा है। एक विपक्षी नेता एक चैनल पर कहिन कि प्रधानमंत्री के पास सात दिन बचे हैं तो अगले पल उसी चैनल पर लिखा दिखा: प्रधानमंत्री ने भूचाल की चेतावनी दी।

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में फिर एक बार NDA की सरकार बनती दिख रही है. देश की 543 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान के बाद अब एग्जिट पोल के नतीजे साफ हो गए हैं।

इस एग्जिट पोल के मुताबिक NDA को 361-401, INDIA को 131-166 और अन्य को 8-20 सीटें मिलने का अनुमान है। इस एग्जिट पोल के मुताबिक महाराष्ट्र में NDA को 28-32 सीटें, BJP की 26-31 सीटें और तेलंगाना में NDA को 11-12 सीटें मिल सकती हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश में 21-23 सीटें NDA को मिल सकती हैं। वहीं विपक्ष के आंकड़े पर नजर डालें तो महाराष्ट्र में INDIA ब्लॉक को 16-20 सीटें मिलने का अनुमान है.

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया का एग्जिट पोल (Exit Poll) देश का सबसे भरोसेमंद एग्जिट पोल होता है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और दिसंबर 2013 से दिसंबर 2023 तक 67 विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल किए गए. इन 69 चुनावों में से 64 चुनावों में इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल बिल्कुल सटीक साबित हुए हैं।

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