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Vat Savitri Purnima 2024: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र से लेकर आरती तक

Vat Savitri Purnima 2024: सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। जानें वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी
Written by: Shivani Singh
नई दिल्ली | Updated: June 21, 2024 09:46 IST
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Vat Savitri Purnima 2024: वट सावित्री पूर्णिमा तिथि, मुहूर्त सहित अन्य जानकारी
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Vat Savitri Purnima 2024 Muhrat Puja Vidhi Mantra: आज वट सावित्री पूर्णिमा व्रत रखा जा रहा है। बता दें कि ज्येष्ठ माह में दो बार वट सावित्री का व्रत पड़ता है। इसी तिथि को लेकर भिन्न-भिन्न मत है। वट सावित्री व्रत अमावस्या की तरह ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को भी रखा जाता है। इसे वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कहा जाता है। निर्णयामृत आदि में ज्येष्ठ अमावस्या को व्रत के लिए कहा गया है। वहीं, स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण नें ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि वट सावित्री व्रत रखने की बात कही गई है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा व्रत रखने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र सहित अन्य जानकारी…

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वट सावित्री पूर्णिमा 2024 तिथि? (Vat Savitri Purnima 2024 Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रही है,जो 22 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 21 जून 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Purnima 2024 Puja Muhurat)

लाभ चौघड़िया का मुहूर्त- सुबह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक
अमृत चौघड़िया का मुहूर्त- 8 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया का मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 7 मिनट तक।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त मेंउठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। एक थाली में पूजा का सभी सामान एकत्र कर लें।
  • छापा बनाने के लिए एक कटोरी में हल्दी, चावल का पेस्ट बना लें। इसके साथ ही 14 पूड़ी और गुलगुले बना लें और भिगोए हुए चने रख लें।
  • सबसे पहले बरगद के नीचे गाय का गोबर से लीप दें। अगर गोबर नहीं है, तो सावित्री और माता पार्वती की प्रतीक के रूप 2 सुपारी में कलावा लपेट कर रख लें।
  • अब चावल वाले लेप को हथेलियों में लगाकर सात बार बरगद में छापा लगाएं।
  • इसके बाद वट वृक्ष में सबसे पहले जल चढाएं। इसके बाद फूल, माला, सिंदूर, अक्षत, मिठाई, गुलगुले, 14 पूड़ियों और हर एक पूड़ी में 2 भिगोए हुए चने रख दें।
  • सुपारी में सोलह श्रृंगार आदि चढ़ा दें।
  • अब फल में खरबूज, खीरा, आम आदि चढ़ाने के बाद जल चढ़ा दें।
  • इसके साथ ही बांस का पंखा रख दें। अब घी का दीपक और धूप जला लें।
  • फिर अपने मन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और खुशहाली की कामना करते हुए सफेद सूत का धागा या फिर सफेद नार्मल धागा, कलावा ले लें। इसके
  • बाद इसे वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बांध दें। परिक्रमा के समय इस मंत्र को बोले- यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सर्वाणि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।
  • 5 से 7 या फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार परिक्रमा कर लें। इसके बाद बचा हुआ धागा वृक्ष पर ही छोड़ दें।
  • अपने हाथों में भिगोए हुए चना ले लें और वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha) पढ़ या सुन लें।
  • कथा समाप्त होने के बाद चने वृक्ष में चढ़ा दें।
  • फिर सुहागिन महिलाएं माता पार्वती और सावित्री के को चढ़ाए गए सिंदूर को तीन बार लेकर अपनी मांग में लगा लें। अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
  • व्रत खोलने के लिए बरगद के वृक्ष की एक कोपल और 7 चना लेकर पानी के साथ निगल लें।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत में इस मंत्र का करें जाप (Vat Savitri Vrat 2024 Mantra)

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

वट सावित्री व्रत की आरती (Vat Savitri Vrat Aarti)

अश्वपती पुसता झाला।। नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी स त्यवंत।। सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।।मनी निश्चय जो केला।।
आरती वडराजा।।
दयावंत यमदूजा। सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी ।।
त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा ।।
स्वर्गावारी जाऊनिया। अग्निखांब कचळीला।।
धर्मराजा उचकला। हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।।
आरती वडराजा ।।
जाऊनिया यमापाशी। मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया। दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।
पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।।
आरती वडराजा ।।
पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया। आणिलासी आपुला पती।।
अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।।

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