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कई मकान उजड़े, पेड़ उखड़े और 100 से ज्यादा घायल… बंगाल में चक्रवाती तूफान से भारी तबाही

चक्रवाती तूफान की वजह से कई पेड़ उखड़ गए, कई मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: March 31, 2024 23:42 IST
कई मकान उजड़े  पेड़ उखड़े और 100 से ज्यादा घायल… बंगाल में चक्रवाती तूफान से भारी तबाही
जलपाईगुड़ी में चक्रवाती तूफान
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पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में चक्रवाती तूफान से भारी नुकसान देखने को मिला है। मूसलाधार बारिश के साथ तेज हवाओं ने कई पेड़ उखाड़ दिए, कई घरों को नुकसान पहुंचा और अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस चक्रवाती तूफान की वजह से 100 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तूफान के बाद पैदा हुए विस्फोटक हालात का जायजा लिया है। मृतकों के परिवार के लिए मुआवजे का ऐलान भी कर दिया गया है।

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बताया जा रहा है कि रविवार शाम को जलपाईगुड़ी में ओले के साथ तेज बारिश हुई, उसके बाद चक्रवाती तूफान की वजह से कई पेड़ उखड़ गए, कई मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। बिजली के खंभे भी कई जगह पर गिर गए जिस वजह से कई इलाके अंधेरे में चले गए। अब बारिश तो थम चुकी है लेकिन तबाही का मंजर जमीन पर देखने को मिल रहा है। लोग अपने टूटे-फूटे सामान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं और स्थिति जल सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं।

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हैरानी की बात ये है कि इस तूफान की वजह से 49 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं जिन्हें पास के ही अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवा दिया गया है। अब जानकारी के लिए बता दें कि तेज बारिश और तूफान सिर्फ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में देखने को नहीं मिली है, इसके अलावा असम, मिजोरम और मणिपुर में भी मूसलाधार बारिश हुई है। असम के गुवाहाटी में गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तो तेज बारिश की वजह से जबरदस्त नुकसान देखने को मिला है।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एयरपोर्ट की छत ही नीचे गिर गई है। उस वजह से फ्लाइट की आवाजाही भी कुछ घंटे के लिए प्रभावित हो गई थी। इसी तरह मिजोरम के चंपई जिले में एक चर्च की इमारत तेज हवाओं की वजह से ढह गई। मणिपुर के थोंबल से भी खबर आई है कि वहां पर कई पेड़ गिर चुके हैं। यहां समझने वाली बात ये है कि भारत का जो समुद्री तट वाला इलाका है, वो 7500 किलोमीटर लंबा है। वहां भी 76 फीसदी इलाका तो ऐसा है जो हर साल सुनामी के खतरे में रहता है।

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