DDA की हरकत से चौंक गया सुप्रीम कोर्ट, जज साहब बोले- दिल्ली में इस तरह के काम को हल्के में नहीं ले सकते...
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को रिज एरिया में पेड़ काटे जाने कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ काटे जाने जैसे बेशर्मीपूर्ण कृत्यों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि क्या उन्होंने उनकी इजाजत के बिना एलजी के ऑर्डर पर पेड़ काटे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की वेकेशन बेंच ने कहा कि वह डीडीए द्वारा पेड़ों की कटाई की जांच का प्रस्ताव देते हैं, जिस वजह से कई मूल्यवान पेड़ नष्ट हो गए और परिणामस्वरूप पर्यावरण को नुकसान हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि यह काफी चौंकाने वाला है कि यह जानते हुए भी पेड़ काटे गए कि यह काम सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बिना नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राजधानी में इस तरह की बेशर्म हरकतों को यह अदालत हल्के में नहीं ले सकती। अगर अधिकारी पर्यावरण की रक्षा के अपने वैधानिक और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो अदालत को सभी अधिकारियों को स्पष्ट और जोरदार संकेत देना होगा कि पर्यावरण को इस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।"
डीडीए अधिकारियों को जारी किया अवमानना नोटिस
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संबंधित डीडीए अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम डीडीए के वाइस चेयरमैन को निर्देश देते हैं कि वो कोर्ट को बताएं कि तीन फरवरी को एलजी के साइट विजिट को लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध है या एलजी के दौरे पर क्या हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए वाइस चेयरमैन से कहा कि हमें फैक्ट्स का स्पष्ट विवरण चाहिए, क्योंकि अगर ईमेल में जो संकेत दिया गया है वह सही है तो पेड़ों की कटाई एलजी के निर्देश पर की गई थी। हम उम्मीद करते हैं कि डीडीए इस पहलू पर स्पष्ट रूप से सामने आएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस दौरान कहा कि वह पूरे NCT दिल्ली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के लिए निर्देश जारी करने का प्रस्ताव देता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीडीए व अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से वृक्षारोपण को लेकर सहायता करने के लिए भी कहा गया है। अब इस मामले में 26 जून को सुनवाई होगी।
आम आदमी पार्टी ने एलजी पर फोड़ा ठीकरा
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 3 फरवरी को उस समय साजिश रची गई , जब दिल्ली के एलजी (डीडीए के चेयरमैन भी) ने रिज का दौरा किया। उनके दौरे के बाद बिना किसी अनुमति के 1100 पेड़ काटे गए। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। लेकिन सब चुप रहे, एक एनजीओ ने इस पर सवाल उठाए। बाद में डीडीए इस मामले में अनुमति के लिए कोर्ट गया और सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को अनुमति खारिज कर दी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने वाले एनजीओ ने कहा कि अनुमति लेने से पहले ही 1100 पेड़ काटे गए। यह कोर्ट की अवमानना है। मई में कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाई और डीडीए के उपाध्यक्ष पर आपराधिक अवमानना का केस लगाया। आज कोर्ट ने डीडीए से पूछा कि 1100 पेड़ काटने की अनुमति किसने दी।