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'महिलाओं और बच्चों की चीख अभी भी मेरे कानों में गूंज रही', हाथरस हादसे में बचाने वाले शख्स ने सुनाई भय की वो दास्तां

Hathras Stampede: बृजेश के दोस्त राजकुमार ने बताया कि सबसे पहले गड्ढा साफ करके बचाव कार्य शुरू किया गया।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | July 04, 2024 17:50 IST
हाथरस हादसा। (इमेज-पीटीआई)
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Hathras Stampede: हाथरस हादसे में 121 लोगों की जान जा चुकी है। 2 जुलाई का दिन श्याम बृजेश को हमेशा ही याद रहेगा। यह वही दिन था जब नारायण साकार विश्व हरि के सत्संग में 2.5 लाख लोगों की भीड़ को संभालने के लिए 40 कांस्टेबल कड़ी मशक्कत कर रहे थे। तब पड़ोसी गांव बरई सहायपुर, बामनहर गदाई, मुगलगढ़ी, खेरिया, नगला और दूसरे गांवों के बृजेश जैसे युवा भगदड़ में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए आगे आए।

पड़ोसी गांव बरई सहायपुर के रहने वाले बृजेश घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे। उन्होंने कहा कि भगदड़ मेरी जिंदगी का सबसे डरावने मंजरों में से एक है। उन्होंने कहा कि लगभग 48 घंटे का समय बीत चुका है और मैं अभी भी महिलाओं और बच्चों की चीखें और रोना सुन सकता हूं। वह लोगों से मिननते कर रहे थे कि उनसे दूर हो जाएं और उनको सांस लेने दें। यह भयावह मंजर मैंने पहले कभी नहीं देखा। भोले बाबा, आयोजकों और उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए जो इस कार्यक्रम का भाग थे।

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बृजेश ने बताया कि सत्संग वाला दिन किसी दूसरे दिन की तरह आम ही था। उन्होंने बताया कि हमेशा की तरह मैं सुबह जल्दी उठा और रोजाना के कामों को पूरा करने के बाद मैं उस मैदान की तरफ चला गया। बृजेश ने कहा कि एक दिन पहले ही जिले में भारी बारिश हुई थी। इसलिए वह उमस भरा दिन था और ज्यादातर किसान खेत में अपना काम निपटाने के बाद घरों को लौट आए थे और लाउडस्पीकर पर भोले बाबा के प्रवचन सुन रहे थे।

महिलाओं और बच्चों की डेड बॉडी से भरा था गड्ढा

बृजेश ने कहा कि करीब 2 या 2.15 बजे मैंने पहली बार चीख सुनी। हालांकि, यह प्रवचन और ट्रैफिक के शोर में गुम हो गई। लेकिन धीरे-धीरे चीख पुकार और भी ज्यादा तेज हो गई। जैसे ही वह सत्संग वाली जगह पर तेजी से भागे। इसके साथ ही उनके दोस्त राजकुमार, विकास और दूसरे लोग भी हालात देखने के लिए उनके साथ दौड़े। उन्होंने आगे बताया कि जब हम मौके पर पहुंच गए तो वहां पर काले कपड़े पहने एक कमांडो ने हमें धक्का देकर भगाने की कोशिश की। हमने उनके बार्डर को पार कर दिया और अपनी जिंदगी का सबसे डरावना मंजर देखा। बाहर निकलने वाले दरवाजे के पास एक गड्ढा महिलाओं और बच्चों की डेड बॉडी से भरा हुआ था। यह फिसलन की वजह से फिसल गए थे।

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कीचड़ में बुरी तरह सने शव

बृजेश के दोस्त राजकुमार ने बताया कि सबसे पहले गड्ढा साफ करके बचाव कार्य शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि शव बुरी तरह से कीचड़ में सन गए थे। बड़ी मुश्किल से हम उन्हें एक-एक करके बाहर निकालने में कामयाब रहे। इस बीच विकास मदद लेने के लिए जीटी रोड पर पहुंचे। जल्द ही ट्रक ड्राइवर और दूसरे स्थानीय लोग हमारे साथ आ गए। उन्होंने जल्दी से अपनी गाड़िया पार्क की और लोगों की जान बचाने के लिए घटनास्थल पर आ गए। जिन लोगों को हमने गड्ढे से बाहर निकाला, उनमें से कई की तरफ से कोई भी हलचल नहीं थी। लेकिन जो लोग जिंदा थे उनको गाड़ियों की मदद से हॉस्पिटल भेजा गया।

लोगों को सांस लेने में तकलीफ

गड्ढे को साफ करने के अलावा, दूसरे कई लोगों को भी बचाया गया था। वह सांस लेने के लिए हांफ रहे थे। इतना ही नहीं कई लोग सांस भी नहीं ले पा रहे थे, उनके मुंह और नाक में कीचड़ पूरी तरह भर चुका था। राजकुमार ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ भी अलग काम किया है। मुझे लगता है कि हर इंसान को दूसरे लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ना ही चाहिए। एक स्थानीय व्यक्ति श्याम कुमार ने कहा कि मैं सीएम योगी से अपील करता हूं कि वह बाबा और उसके आयोजकों के खिलाफ सख्त एक्शन ले।

स्थानीय लोगों ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 2 घंटे तक चला और उसके बाद प्रशासन और पुलिस बल मौके पर पहुंचा। यूपी पुलिस ने सेवादारों और अन्य आयोजकों समेत 22 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में कहा है कि कार्यक्रम वाली जगह से निकल रही बेकाबू भीड़ की वजह से जमीन पर बैठे लोग कुचले गए। सड़क के दूसरी तरफ पानी और कीचड़ से भरे खेतों में भाग रही भीड़ को आयोजकों ने लाठी-डंडों के बल पर जबरन रोका।

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