राजीव बिंदल को कमान भाजपा के लिए संजीवनी
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का यह फैसला कड़ा व साहसिक माना जा रहा है, क्योंकि बिंदल की छवि एक धाकड़ नेता की रही है जो संगठन का लंबा अनुभव रखते हैं। वे किसी का मोहरा बन कर चलने वालों में नहीं है। उपचुनावों के बाद विधानसभा चुनावों में भी करारी हार व सत्ता से बेदखल हो जाने के बाद भाजपा ने जो प्रदेशाध्यक्ष को बदल कर एक कड़ा रुख लिया है। यह उसके लिए आने वाले लोकसभा चुनावों के साथ इस वक्त चल रहे नगर निगम चुनावों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
राजीव बिंदल को 2020 में भी प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था, मगर कोरोना काल में हुई खरीददारी को लेकर उनका नाम उछलने से उन्होंने पद छोड़ दिया था। इसके बाद शिमला के सांसद सुरेश कश्यप को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। सुरेश कश्यप के अध्यक्ष रहते हुए भाजपा प्रदेश में हुए उपचुनाव में तीन विधानसभा सीटें व एक लोकसभा की सीट भी गंवा बैठी। भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुई मंडी लोकसभा सीट भी भाजपा कांग्रेस की प्रतिभा सिंह से हार गई। अब विधानसभा चुनावों में तो पार्टी सत्ता से ही बाहर हो गई।
चुनावों के बाद से ही लग रहा था कि संगठन में बड़ा फेरबदल होगा। जब सुरेश कश्यप ने हार के बाद पद छोड़ने की इÞच्छा जताई या फिर उनसे पद छोड़ने को कहा गया तो प्रदेशाध्यक्ष के लिए राज्यसभा के दो सांसदों इंदू गोस्वामी व सिकंदर कुमार के अलावा पूर्व अध्यक्ष सतपाल सती, प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जमवाल, राकेश जमवाल व राजीव भारद्वाज के नाम सामने आने लगे।
इनमें राजीव बिंदल को ज्यादा अहमियत नहीं दी जा रही थी, मगर जगत प्रकाश नड्डा ने उनके नाम पर मुहर लगाकर एक कड़ा व अलग संदेश प्रदेश में दे दिया। वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर विपक्ष के नेता हैं और इन दिनों कांग्रेस सरकार की खूब बखियां उधेड़ रहे हैं। बिंदल को धूमल गुट से जोड़ा जाता रहा है।
इसके पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि पांच बार लगातार सोलन व सिरमौर के नाहन से विधायक का चुनाव जीते हैं, धूमल सरकार में दमदार मंत्री रहे हैं। विधानसभा के अध्यक्ष भी वे रह चुके हैं व प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष भी उन्हें 2020 में बनाया गया था। इसके बावजूद भी उन्हें जय राम ठाकुर सरकार ने कोई ताजपोशी नहीं दी और एक तरह से वे हाशिए पर धकेल दिए गए थे। इस बार नाहन से उनकी हार को भी इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है ।
ऐसे में यह लग रहा था कि प्रेम कुमार धूमल के गुट से होने के कारण ही उनके साथ ऐसा किया गया। अब जबकि प्रदेश में विधानसभा में नेतृत्व जय राम ठाकुर संभाल रहे हैं तो राजीव बिंदल जो संगठन के माहिर हैं, तेज तर्रार नेता की छवि है, को प्रदेश की कमान सौंप कर जगत प्रकाश नड्डा ने बड़ा संदेश दिया है। उन्हें संगठन मंत्री भी दिल्ली से लाकर नया दिया गया है ताकि वे अपने हिसाब से अब प्रदेश में काम कर सकें और एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में पिछले दो बार की तरह सारी सीटें दिलवा सकें। बिंदल के पास और कोई जिम्मेदारी नहीं है। ऐसे में वे पूरा समय अब संगठन को देंगे।
कुछ भी हो इतना तो यकीन है कि उपचुनाव व विधानसभा में बुरी तरह से हारी भाजपा के लिए बिंदल की ताजपोशी किसी संजीवनी से कम नहीं है। बिंदल के अनुभव को लाभ भाजपा को नगर निगम शिमला के चुनाव में भी मिल सकता है। वे शिमला लोकसभा क्षेत्र से संबंधित हैं। ऐसे में भाजपा जो शिमला संसदीय क्षेत्र में हमेशा कमजोर रहती आई हैं, वहां भी भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
पद ग्रहण करते हुए राजीव बिंदल ने शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल के साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को बार बार याद किया व उनके सहयोग लेने की बात कही, उससे भी उन्होंने बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में यदि प्रदेश भाजपा में बड़े फेरबदल देखने को मिलें तो इसमें किसी को कोई हैरानी नहीं होगी। बिंदल की ताजपोशी को पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने खूब उत्साह से लिया है। शायद कारण यही है कि सभी कार्यकर्ता उनकी कार्यप्रणाली से अवगत हैं और अब संगठन में नया जोश आएगा ऐसा मान कर चल रहे हैं।