जालंधर पश्चिम सीट पर उपचुनाव AAP के लिए साबित होगा लिटमस टेस्ट, लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी पार्टी; जानें क्या हैं मुसीबतें
लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के एक हफ्ते से भी कम समय में पंजाब में एक और चुनाव के लिए मंच तैयार हो गया है। जालंधर पश्चिम (एससी) विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। आम आदमी पार्टी (AAP) से विधायक चुनी गई शीतल अंगुराल के इस्तीफे के कारण उपचुनाव होगा। AAP से भाजपा में शामिल होने के बाद 28 मार्च को उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।
उपचुनाव AAP के लिए साबित होगा लिटमस टेस्ट
उपचुनाव AAP के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में आया है, जिसे हाल के लोकसभा चुनावों में कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली। AAP जालंधर लोकसभा क्षेत्र में तीसरे स्थान पर रही थी, जहां 2023 के लोकसभा उपचुनाव में उसकी जीत हुई थी। कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जालंधर सीट से चुनाव जीते हैं और वह जालंधर पश्चिम क्षेत्र विधानसभा में भी आगे थे। भाजपा भी जो काफी पीछे चल रही है, वह अब नतीजों को प्रभावित करने के अवसर पर नजर गड़ाए हुए है। इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पास एक मजबूत नेता का अभाव है।
पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार उपचुनाव के लिए अधिसूचना 14 जून को जारी की जाएगी और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 जून होगी। 24 जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, जबकि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 26 जून होगी। वोटों की गिनती 13 जुलाई को होगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आगे कहा कि उपचुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता सोमवार से जालंधर पश्चिम में लागू हो गई है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आचार संहिता लागू रहेगी। 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान शीतल अंगुराल ने जालंधर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से सुशील रिंकू को हराया था, जो कांग्रेस के उम्मीदवार थे।
AAP रही तीसरे नंबर पर
लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और अंतिम चरण में पंजाब में मतदान के एक दिन बाद 2 जून को शीतल अंगुराल ने AAP से उनकी सदस्यता पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। हालांकि पार्टी ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनका इस्तीफा पहले ही स्वीकार कर लिया गया था। 4 जून को घोषित परिणामों के अनुसार कांग्रेस के चरणजीत चन्नी को जालंधर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक 44,394 वोट मिले, उसके बाद सुशील रिंकू को 42,837 वोट मिले, जबकि सत्तारूढ़ AAP 15,629 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थी।
हालांकि कांग्रेस को अपनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। 2023 में पूर्व विधायक सुशील रिंकू के AAP में चले जाने और बाद में भाजपा में शामिल हो जाने के बाद से पार्टी में एक मजबूत स्थानीय नेता की कमी बनी हुई थी। सुशील रिंकू के जाने के बाद कांग्रेस को इस विधानसभा क्षेत्र में एक उम्मीदवार खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा। दूसरी ओर भाजपा के पास विकल्प बहुत हैं। वह लोकसभा चुनाव लड़ चुके सुशील रिंकू या शीतल अंगुराल को उम्मीदवार बना सकती है। कई नए दावेदार भी टिकट पर नजर गड़ाए हुए हैं और उनमें एनआईटी के प्रोफेसर डॉ. सरबजीत सिंह भी शामिल हैं।
जहां तक AAP की बात है, उन्हें अपने लोकसभा उम्मीदवार पवन कुमार टीनू में आशा की किरण दिखती है, जिन्होंने पार्टी के तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद महत्वपूर्ण समर्थन हासिल किया था। शिरोमणि अकाली दल को भी इस विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा। अकाली दल के लोकसभा उम्मीदवार मोहिंदर सिंह कायपी को इस विधानसभा क्षेत्र में केवल 2,623 वोट मिले।