उत्तराखंड में ड्रोन के जरिए दूरदराज के इलाकों में पहुंचेंगी दवाइयां, जानें कैसे
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के दूरदराज इलाकों में अब रोगियों के लिए उपचार की सुविधा सर्वसुलभ हो जाएगी। इस दिशा में ऋषिकेश एम्स के चिकित्सकों और प्रशासन ने एक बड़ी पहल की है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में दूरदराज वाले इलाकों में रह रहे लोगों का जीवन वैसे ही कठिन दौर से गुजरता है और ऊपर से बीमारी लगने पर उनकी मुसीबत और बढ़ जाती है और उनका दर्द पहाड़ जैसा हो जाता है।
इन लोगों को इस दुख दर्द से निजात दिलाने के लिए और आपात स्थिति के दौरान गंभीर बीमारी की दवाएं या दुर्घटना में गंभीर घायल के लिए दवाएं और खून पहुंचाने के लिए ऋषिकेश एम्स ने ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू की है। इस तरह ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू करने वाला ऋषिकेश एम्स देश का पहला चिकित्सा संस्थान बन गया है।
यह सफलता प्राप्त करने के लिए ऋषिकेश एम्स के चिकित्सकों और प्रशासन के आला अधिकारियों को कई बीते सालों तक कठिन मेहनत करनी पड़ी और कई बार उन्हें असफलता भी हाथ लगी, परंतु उन्होंने ड्रोन चिकित्सा सेवा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वे विफलता हाथ लगने के बावजूद भी अपने काम में लग रहे और उन्हें आखिर सफलता हाथ लगी। जो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के वाशिंदों के लिए एक बहुत बड़ी खुशी और राहत की बात है।
ऋषिकेश एम्स की इस सफलता पर इस चिकित्सा संस्थान की निदेशक प्रोफेसर डॉक्टर मीनू सिंह कहती हैं कि ऋषिकेश एम्स से नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू हो गई है और इस तरह नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू करने वाला एम्स ऋषिकेश देश का पहला चिकित्सा संस्थान बन गया है, जो चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी कामयाबी है।
इससे दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों के लिए तत्काल दवाइयां और ब्लड कंपोनेंट आदि भेजे जा सकेंगे। पहाड़ों में अब आपात स्थिति में किसी दूरस्थ स्थान पर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए हरित रास्ता (ग्रीन कारिडोर) बनाना अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू कर मानवता की सेवा में एक बड़ा कार्य किया है।
इससे उत्तराखंड के पहाड़ी दूरस्थ क्षेत्रों में आपात स्थिति के दौरान गंभीर बीमारी की दवाएं या दुर्घटना में गंभीर घायल के लिए रक्त आपूर्ति कुछ ही मिनटों में की जा सकेगी। इस साल एक फरवरी से एम्स ऋषिकेश में नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवा विधिवत रूप से शुरू कर दी गई है। ऋषिकेश एम्स से ड्रोन दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए उड़ान भरेगा।
ऋषिकेश एम्स की इस सेवा से उत्तराखंड के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ा जाएगा। ऋषिकेश एम्स की ड्रोन चिकित्सा सेवा के नोडल अधिकारी डा जितेंद्र गैरोला ने बताया कि ड्रोन चिकित्सा सेवा की शुरुआत फिलहाल प्राथमिक चिकित्सा केंद्र चंबा टिहरी से की गई है। चंबा के लिए ऋषिकेश एम्स से अब तक ड्रोन तीन उड़ानें भर चुका है। इन तीनों उड़ानों में दवाइयां भेजी गईं हैं।
नियमित ड्रोन चिकित्सा सेवा शुरू करने से पहले एम्स प्रशासन ने चार बार प्रशिक्षण किया था और उन्हें कई बार असफलता हाथ लगी परंतु आखिरकार कामयाबी ने ऋषिकेश एम्स के कदम चूमे और और चार उड़ानों टिहरी, चंबा, हिंडोलाखाल, यमकेश्वर के लिए ड्रोन चिकित्सा सेवा को सफलता मिली। टिहरी, चंबा, हिंडोलाखाल और यमकेश्वर के लिए मैपिंग हो चुकी है। इन स्थानों के लिए ड्रोन की आकाशीय उड़ान के लिए रास्ता भी तैयार कर लिया गया है और इसके बाद उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के अन्य दूरस्थ स्थानों के लिए भी रास्ता तैयार करने की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किया जा रहे हैं। अभी यह सेवा अपने प्रारंभिक दौर में हैं।
नमो ड्रोन दीदी
ऋषिकेश एम्स की ड्रोन चिकित्सा सेवा में उत्तराखंड की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की भूमिका भी अत्यंत अहम होगी। ऋषिकेश एम्स से जिन पहाड़ी स्वास्थ्य केंद्रों में ड्रोन से दवाइयां आदि भेजी जाएंगी, वहां ड्रोन से सामग्री उतारना या इस पर सामग्री चढ़ाने का कार्य स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं ही करेंगी। इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार ओर से विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। और आगे चलकर यही महिलाएं ड्रोन भी उड़ाएंगी। इन महिलाओं को नमो ड्रोन दीदी का नाम दिया गया है।