दो साल पहले चला था घरों पर बुलडोजर, अब कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पांच परिवारों को दिया 30 लाख का मुआवजा
असम सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है कि दो साल पहले नगांव के बटाद्रवा में प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए गए घरों के पीड़ितों को मुआवजा दे दिया गया है। यह मामला एक मछली व्यापारी की पुलिस कस्टडी में हुई मौत से जुड़ा था। जिसके बाद लोगों ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी।
प्रशासन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया था। अदालत ने सरकार को पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
इस मामले में पिछले साल बुलडोज़र की कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस आर एम छाया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि राज्य सरकार अवैध कार्रवाई से प्रभावित लोगों को मुआवजा देगी।
अदालत ने उस वक़्त के पुलिस अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि पुलिस जांच की आड़ में बिना अनुमति के किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला सकती।
इस साल 24 अप्रैल को पुलिस अधिकारी ने राज्य सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग के संयुक्त सचिव के सामने मुआवजे का प्रस्ताव पेश किया था। जिसमें हर पीड़ित परिवार जिसका पक्का घर तोड़ा गया था उसे 10 लाख रुपये और कच्चे घर वालों 2.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। अदालत जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी मांगी है।
पुलिस ने क्या जवाब दिया?
इस्लाम नाम के एक शख्स की मौत पर उसकी पत्नी की रिट याचिका के जवाब में नागांव एसपी ने बुधवार को एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि विध्वंस छिपे हुए हथियारों को खोजने के लिए किया गया था। हलफनामे में कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में कालियाबोर उपमंडल पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में चलाए गए तलाशी अभियान में पुलिस के हाथ कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा।