scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

'ऑपरेशन ब्लूस्टार' से पहले वॉर रूम में ऐसा क्या हुआ था जो भिड़ गए थे 2 अफसर, एक को जबरन भेजना पड़ा था छुट्टी पर

जनरल बरार इतने नाराज हुए कि जीएस पंढेर को एक महीने की छुट्टी पर भिजवा दिया था।
Written by: Prabhat Upadhyay
Updated: June 06, 2023 16:23 IST
 ऑपरेशन ब्लूस्टार  से पहले वॉर रूम में ऐसा क्या हुआ था जो भिड़ गए थे 2 अफसर  एक को जबरन भेजना पड़ा था छुट्टी पर
मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार ने ऑपरेशन ब्लूस्टार की अगुवाई की थी।
Advertisement

तारीख थी 29 मई 1984…। साउथ ब्लॉक के प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (PMO) में एक आपात बैठक बुलाई गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के अलावा सेना प्रमुख जनरल एएस वैद्य, पीएम के वरिष्ठ सलाहकार आरएन काओ और प्रधान सचिव पीसी एलेक्जेंडर मौजूद थे। इस बैठक में गोल्डन टेंपल के अंदर भिंडरावाले और चरमपंथियों से निपटने के लिए 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' (Operation Bluestar) की रूपरेखा को फाइनल किया जाना था।

इंदिरा गांधी चुपचाप सुनती रहीं और...

सेना प्रमुख वैद्य ने अपनी योजना बतानी शुरू की। कहा कि इस ऑपरेशन को इतनी तेजी से अंजाम दिया जाएगा कि स्वर्ण मंदिर की इमारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। सेना बिजली की गति से अंदर घुसेगी और जब तक लोग कुछ समझ पाएंगे, तब तक ऑपरेशान पूरा हो जाएगा। जनरल वैद्य ने कहा कि इससे सेना में काम करने वाले सिख सैनिकों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इंदिरा गांधी पूरी बात सुनती रहीं और जनरल वैद्य की बात पर हामी भर दी।

Advertisement

मेरठ से अमृतसर भेजी गई सेना की टुकड़ी

ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए सेना की नौवीं डिवीजन को मेरठ से हर हाल में 30 मई तक अमृतसर पहुंचने का आदेश दे दिया गया। इस डिवीजन का नेतृत्व जनरल कुलदीप सिंह बरार कर रहे थे, जो खुद जाट सिख थे। भिंडरावाला भी इसी गोत्र का था। ऑपरेशन से ठीक पहले 3 जून की शाम मेजर जनरल बरार ने ऑपरेशन की ब्रीफिंग के लिए सिविल और सैन्य अफसरों की एक मीटिंग बुलाई। इसमें अमृतसर के एसपी, डिप्टी कमिश्नर, सीआईडी के अफसर, IB के अफसरों के अलावा बीएसएफ के अमृतसर रेंज के डीआईजी जीएस पंढेर भी शामिल हुए।

ऑपरेशन ब्लूस्टार की वो ब्रीफिंग

खुफिया एजेंसी RAW के पूर्व अफसर जीबीएस सिद्धू अपनी किताब The Khalistan Conspiracy में लिखते हैं कि इस मीटिंग में पंढेर ने कहा कि अकाल तख्त के अंदर जो लोग हैं वो कोई साधारण अपराधी नहीं हैं, बल्कि 100 से ज्यादा ट्रेंड सिख जाट हैं। उनके लिए अकाल तख्त की रक्षा करते हुए मरना कोई बड़ी बात नहीं है। पंढेर ने सुझाव दिया कि स्वर्ण मंदिर के अंदर 8-10 दिनों के लिए बिजली-पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाए। इसके बाद वे लोग खुद ही भूखे प्यासे आत्मसमर्पण कर देंगे। मेजर जनरल कुलदीप बरार को पंढेर का सुझाव पसंद नहीं आया। उन्होंने कहा कि मैं खुद जाट सिख हूं और सिखों के मनोविज्ञान को अच्छी तरह जानता हूं।

operation blue star, kuldip singh brar
कुलदीप सिंह बरार (बाएं से तीसरे) सोर्स- https://www.facebook.com/lt.gen.kuldipsinghbrar/

मीटिंग में भिड़ गए जनरल बरार और DIG पंढेर

इस पर पंढेर ने चुटकी लेते हुए कहा, 'सर, मेरी बात का बुरा मत मानना लेकिन आप जाट सिख लगते नहीं। एक जाट सिख दाढ़ी रखता है और सिर पर पगड़ी पहनता है। आप को संशोधित जाट सिख कहना ज्यादा अच्छा होगा। पंढेर की इस बात पर जनरल बरार तमतमा उठे और सर्जिकल ऑपरेशन की योजना पर अड़ गए। जनरल कुलदीप सिंह बरार का रुख देख पंढेर ने कहा कि मुझे लिखित में आदेश मिलना चाहिए कि मुझे और मेरी फौज को क्या करना है, क्योंकि बाद में पूरे मामले की रिटायर्ड जज के नेतृत्व में जांच हो सकती है।

Advertisement

DIG को छुट्टी पर भेज दिया गया

सिद्धू लिखते हैं कि इस मीटिंग के ठीक बाद पंढेर ने बीएसएफ हेडक्वार्टर को एक रिपोर्ट भेज दी। जिसमें मेजर जनरल बरार के सर्जिकल ऑपरेशन की पूरी योजना और अपने सुझाव का हवाला दिया। अगले दिन 4 जून को जब जनरल बरार को उस रिपोर्ट की कॉपी मिली तो सुबह 10 बजे दोबारा मीटिंग बुला ली। इस मीटिंग में पंढेर से पूछा कि आखिर उन्होंने बीएसएफ हेडक्वार्टर को रिपोर्ट क्यों भेजी?

Advertisement

पंढेर ने कहा कि उनका कर्तव्य बनता है कि अपने आला अफसरों को पूरी बात बताएं और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे। मेजर जनरल बरार को DIG पंढेर का यह जवाब पसंद नहीं आया। उन्होंने फौरन पंढेर को डीआईजी के प्रभार से हटवा दिया और 30 दिनों की लंबी छुट्टी पर उनके लुधियाना स्थित गांव भेज दिया।

CBI भी पड़ गई थी पीछे

जनरल बरार इतने नाराज हुए कि संविधान के आर्टिकल 311 के तहत पंढेर की सेवा समाप्त करने की सिफारिश तक कर डाली। जीबीएस सिद्धू लिखते हैं कि सीआईडी और सीबीआई को पंढेर के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने को कह दिया गया। उनके गांव से लेकर दिल्ली स्थित सरकारी फ्लैट की तलाशी ली गई। सारे सर्विस रिकॉर्ड खंगाले गए लेकिन पंढेर के खिलाफ कुछ खास मिला नहीं। साल 1985 में जीएस पंढेर को दोबारा उनके मूल कैडर मणिपुर वापस भेज दिया गया। पंढेर बाद में मणिपुर पुलिस के डीजी भी बने।

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
tlbr_img1 राष्ट्रीय tlbr_img2 ऑडियो tlbr_img3 गैलरी tlbr_img4 वीडियो