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Kaur Singh Died: नहीं रहे मोहम्मद अली से लड़ने वाले इकलौते भारतीय बॉक्सर कौर सिंह; कृषि कानूनों के विरोध में एशियन गोल्ड मेडलिस्ट ने लौटा दिए थे ये अवार्ड

संगरूर के खनाल खुर्द गांव के एक किसान परिवार से आने वाले कौर सिंह 1971 में सेना में शामिल हुए थे। साल 1982 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1984 लॉस एंजिलिस में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
Written by: राखी जग्गा | Edited By: AALOK SRIVASTAVA
Updated: April 28, 2023 13:45 IST
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भारतीय मुक्केबाज और पद्मश्री सम्मानित कौर सिंह ने 1982 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और 1986 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। (सोर्स- एक्सप्रेस/ट्विटर)
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1982 Asian Games Gold Medalist Kaur Singh Died: एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज और महान बॉक्सर मोहम्मद अली के खिलाफ लड़ने वाले एकमात्र भारतीय कौर सिंह का गुरुवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 साल के थे और कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। कौर सिंह के दो बेटे और एक बेटी है।

संगरूर के खनाल खुर्द गांव के एक किसान परिवार से आने वाले कौर सिंह 1971 में सेना में शामिल हुए। वह 1972 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में राजस्थान के बाड़मेर सेक्टर में मोर्चे पर थे। बाद में उन्हें सेना पदक से सम्मानित किया गया था। सेना में कार्यकाल के दौरान कौर सिंह की मुक्केबाजी यात्रा शुरू हुई थी।

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कौर सिंह ने 1979 में पहली बार सीनियर राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और स्वर्ण पदक जीता। कौर सिंह ने 1983 तक लगातार चार वर्षों तक इस उपलब्धि को दोहराया। इस बीच उन्होंने 1980 में मुंबई में आयोजित एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

कौर सिंह 1982 में एक राष्ट्रीय नायक के रूप में उभरे। उन्होंने नई दिल्ली में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1982 में दूसरा सबसे बड़े खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया।

एक साल बाद मुक्केबाजी में उनके योगदान के लिए कौर सिंह को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कौर सिंह ने लॉस एंजिलिस में आयोजित 1984 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। कौर सिंह ने 1984 में बॉक्सिंग को अलविदा कह दिया।

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दिलचस्प बात यह है कि कौर सिंह ने 1980 में नई दिल्ली में आयोजित चार राउंड के प्रदर्शनी मैच में मोहम्मद अली के साथ मुकाबला किया था। वह 1994 में सेना से रिटायर हुए। कौर सिंह को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए 1988 में विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया।

दिसंबर 2020 में कौर सिंह ने पंजाब के कई अन्य लोगों के साथ मिलकर पद्मश्री पुरस्कार और अर्जुन अवार्ड केंद्र को उन किसानों के समर्थन में लौटा दिया था जो कृषि कानूनों (अब निरस्त हो चुके हैं) का विरोध कर रहे थे। रिटायरमेंट के बाद कौर सिंह गांव में खेती करने लगे। स्थानीय लोग बताते हैं कि कौर सिंह के हस्तक्षेप के बाद ही नहर का पानी उनके गांव तक पहुंचा। यही नहीं उन्होंने टोले को कई अन्य सुविधाएं दिलाने में भी मदद की।

साल 2020 में कौर सिंह पर एक बायोपिक रिलीज होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे जुलाई 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। इस फिल्म में अभिनेता करम बाथ ने महान मुक्केबाज की भूमिका निभाई है। फिल्म में दिखाया गया है कि अनुभवी मुक्केबाज ने किस तरह सरकारों से पुरस्कार राशि लेने के लिए संघर्ष किया।

इस महीने की शुरुआत में पंजाब सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में 4 दिग्गज एथलीट्स की जीवन गाथाओं को प्रकाशित करने की योजना का ऐलान किया था। हॉकी आइकन बलबीर सिंह सीनियर, महान एथलीट मिल्खा सिंह और ओलंपियन गुरबचन सिंह रंधावा के साथ कौर सिंह उनमें से एक हैं।

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