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अफजाल अंसारी की चली जाएगी संसद सदस्यता? इलाहाबाद हाई कोर्ट पर टिकीं सभी की निगाहें; जानिए पूरा मामला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट अगर अफजाल अंसारी को दोषी करार देता है तो उनकी संसद सदस्यता चली जाएगी।
Written by: न्यूज डेस्क
Updated: July 05, 2024 07:40 IST
अफजाल अंसारी की चली जाएगी संसद सदस्यता  इलाहाबाद हाई कोर्ट पर टिकीं सभी की निगाहें  जानिए पूरा मामला
Allahabad High Court: अफजाल अंसारी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। (Express archive)
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Afzal Ansari: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी द्वारा दायर आपराधिक अपील पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अंसारी ने 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई चार साल की सजा को चुनौती दी थी।

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अंसारी की याचिका के साथ ही हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और राय के बेटे पीयूष कुमार राय की याचिकाओं पर भी सुनवाई की, जिसमें अंसारी की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी। जस्टिस संजय कुमार सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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अगर हाईकोर्ट ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखता है तो अंसारी की संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर सीट जीती थी।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, किसी भी सांसद या राज्य विधायक को दो वर्ष या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाए जाने पर उसे “ऐसी सजा की तारीख से” अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा तथा सजा पूरी करने के बाद वह अगले छह वर्षों तक अयोग्य बना रहेगा।

इससे पहले गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद अंसारी को सांसद पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में मौजूदा आपराधिक अपील दायर की थी।

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24 जुलाई 2023 को हाई कोर्ट ने पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके अफजाल अंसारी को जमानत दे दी, लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। नतीजतन, हालांकि उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी संसद की सदस्यता बहाल नहीं हुई।

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी, जिसके परिणामस्वरूप उनकी संसद की सदस्यता बहाल हो गई और वे लोकसभा चुनाव लड़ने के भी पात्र हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई में तेज़ी लाने का निर्देश दिया था।

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