scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

क्या है सेंगोल? नई संसद में स्थापित होने के बाद अब क्यों हो रही चर्चा

पिछले साल नई संसद के उद्घाटन के संगोल को स्पीकर के पास स्थापित किया गया था लेकिन अब नई सरकार बनने के बाद एक बार फिर सेंगोल पर विवाद हो रहा है।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | June 27, 2024 14:55 IST
क्या है सेंगोल  नई संसद में स्थापित होने के बाद अब क्यों हो रही चर्चा
सेंगोल को लेकर एक बार फिर मचा बवाल (सोर्स - PTI/File)
Advertisement

Sengol Controversy: संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास लगे सेंगोल को लेकर नया विवाद हो गया है। लोकसभा सांसद की शपथ लेने के साथ ही समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने तत्कालीन स्पीकर को पत्र लिखकर मांग कर डाली कि संसद से सेंगोल हटाया जाना चाहिए, और वहां संविधान की एक प्रति लगाई जाने चाहिए। आरके चौधरी ने कहा है कि यह राजशाही प्रतीक है, जबकि देश में लोकतंत्र का राज है।

Advertisement

आरके चौधरी के इस पत्र को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि मुझे लगता है कि हमारे सांसद शायद ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब इसे (सेंगोल) स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने इसके सामने सिर झुकाया था। शायद शपथ लेते वक्त वह इसे भूल गए, हो सकता है कि मेरी पार्टी ने उन्हें यह याद दिलाने के लिए ऐसा कहा हो। जब प्रधानमंत्री इसके सामने सिर झुकाना भूल गए, तो शायद वह भी कुछ और चाहते थे।

Advertisement

सेंगोल को लेकर कांग्रेस ने किया सपा का समर्थन

वहीं कांग्रेस पार्टी ने सेंगोल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी का समर्थन किया है। पार्टी ने कहा कि सेंगोल पर एसपी की मांग गलत नहीं है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि बीजेपी ने अपनी मर्जी से सेंगोल लगा दिया। सपा की मांग गलत नहीं है। सदन तो सबको साथ लेकर चलती है लेकिन बीजेपी सिर्फ मनमानी करती है।

बीजेपी ने बताया गुमराह कराने की नीति

बीजेपी के लोकसभा सांसद खगेन मुर्मू ने आरके चौधरी के बयान पर कहा कि इन लोगों को कोई दूसरा काम नहीं है। इन्होंने संविधान के बारे में गुमराह किया है। ये लोग संविधान को मानते ही नहीं हैं। मोदी जी संविधान को बहुत सम्मान देते हैं। वहीं सपा के बयान पर बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि सेंगोल राष्ट्र का प्रतीक है। सेंगोल को स्थापित किया गया था, उसको अब कोई नहीं हटा सकता।

Advertisement

सेंगोल का क्या है इतिहास

अब सवाल उठता है कि आखिर यह सेंगोल क्या है जिसको लेकर नए सिरे से विवाद हो रहा है। संसद में स्थापित किए गए सेंगोल का आधुनिक इतिहास भारत की आजादी के साथ जुड़ा हुआ सामने आया है, जब तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया।

सत्ता हस्तांतरण को लेकर थी अहमियत

इसके अलावा प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो सेंगोल के सूत्र चोल राज शासनकाल से जुड़ते हैं, जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा, नए बने राजा को सेंगोल सौंपता था। यह सेंगोल राज्य का उत्तराधिकार सौंपे जाने का जीता-जागता प्रमाण होता था और राज्य को न्यायोचित तरीके से चलाने का निर्देश भी होता है।

राजदंड से है संबंध

सेंगोल के इतिहास को लेकर इतिहास पर नजर डालें तो तमिल शब्द 'सेम्मई' से बताई गई है। सेम्मई का अर्थ है 'नीतिपरायणता', यानी सेंगोल को धारण करने वाले पर यह विश्वास किया जाता है कि वह नीतियों का पालन करेगा। यही राजदंड कहलाता था, जो राजा को न्याय सम्मत दंड देने का अधिकारी बनाता था। परंपरा के अनुसार राज्याभिषेक के समय, राजा के गुरु के नए शासक को औपचारिक तोर पर राजदंड उन्हें सौंपा करते थे।

रामायण-महाभारत से भी जुड़ा है इतिहास

सेंगोल को लेकर जिक्र रामायण-महाभारत के कथा में भी मिलता है। इनके प्रसंगों में भी ऐसे उत्तराधिकार सौंपे जाने के ऐसे जिक्र मिलते रहे हैं। इन कथाओं में राजतिलक होना, राजमुकुट पहनाना सत्ता सौंपने के प्रतीकों के तौर पर इस्तेमाल होता दिखता है, लेकिन इसी के साथ राजा को धातु की एक छड़ी भी सौंपी जाती थी, जिसे राजदंड कहा जाता था। इसका जिक्र महाभारत में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के दौरान भी मिलता है।

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो