scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

ये परंपरा बेहद खतरनाक... ममता बनर्जी ने अदालतों को दी नसीहत तो CJI चंद्रचूड़ ने लगा दी क्लास

ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 88 फास्ट ट्रैक अदालतें हैं, जिसमें से 55 केवल महिलाओं के लिए हैं।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Nitesh Dubey
नई दिल्ली | Updated: June 30, 2024 00:26 IST
ये परंपरा बेहद खतरनाक    ममता बनर्जी ने अदालतों को दी नसीहत तो cji चंद्रचूड़ ने लगा दी क्लास
ममता बनर्जी और सीजेआई चंद्रचूड़ एक कार्यक्रम में (PTI PHOTO)
Advertisement

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को न्यायपालिका को लेकर बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष, ईमानदार और पवित्र होना चाहिए। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे।

ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 88 फास्ट ट्रैक अदालतें हैं, जिसमें से 55 केवल महिलाओं के लिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में 99 मानवधिकार अदालतें हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि देश की न्यायपालिका को पूरी तरह निष्पक्ष होना चाहिए और गोपनीयता भी बरकरार रखनी चाहिए।

Advertisement

ममता बनर्जी को CJI ने दिया जवाब

ममता बनर्जी ने कहा कि न्याय तंत्र हमारे लिए पवित्र मंदिर, चर्च, मस्जिद या गुरुद्वारे की तरह है। ममता बनर्जी के बयान पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों की तुलना भगवान से करने की परंपरा खतरनाक है, क्योंकि हमारी जिम्मेदारी आम लोगों के हित में काम करने की है। उन्होंने कहा, "हमे ऑनर या लॉर्डशिप कहकर संबोधित किया जाता है। जब लोग अदालत को न्याय का मंदिर बताते हैं तो एक बड़ा खतरा है। बड़ा खतरा है कि हम खुद को उन मंदिरों में बैठे भगवान मानने लगते हैं।"

सीजेआई चंद्रचूड़ ने लगा दी ममता की क्लास

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उनसे कहा जाता है कि अदालत न्याय का मंदिर होता है तो वह कुछ बोल नहीं पाते हैं क्योंकि मंदिर का मतलब है कि जज भगवान की जगह हैं। चंद्रचूड़ ने कहा कि बल्कि मैं कहना चाहूंगा कि जजों का काम लोगों की सेवा करना है।

Advertisement

चंद्रचूड़ जब यह बोल रहे थे तब ममता बनर्जी भी यहां बैठी थीं। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आप खुद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखेंगे जिनका काम लोगों की सेवा करना है तो आपके अंदर दूसरे के प्रति संवेदना और पूर्वाग्रह मुक्त न्याय करने का भाव पैदा होगा। उन्होंने कहा कि किसी क्रिमिनल केस में भी सजा सुनाते समय जज संवेदना के साथ ऐसा करते हैं क्योंकि अंतिम में किसी इंसान को सजा सुनाई जा रही है।

Advertisement

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो