थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर म्यांमार में बंदी बनाए गए 20 भारतीय, विदेश मंत्रालय से लगाई गुहार
थाईलैंड में नौकरी की उम्मीद लिए 20 भारतीय नागरिक अब म्यांमार में गुलामों जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं और भारत लौटना चाहते हैं। वे अपनी रिहाई की तलाश में विदेश मंत्रालय (एमईए) से मदद मांग रहे हैं। उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने शुक्रवार को मीडिया से इस बात की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने कैराना के भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी को इस मुद्दे के बार में बताया था और उन्होंने विदेश मंत्री को एक लेटर भी लिखा है।
क्या है मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक कथित तौर पर इनमें से एक मजदूर ने दो वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उनकी म्यांमार में कितनी बदतर हालत हो चुकी है।
वीडियो में सुना जा सकता है कि उनमें से व्यक्ति कहता है, "एक शख्स की मृत्यु हो गई है और एक लड़की सिर की गंभीर चोटों से जूझ रही है, इन लोगों को दुबई के एजेंट ने अपने झांसे में लिया था और इन सबको अब म्यांमार में बंदी बनाकर रखा जा रहा है, जहां उनका हर दिन बुरी तरह शोषण किया जाता है।"
वीडियो में क्या है?
जानकारी के मुताबिक 83 सेकंड के वीडियो में 20 भारतियों में से एक कुलदीप ने कहा, "हमारे परिवारों ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया है, लेकिन हमारे वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए जाने के बावजूद अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। यहां एक व्यक्ति की पहले ही मृत्यु हो चुकी है, और उनकी एक लड़की भी है (उनके साथ) जिसे पिटाई के कारण सिर में चोट लगी है, हम अगले हो सकते हैं या तो वे हमें मार डालेंगे, या हमें कठोर कदम उठाना पड़ेगा।”
कुलदीप ने आगे कहा, "हमें दिन में 18 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और केवल दो कटोरे चावल दिए जाते हैं। अगर हम ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो हमें पीटा जाता है और सजा के तौर पर हमें 10 किलोमीटर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। हम विदेश मंत्रालय से हमें बचाने के लिए सख्त आग्रह करते हैं।"
कुलदीप के भाई राहुल कुमार ने TOI को बताया, "कुलदीप ने गुप्त रूप से एक छिपे हुए फोन से ये वीडियो रिकॉर्ड किए। वह 22 अप्रैल को सहारनपुर से निकले थे फिर दिल्ली से बैंकॉक गए। वहां से उन्हें बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर माई सॉट हवाई अड्डे पर ले जाया गया। आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें म्यांमार के एक जंगल में ले जाया गया और तब से वह वहां गुलामों जैसी ज़िंदगी जी रहे हैं।"
राहुल कुमार ने आगे कहा,"मेरे भाई को अन्य लोगों के साथ जिन वाहनों में ले जाया गया वह लगभग 5-6 घंटे तक लगातार चलते रहे, जिससे उन्हें यह आभास हुआ कि उनकी कैद की जगह हवाई अड्डे से लगभग सौ किमी दूर थी। लेकिन ऐसा नहीं है, यह म्यावाड्डी इलाका है जो माई सॉट हवाई अड्डे से सिर्फ 5 किमी दूर है म्यांमार में ही है। अब म्यांमार की जिस कंपनी ने उन्हें बंधक बनाया है, उसका कहना है कि उन्होंने भारतीयों को 7,500 डॉलर में खरीदा है।"