Lok Sabha Chunav Results Analysis: UP में सपा के दमदार प्रदर्शन के पीछे ये तीन फैक्टर, क्यों पिछड़ गई BJP? समझिए
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर बीजेपी को झटका दिया है। BJP की संख्या इस बार 62 से गिरकर 33 सीटों पर आ गई है। कांग्रेस का प्रदर्शन भी उत्तर प्रदेश में काफी बेहतर हुआ है, यहां कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली है।
लोकसभा चुनाव-2019 में सपा को यूपी में सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी। तब बसपा और सपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। बीजेपी की संख्या तब 62 थी और बसपा को 10 लोकसभा सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी।
इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने गठबंधन (INDIA) में रहते हुए कांग्रेस के साथ मिलकर 62 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस 17 सीटों से मैदान में थी। सामाजवादी पार्टी ने रणनीतिक तौर पर अपने खोए हुए MY (मुस्लिम-यादव) वोट को हासिल करने का प्लान बनाया था और उनकी नजर गैर-यादव OBC वोटों पर भी थी।
समाजवादी पार्टी ने यादव कम्यूनिटी से 62 सीटों में से सिर्फ 5 उम्मीदवार उतारे थे और यह सभी मुलायम परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 2019 में सपा ने 10 यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था।
MY से PDA के नारे तक : असरअंदाज़ रहा अखिलेश का कैंपेन
इस चुनाव में अखिलेश यादव ने वोट बेस MY- (मुस्लिम-यादव) को PDA (पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक) में बदलने की कोशिश की और और वह इसमें कामयाब भी हुए। सपा ने जहां सिर्फ 5 टिकट यादवों को दिए वहीं बाकी टिकट नॉन यादव ओबीसी, 11 अपर कास्ट 4 मुस्लिम उम्मीदवारों और 15 आरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया।
चुनावों से पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि अधिकांश पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक एकजुट होकर सपा के पीडीए के मुद्दे का समर्थन करेंगे, जिसके कारण इस बार BJP के समीकरण और पिछले फॉर्मूले विफल हो जाएंगे। अखिलेश ने कहा था कि एक सर्वे के मुताबिक PDA में यकीन करने वालों में 49% पिछड़े है, 16% दलितों को पीडीए में विश्वास है, 21% अल्पसंख्यक PDA में यकीन रखते हैं। अखिलेश यादव ने यह भी कहा था कि उनके PDA फोर्मूले के बाद बीजेपी के पास इसका कोई जवाब मौजूद नहीं है।
टिकट बंटवारा : समाजवादी पार्टी का खास प्लान
उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी के इस प्रदर्शन के पीछे कई फैक्टर चर्चा में हैं, इनमे से एक टिकट बंटवारा भी है। जैसा हमने ऊपर लिखा है इस चुनाव में सपा ने गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को काफी आगे रखने की कोशिश की है। सपा ने सिर्फ 5 यादवों को उम्मीदवार बनाया तो वहीं 27 गैर नॉन ओबीसी उम्मीदवार सपा से मैदान में थे। जिनमें-11 अपर कास्ट (ब्राह्मण उम्मीदवारों समेत) दो ठाकुर, दो वैश्य उम्मीदवार एक खत्री और 4 मुस्लिमों को मैदान में उतारा था जबकि 15 दलित उम्मीदवार SC आरक्षित सीटों से मैदान में थे।
सपा ने इस चुनाव में कई पिछले उम्मीदवारों को लोकल सतह पर फीडबैक लेने के बाद नहीं दोहराया, यह भी एक बेहतरीन रणनीति साबित हुई है। सपा के मुक़ाबले BJP ने अपने 75 उम्मीदवारों में 34 अपर कास्ट (16 ब्राह्मण, 13 ठाकुर, 2 वैश्य और 3 अन्य अपर कास्ट) उम्मीदवारों को टिकट दिए थे। बीजेपी ने 25 OBC उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें एक यादव उम्मीदवार (दिनेश लाल यादव) को आजमगढ़ से उम्मीदवार बनाया था।
चुनाव कैंपेन का तरीका : अखिलेश ने जमाया रंग
इंडिया गठबंधन और बीजेपी के प्रचार के तरीके भी थोड़े अलग दिखाई दिए। जहां इंडिया गठबंधन ने प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव जैसे बड़े नेताओं को एक मंच पर लाकर लोगों से कनेक्ट कारया वहीं बीजेपी का कैंपेन पीएम मोदी पर केन्द्रित रहा।
कांग्रेस ने लोकल सतह पर प्लान बनाकर लोगों से कनेक्ट किया वहीं अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने आखिरी चरणों में कई सीटों पर पहुंचकर रंग जमाया। उनकी रैलियों में आने वाली भीड़ सोशल मीडिया को काफी प्रभावित कर रही थी। पीएम मोदी ने कई रैलियों में धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर बात की, यह पुराने चुनवाई प्रचार को दोहराने जैसा था जबकि इंडिया गठबंधन की लाइन आरक्षण और महंगाई जैसे मुद्दों पर टिकी हुई दिखाई दी।