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Pune Porsche Crash Case: पुणे में पोर्शे कार से 2 लोगों को रौंदने वाले नाबालिग को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत, रिमांड आदेश को बताया अवैध

बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दुर्घटना में अपनों को खोने वाला पीड़ित परिवार सदमे में हैं। लेकिन शराब के नशे में हादसे को अंजाम देने वाला किशोर भी सदमे में है।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: June 25, 2024 17:49 IST
pune porsche crash case  पुणे में पोर्शे कार से 2 लोगों को रौंदने वाले नाबालिग को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत  रिमांड आदेश को बताया अवैध
पुणे में पोर्शे कार से एक्सीडेंट। (इमेज-एक्सप्रेस फोटो)
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Pune Porsche Crash Case: महाराष्ट्र के पुणे शहर में लक्जरी कार पोर्शे से पिछले महीने दो इंजीनियरों की जान लेने वाले नाबालिग आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। साथ ही उसे तुरंत बाल सुधार गृह से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध चाहे कितना गंभीर क्यों ना हो हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते।

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दुर्घटना में अपनों को खोने वाला पीड़ित परिवार सदमे में हैं। लेकिन शराब के नशे में हादसे को अंजाम देने वाला किशोर भी सदमे में है। स्वाभाविक रूप से इसका असर उसके दिमाग पर पड़ा होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह आदेश आरोपी लड़के की आंटी की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। पिछले हफ्ते दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। 21 जून को जस्टिस भारती एच डांगरे और मंजूषा ए देशपांडे की बेंच ने सुनवाई पूरी की और अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

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याचिकर्ता के वकील ने क्या कहा

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने तर्क दिया कि जमानत मिलने के बाद जब उसे बाल सुधार गृह में हिरासत में रखा गया तो यह एक व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकारों पर हमला है। इसके बाद बेंच ने पुलिस से पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत जमानत आदेश में संशोधन किया गया और उसे किस तरह हिरासत में रखा गया। बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था।

एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। बेंच ने कहा कि आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का मुख्य उद्देश्य है। वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि आज तक पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड के जमानत आदेश को रद्द करने के लिए अपीलीय कोर्ट में कोई आवेदन दायर नहीं किया है। हालांकि, पुलिस ने जमानत के आदेश में संशोधन करने के लिए संपर्क किया था और इसको मंजूर भी कर लिया था।

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पुलिस की तरफ से पेश वकली ने क्या दलील दी

पुलिस की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने जेजेबी के रिमांड आदेश को बिल्कुल सही ठहराया और हाईकोर्ट से इस मामले में दखल ना देने का आग्रह किया। वेनेगांवकर ने कहा कि नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है ताकि समाज में एक कड़ा संदेश जा सके।

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