ना फैक्ट चेक,ना पलट कर किया गया सवाल, पीएम मोदी के अब तक हुए 41 इंटरव्यू पर क्यों उठते हैं ये सवाल?
प्रधानमंत्री नरेंद्र एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च से 14 मई (अपने नामांकन) के दिन तक 41 इंटरव्यू दे चुके हैं। राहुल गांधी ने अपनी हालिया रैलियों में पीएम के ऐसे कई साक्षात्कारों का ज़िक्र किया है और सवाल भी उठाए हैं।
पीएम के इन इंटरव्यूज़ के दौरान फ़ैक्ट चेक की कमी और पत्रकारों की ओर से काउंटर सवाल ना होने पर भी सवाल उठाए गए हैं। Scroll.in ने पीएम के ऐसे इंटरव्यूज़ की पड़ताल की है। जिसमें एक हिस्सा फ़ैक्ट-चेक से जुड़ा है, जिनमें पीएम के कई दावे गलत पाए गए हैं।
ना काउंटर सवाल ना फ़ैक्ट-चेक
जब पीएम ने इन इंटरव्यूज़ के दौरान कुछ ऐसी बातें कहीं जिन्हें तथ्यात्मक तौर पर गलत पाया गया है---तब इंटरव्यू ले रहे पत्रकारों ने काउंटर सवाल नहीं किया। Scroll.in ने ऐसे कुछ हिस्सों का ज़िक्र अपनी पड़ताल में किया है।
उदाहरण के लिए हिंदुस्तान टाइम्स के साथ इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी से जब प्रज्वल रेवन्ना और पीएम के 'कांग्रेस द्वारा मंगलसूत्र जब्त किए जाने' जैसे बयानों पर सवाल किया तो पीएम ने कहा, 'दरअसल, मुझे इस बात पर आश्चर्य है कि मीडिया ने कांग्रेस के प्रिंस (राहुल गांधी) के खतरनाक बयानों और उनके घोषणापत्र के विनाशकारी विचारों पर गहराई से गौर नहीं किया। इसलिए मुझे ये मुद्दे उठाने पड़े।'
रेवन्ना मामले पर पीएम मोदी ने कहा कि वह ऐसे मुद्दों के प्रति शून्य सहिष्णुता रखते हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस का भी पहले रेवन्ना की पार्टी के साथ संबंध रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकारों ने पीएम की इस बात का काउंटर नहीं किया और पलट कर यह नहीं कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में संपत्ति के बंटवारे और खास कर मंगलसूत्र का कोई ज़िक्र ही नहीं है। अखबार ने यह भी नहीं पूछा कि रेवन्ना देश से भागने में कैसे कामयाब रहे?
प्रज्वल रेवन्ना के बारे में मोदी से सवाल करने वाले तीन आउटलेट्स में से एक टाइम्स नाउ पर पीएम ने अपनी 'जीरो टॉलरेंस' लाइन दोहराई और कहा कि 'यह एक कानून और व्यवस्था का मामला था जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार थी। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है।' टाइम्स नाउ की एडिटर इन चीफ ने बात आगे बढ़ाते हुए सिर्फ इतना पूछा कि 'क्या आप उसे (रेवन्ना) वापस लाएंगे?'
इस इंटरव्यू के दौरान टाइम्स नाउ के एक और एडिटर सुशांत सिन्हा ने पीएम मोदी से शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति देने के खतरों के बारे में सवाल पूछा---यह एक ऐसा मामला है जिसे लेकर पीएम ने झूठा दावा किया है कि इसका उल्लेख कांग्रेस के घोषणापत्र में किया गया है, जबकि ऐसा नहीं है।
टीवी9 नेटवर्क के पत्रकारों ने इंटरव्यू में पीएम मोदी से विपक्ष के इस दावे पर सवाल किया कि भाजपा 400 सीटों का बहुमत इसलिए चाहती है ताकि वह संविधान को बदल सके।
पीएम मोदी ने इस सवाल का लंबा जवाब दिया कि कैसे कांग्रेस ने कई मौकों पर संविधान को कमजोर किया है। लेकिन पत्रकारों ने पलट कर यह नहीं पूछा कि चार भाजपा नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी भारी बहुमत की मांग कर रही है ताकि वह संविधान में बदलाव कर सके। उदाहरण के तौर पर हम नागौर से बीजेपी उम्मीदवार ज्योति मिर्धा के बयान को ले सकते हैं।
पीएम मोदी से इलेक्टोरल बॉन्ड पर सिर्फ चार इंटरव्यू में ही सवाल पूछे गए। अपने जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि यह योजना पारदर्शी थी और इसे रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चुनावी प्रक्रिया में काले धन का प्रवाह बढ़ जाएगा। किसी भी इंटरव्यू में पीएम मोदी से बॉन्ड के ज़रिए बीजेपी को हुए मुनाफ़ों पर सवाल नहीं किया गया।
कोरोना पर कोई सवाल नहीं, मणिपुर पर सिर्फ एक सवाल
पीएम मोदी के इन साक्षात्कारों में पत्रकारों ने उनसे उनके कार्यकाल के ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में बहुत ज़्यादा सवाल नहीं पूछे। 41 साक्षात्कारों में मोदी सरकार के कोरोनोवायरस महामारी से निपटने और उस दौरान हुई असुविधाओं को लेकर पीएम से एक भी प्रश्न नहीं पूछा गया। किसी भी इंटरव्यू में भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के बारे में सवाल नहीं पूछा गया।
क्षेत्रीय अखबार भी क्षेत्रीय मुद्दों पर सवाल पूछते नहीं दिखाई दिए। खासकर उत्तराखंड की बात करें तो दो प्रदेश के दो अखबारों ने पीएम का इंटरव्यू किया लेकिन अग्निपथ स्कीम पर एक भी सवाल नहीं पूछा गया जबकि उत्तराखंड में यह मुद्दा काफी चर्चित है। इसके अलावा द असम ट्रिब्यून और बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका के साथ हुए पीएम मोदी के इंटरव्यू में नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में कोई सवाल नहीं था। यह असम और बंगाल में प्रमुख चुनावी मुद्दा है।