वीके पांडियन के बाय-बाय करने के बाद नवीन पटनायक और बीजेडी पर संकट भारी, विधायकों को एकजुट रखने की बड़ी चुनौती
24 सालों तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल पर संकट नजर आ रहा है। एक तरफ जहां पार्टी और विधायकों को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है। वहीं विपक्ष की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। ये सारी समस्या इस वजह से सामने आ रही है क्योंकि उम्रदराज पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का शरीर अब साथ पहले की तरह साथ नहीं दे रहा है। ऐसे हालातों में अब पार्टी के उत्तराधिकारी माने जा रहे पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन भी राजनीति को बाय-बाय बोल चुके हैं।
बीते मंगल को लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आए। इसी दिन ओडिशा विधानसभा चुनाव के भी नतीजे आए। जिसमें पिछले 24 साल से सत्ता में काबिज बीजेडी को बीजेपी के हाथों पटखनी मिली। राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से पार्टी के खाते में 51 सीटें आईं। जबकि बीजेपी ने बहुमत के जादुई आंकड़े 74 को पार करते हुए 78 सीटों पर जीत दर्ज की।
पूरे चुनाव में पटनायक के साथ साये की तरह नजर आने वाले वीके पांडियन का राजनीति से मोह भंग हो गया। उन्होंने बीते रविवार को अपनी राजनीति को विराम देने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद बीजेडी के भविष्य को लेकर संकट नजर आ रहा है।
इससे पहले भी नवीन पटनायक अपने विश्वसनीय अधिकारियों पर भरोसा कर इशारों पर सरकार को चलाते हैं। इसी वजह से पार्टी के ज्यादातर सीनियर नेता बाहर चले गए या पटनायक ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया। बाहर जाने वालों में बहुतायत नेताओं का पटनायक पर आरोप था उनका पूरा काम वीके पंडियन ही संभालते हैं। बाहर जाने वाले नेताओं में बैजयंत पांडा, दामोदर राउत, प्रदीप पानीगढ़ी आदि नेता शामिल थे।
साल 2019 में हुए चुनाव के बाद से ही वीके पांडियन पटनायक के ज्यादा करीब पहुंच चुके थे। उनको सार्वजनिक जगहों पर कम और नवीन पटनायक के आवास पर दूत के रूप में मौजूद पाया जाने लगा था। वो पटनायक के साथ ही राज्य में घूम रहे थे। इसी वजह से 2019 में पांचवी बार सत्ता संभालने के बाद पटनायक ने पांडियन को ओडिशा सरकार की नई पहल 5T (टीमवर्क, तकनीक, पारदर्शिता, परिवर्तन और समय) का सचिव बनाया था।