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'मुस्लिम महिलाएं BJP से खुश नहीं, मैं उन्हें शिक्षा के मैदान में आगे ले जाऊंगी', कैराना सांसद इकरा हसन का INTERVIEW

INTERVIEW: इकरा हसन के दादा अख्तर हसन और उनके पिता मुनव्वर हसन पूर्व सांसद उनकी मां तबस्सुम हसन भी सांसद रह चुके हैं।
Written by: Asad Rehman | Edited By: Mohammad Qasim
नई दिल्ली | Updated: June 10, 2024 13:29 IST
 मुस्लिम महिलाएं bjp से खुश नहीं  मैं उन्हें शिक्षा के मैदान में आगे ले जाऊंगी   कैराना सांसद इकरा हसन का interview
कैराना लोकसभा से इकरा हसन ने जीत दर्ज की है। (Photo : X Iqra hasan)
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उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा जीत दर्ज करने के बाद इकरा हसन काफी चर्चा में हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए मौजूदा भाजपा सांसद प्रदीप कुमार को 69,116 मतों से हराया है। इससे पहले उनके दादा अख्तर हसन और उनके पिता मुनव्वर हसन पूर्व सांसद उनकी मां तबस्सुम हसन भी सांसद रह चुके हैं। इकरा हसन के बड़े भाई नाहिद हसन तीन बार के सपा विधायक हैं, जिन्होंने 2022 के यूपी चुनावों में जेल से चुनाव लड़ते हुए अपनी कैराना विधानसभा सीट बरकरार रखी थी।

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कैराना लोकसभा 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से प्रभावित इलाकों में शामिल रहा एक इलाका है। यहां की नवनिर्वाचित सांसद इकरा हसन ने अलग-अलग मुद्दों पर द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात की है।

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सवाल : आपका चुनावी अभियान कैसा था, किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

यहां अहम मुद्दा यह था कि 'डबल इंजन' वाली भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया है। मौजूदा सांसद (प्रदीप कुमार) के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी, जो ज़मीन पर सक्रिय नहीं थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे थे। इस बार भाजपा का हिंदू-मुस्लिम एजेंडा और उसका राष्ट्रवाद प्रचार काम नहीं आया क्योंकि किसानों की समस्याओं और गन्ने से जुड़ी समस्याओं जैसे स्थानीय मुद्दे ही यहां चल रहे थे।

पूरे देश की तरह बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे यहां भी मौजूद थे। हमने भाईचारा को बनाए रखने की लड़ाई लड़ी क्योंकि यह वही जगह है जहां 2013 के दंगे हुए थे। तब से एक विभाजन की भावना है। लेकिन अब यह बेहतर हो रहा है और इसका एक उदाहरण इस सीट से एक मुसलमान की जीत है जिसे सबने वोट दिया है।

सवाल : संसद में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कम होने के क्या कारण हैं?

मैं एक मुस्लिम सांसद हूं लेकिन मेरे पास अपने क्षेत्र के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी है। मैं संसद में अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाऊंगी लेकिन अगर समुदाय के साथ कोई घोर अन्याय होता है तो मैं उसके भी खिलाफ खड़ी रहूंगी।

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सवाल : कांग्रेस और सपा ने अपने प्रचार में मुसलमानों के बारे में बोलने से परहेज किया। कांग्रेस के घोषणापत्र में मुसलमान शब्द नहीं था, इसपर क्या कहना है?

उसमें तो हिंदू शब्द का भी कोई ज़िक्र नहीं था। धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए और किसी एक धर्म के बारे में नकारात्मक या सकारात्मक बात करना ग़लत है। देश को मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। कैराना में यही हुआ है।

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सवाल : इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी में सिर्फ़ चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिनमें आप भी शामिल हैं। क्या आपको लगता है कि सपा अपना मुस्लिम समर्थक टैग हटाना चाहती है?

हमारी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्याक) का नारा दिया, जिसमें अल्पसंख्यकों का जिक्र है। उन्होंने स्थिति को समझा और उसी के अनुसार उम्मीदवारों का चयन किया। इससे पार्टी को फायदा हुआ और लोकतंत्र को मजबूत करते हुए इंडिया ब्लॉक को मजबूती मिली।

सवाल : अगले पांच वर्षों के लिए कैराना के लिए आपका फोकस क्षेत्र क्या है?

मैं इस क्षेत्र में महिलाओं की उच्च शिक्षा के लिए काम करना चाहती हूं क्योंकि यहां कोई शिक्षण संस्थान नहीं है। इसके अलावा, मैं किसानों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े मुद्दों पर भी काम करूंगी।

सवाल : क्या आपको लगता है कि तीन तलाक के हटाए जाने के कारण मुस्लिम महिलाओं से समर्थन बढ़ने के भाजपा के दावे सच हैं?

ये उनके ख्याली पुलाव है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। कोई भी मुस्लिम महिला भाजपा के काम करने के तरीके से खुश नहीं है। ट्रिपल तलाक पर उनका दावा भी निराधार है क्योंकि उन्होंने एक नागरिक मुद्दे को आपराधिक बना दिया है। मैं ट्रिपल तलाक का समर्थन नहीं करती, लेकिन मैं इस पर भाजपा सरकार की कार्रवाई का भी समर्थन नहीं करती क्योंकि मैं उनके बुरे इरादों को जानती हूं। यह मुस्लिम युवाओं को जेल में डालने का एक और तरीका है।

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