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हिजाब के बाद अब मुंबई के इस कॉलेज में टी-शर्ट भी बैन, सख्ती से ड्रेस कोड के पालन का निर्देश

हिजाब बैन को लेकर हुए विवाद के बाद कॉलेज प्रशासन को राहत मिली थी और कोर्ट ने कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी ड्रेस कोड बरकरार रखने का फैसला सुनाया था लेकिन अब कॉलेज में टीशर्ट को लेकर नया बवाल हो गया है। 
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: July 02, 2024 10:37 IST
हिजाब के बाद अब मुंबई के इस कॉलेज में टी शर्ट भी बैन  सख्ती से ड्रेस कोड के पालन का निर्देश
मुंबई के इस कॉलेज में टीशर्ट भी बैन (सोर्स - एक्सप्रेस फोटो)
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Jeans T-Shirt Banned: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के चेंबूर में स्थिति आचार्य एवं मराठी कॉलेज में हिजाब के बाद अब जींस-टीशर्ट को भी बैन करने का फैसला लिया गया है। ऐसे में छात्र अब कॉलेज परिसर मे जींस टीशर्ट पहनकर नहीं आ सकेंगे। इसकी वजह यह है कि कॉलेज ने छात्रों के लिए ड्रेस कोड जारी कर दिया है। इससे पहले जब कॉलेज प्रशासन ने हिजाब पर बैन लगाया था तो छात्राओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

बता दें कि मुंबई के इस कॉलेज के प्रशासन द्वारा 27 जून को जारी ड्रेस कोड और अन्य नियम शीर्षक वाले नोटिस के अनुसार, फटी जींस, टी-शर्ट, खुले कपड़े और जर्सी की अनुमति नहीं होगी। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. विद्यागौरी लेले के हस्ताक्षर के तहत जारी नोटिस में कहा गया कि छात्रों को परिसर में औपचारिक और सभ्य पोशाक पहननी चाहिए। वे हाफ-शर्ट या फुल-शर्ट और ट्राउजर पहन सकते हैं।

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छात्रों के लिए ज्यादा निर्देश

कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी ड्रेस कोड के मुताबिक छात्राएं कोई भी भारतीय या पश्चिमी पोशाक पहन सकती हैं। छात्रों को कोई भी ऐसा पहनावा नहीं पहनना चाहिए जो धर्म या सांस्कृतिक असमानता को दर्शाता हो। इसके अलावा छात्राएं नकाब, हिजाब, बुर्का, स्टोल, टोपी, बैज आदि को ग्राउंड फ्लोर पर कॉमन रूम में जाकर उतारना होगा और उसके बाद ही वे पूरे कॉलेज परिसर में घूम सकेंगे।

छात्रों पर क्या थोपना चाहता है कॉलेज प्रशासन

गोवंडी सिटीजन एसोसिएशन के अतीक खान से कई छात्रों ने संपर्क किया था। इसको लेकर उन्होंने कहा कि पिछले साल उन्होंने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल उन्होंने जींस और टी-शर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो न केवल कॉलेज जाने वाले युवाओं द्वारा बल्कि धर्म और लिंग के बावजूद सभी द्वारा पहना जाता है। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि वे इस तरह के अव्यवहारिक ड्रेस-कोड लाकर छात्रों पर क्या थोपना चाह रहे हैं।

कॉलेज प्रशासन ने दी सफाई

कॉलेज के मुताबिक प्रशासन उन्हें कॉरपोरेट जगत के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहा है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. लेले ने कहा है कि हम चाहते हैं कि छात्र शालीन कपड़े पहनें। हमने कोई यूनिफॉर्म नहीं लाई है, बल्कि उनसे फॉर्मल भारतीय या पश्चिमी कपड़े पहनने को कहा है। आखिरकार नौकरी मिलने के बाद उनसे यही उम्मीद की जाएगी कि वे वही पहनें।

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कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. लेले ने कहा कि छात्रों को एडमिशन के समय ही ड्रेस कोड के बारे में बता दिया गया था और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब उन्हें इस बारे में चिंता क्यों करनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि साल के 365 दिनों में से छात्रों को मुश्किल से 120-130 दिन ही कॉलेज में रहना पड़ता है।

इस मुद्दे पर कॉलेज प्रिंसिपल ने कहा कि इन दिनों ड्रेस कोड का पालन करने में उन्हें क्या परेशानी होनी चाहिए? उन्होंने आगे कहा कि छात्रों द्वारा कैंपस में अभद्र व्यवहार के कई मामलों के कारण ही प्रशासन को नया ड्रेस कोड लाना पड़ा है।

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