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Haji Malang Dargah: हाजी मलंग दरगाह के पास 85 इमारतें ढहाई गईं, दक्षिणपंथी समूह मंदिर होने का करता है दावा; जानिए पूरे विवाद की जड़

Haji Malang Dargah: यह दरगाह 1980 के दशक के मध्य से ही विवादों के घेरे में रही है, जब आनंद दीघे के नेतृत्व में शिवसेना की स्थानीय इकाई ने यह आरोप लगाते हुए आंदोलन शुरू किया था कि यह दरगाह वास्तव में नाथ पंथ से संबंधित एक पुराने हिंदू मंदिर का स्थान है। पढ़ें, नयोनिका बोस की रिपोर्ट।
Written by: न्यूज डेस्क
Updated: July 05, 2024 09:08 IST
haji malang dargah  हाजी मलंग दरगाह के पास 85 इमारतें ढहाई गईं  दक्षिणपंथी समूह मंदिर होने का करता है दावा  जानिए पूरे विवाद की जड़
Haji Malang Dargah: महाराष्ट्र में हाजी मलंग दरगाह के पास 85 इमारतें तोड़ी गईं। (एक्सप्रेस फोटो)
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Haji Malang Dargah: महाराष्ट्र के कल्याण में मौजूद हाजी मलंग दरगाह तक जाने वाली सीढ़ियों के किनारे स्थित लगभग 85 अनधिकृत इमारतों को ढहा दिया गया। गुरुवार की सुबह वन विभाग ने कलेक्टर कार्यालय के साथ मिलकर यह कार्रवाई की। अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन को रोकने के लिए यह कार्रवाई की गई। लेकिन इस एक्शन को लेकर वहां के निवासियों और पीर हाजी मलंग दरगाह ट्रस्ट के सदस्यों ने चिंतित कर दिया है। जिन्होंने दरगाह के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की है।

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इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाजी मलंग दरगाह का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि वह सदियों पुरानी इस संरचना की “मुक्ति” के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं दक्षिणपंथी समूह का दावा है कि यह एक मंदिर है।

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वन विभाग द्वारा 25 जून को अनाधिकृत प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी करने के कुछ दिनों बाद ही यह कार्रवाई की गई। नोटिस में उनसे अपील की गई थी कि वे नोटिस के तीन दिन के भीतर भूमि के स्वामित्व से संबंधित विवरण जैसे कि भू-राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान भूस्खलन की उच्च संभावना के कारण अतिक्रमण को सात दिनों के भीतर हटा दिया जाना चाहिए।

प्राधिकरण को जवाब देते हुए दरगाह ट्रस्ट ने तीन दिन से अधिक का समय मांगा था। क्योंकि सर्वेक्षण संख्या 134, जिसके अंतर्गत दरगाह आती है। उसमें 300-400 से अधिक इमारतें हैं।

नोटिस के संबध में वन विभाग ने कलेक्टर कार्यालय के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में गुरुवार सुबह लगभग 85 संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों ने कहा कि केवल व्यावसायिक इमारतों को ही ध्वस्त किया गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, अभियान के दौरान स्थानीय अप्सरा होटल से लेकर अन्य इमारतों को तोड़ दिया गया है।

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इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह इलाका भूस्खलन संभावित है, इसलिए अनाधिकृत अतिक्रमण हटाने के लिए तोड़फोड़ की गई।

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नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, 'हाल ही में मलंगगढ़ इलाके में भूस्खलन का मामला सामने आया था, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए थे। सभी इमारते पहाड़ी ढलान पर बनी हैं। जहां कोई ठोस सतह नहीं है। जिससे पूरा इलाका भूस्खलन की चपेट में आ जाता है। चूंकि हजारों तीर्थयात्री मंदिर में आते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है।' उन्होंने कहा, 'हमने उन्हें पहले से ही नोटिस जारी कर दिए थे और पहले भी कई नोटिस जारी किए थे, क्योंकि जिन इमारतों को ढहाया गया, वे अनधिकृत हैं। अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान किसी भी नागरिक ढांचे को ध्वस्त नहीं किया गया।

हालांकि, पीर हाजी मलंग साहब दरगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष नासिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'अधिकारी सुबह-सुबह पहुंचे और कई दुकानें तोड़ दीं। सभी स्थानीय लोग और विक्रेता गरीब हैं और पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हमने वन विभाग से अपील की थी कि हमें कुछ और समय दिया जाए।' खान ने कहा, 'हमें डर है कि वे सदियों पुरानी हाजी मलंग दरगाह के खिलाफ अगली कार्रवाई कर सकते हैं।'

यह दरगाह 1980 के दशक के मध्य से ही विवादों के घेरे में रही है, जब आनंद दीघे के नेतृत्व में शिवसेना की स्थानीय इकाई ने यह आरोप लगाते हुए आंदोलन शुरू किया था कि यह दरगाह वास्तव में नाथ पंथ से संबंधित एक पुराने हिंदू मंदिर का स्थान है। हालांकि 1990 के दशक में सत्ता में आने के बाद शिवसेना ने इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन इस वर्ष के शुरू में शिंदे ने इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी।

(नयोनिका बोस की रिपोर्ट)

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