10-12 फीसदी वोटर लेकिन बदली नहीं दिल्ली के गांवों की सूरत, जानिए किन समस्याओं से जूझ रहे नागरिक
Gayathri Mani
पिछले वर्ष लोकसभा चुनावों से पहले उपराज्यपाल और दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा कई ग्रामीण योजनाएं शुरू की गईं। इन योजनाओं का बेहतर सड़कों और स्वच्छता का वादा था। लेकिन धरातल पर इसका ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली के गांवों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा शुरू किए जाने वाले गांव सुधार पहल (दिल्ली ग्रामोदय अभियान) की घोषणा की। इसके तहत 11 जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ नौकरशाह चुनिंदा गांवों में रात भर रुके और वहां रहने वाले निवासियों से बातचीत की। इस साल के बजट में सरकार ने गांवों में 1,000 किलोमीटर सड़कों के अपग्रेडेशन और अन्य विकास कार्यों के लिए 900 करोड़ रुपये का अलग से बजट आवंटित किया है।
दिल्ली में 360 ग्रामीण और शहरी इलाकों में गांव हैं। इनमें से ज़्यादातर उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और दक्षिण दिल्ली में हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर-पश्चिम दिल्ली में ग्रामीण आबादी का प्रतिशत ज़्यादा है, जो लगभग 15% और दक्षिण दिल्ली में 10% से भी कम है।
सेंटर फॉर यूथ, कल्चर, लॉ एंड एनवायरनमेंट (CYCLE) नाम के एक एनजीओ के अध्यक्ष पारस त्यागी ने कहा कि ज़्यादातर गांवों की स्थिति बहस का विषय है। उन्होंने कहा, "सांसदों के नाम वाली बेंचों और साइनेज को छोड़कर, शहर के ग्रामीण इलाकों में कोई विकास नहीं हुआ है। यहां अस्पताल, कॉलेज और गड्ढों से मुक्त सड़कें, सीवर, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।"
बीजेपी के एक नेता ने बताया कि क्यों गांवों का विकास एक बड़ी चिंता का विषय है। एक भाजपा नेता ने कहा, "कुल मिलाकर ग्रामीण इलाकों का वोट शेयर कुल वोट शेयर का लगभग 10-12% है। यह कोई छोटी संख्या नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों और अर्ध-विकसित और अनधिकृत कॉलोनियों के लोग बड़ी संख्या में वोट करते हैं।"
दिल्ली में इस लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है और इनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है। इंडिया गठबंधन के तहत दिल्ली में आम आदमी पार्टी 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर लड़ रही है। जबकि भाजपा सभी 7 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दिल्ली में भाजपा पिछले दो चुनाव से लगातार सातों सीटों पर जीत रही है।