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नतीजा लगभग तय फिर भी स्पीकर चुनाव से विपक्ष को क्या फायदा मिलेगा? जानिए क्यों ऐतिहासिक है यह चुनाव

आम तौर पर ऐसा होता रहा है कि सरकार और विपक्ष की सहमति से स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष का सांसद बैठता है तो वहीं परंपरा यह रही है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को जाता है।
Written by: Mohammad Qasim
नई दिल्ली | Updated: June 26, 2024 10:57 IST
नतीजा लगभग तय फिर भी स्पीकर चुनाव से विपक्ष को क्या फायदा मिलेगा  जानिए क्यों ऐतिहासिक है यह चुनाव
ओम बिरला के सामने विपक्ष के के सुरेश हैं, जानिए क्यों अहम है यह चुनाव (Photos : PTI)
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आज लोकसभा में स्पीकर पद के लिए चुनाव होगा, जानकारी यह है कि ऐसा सदन के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। अब जब चुनाव हो रहा है तो एनडीए की ओर से एक बार फिर ओम बिरला को आगे बढ़ाया गया है तो विपक्ष ने के सुरेश को उम्मीदवार बनाया है। आम तौर पर ऐसा होता रहा है कि सरकार और विपक्ष की सहमति से स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष का सांसद बैठता है तो वहीं परंपरा यह रही है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को जाता है।

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इस बार भी इंडिया गठबंधन की ओर से कहा गया था कि अगर सरकार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देती है तो स्पीकर के लिए वह सरकार का समर्थन कर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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क्यों ऐतिहासिक है यह चुनाव?

अगर हम नंबर गेम को देखते हैं तो साफ तौर पर नजर आता है कि NDA के उम्मीदवार ओम बिरला आसानी से यह चुनाव जीत जाएंगे और अगले स्पीकर होंगे। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के चार सांसदों का समर्थन भी मिलने की उम्मीद है, जिससे इसकी संख्या 297 हो जाएगी।

विपक्ष के पास कम से कम 236 सांसद हैं और उसे छोटी पार्टियों और कुछ निर्दलीयों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है। अब सवाल पर आते हैं कि क्यों यह चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है? तो इसका जवाब यह है कि पहली बार स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है। विपक्ष के पास नंबर नहीं है लेकिन बड़ा संदेश देने की कोशिश है।

ऐसा नहीं है कि विपक्ष को पता नहीं है कि ओम बिरला जीतेंगे। लेकिन अपनी संख्या से उत्साहित विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि इस बार बीजेपी वैसी बीजेपी नहीं है जैसी पिछली दो सरकारों में थी। जहां वह किसी भी तरह का फैसला लेने का आत्मविश्वास रखते थे। अब विपक्ष देश और बीजेपी को यह संदेश दे रहा है कि विभिन्न मुद्दों पर लड़ने के लिए विपक्ष के पास ताकत है। ऐसा ही संदेश कांग्रेस ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाकर भी दिया है। विपक्ष के इस मूव से यह संदेश भी जाएगा कि डिप्टी स्पीकर का पद ना देकर बीजेपी ने संसदीय परंपरा को तोड़ा है।

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सीधी बात करें तो विपक्ष का यह कदम इस बात का संकेत है कि 18वीं लोकसभा कैसी होने जा रही है। पिछली दो लोकसभाओं के विपरीत, यह चुनाव टर्म होगा और सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति बनने की संभावना बहुत कम रहेगी।

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