क्यों खाड़ी देशों में बसने को मजबूर हैं भारतीय? आने वाले सालों में कुवैत की कुल आबादी से ज्यादा हो जाएगी हमारी संख्या
कुवैत की इमारत में लगी आग की चपेट में आए 49 लोगों में से 40 भारतीय थे। कारपेंटर, राजमिस्त्री,घरेलू कामगार, ड्राइवर और डिलिवरी बॉय के तौर पर बड़ी तादाद में भारतीय कुवैत में काम करते हैं। कुवैत में रह रहे भारतीयों की तादाद 10 लाख के करीब है और कुवैत की सबसे बड़ी प्रवासी कम्यूनिटी माने जाते हैं। कुवैत की कुल आबादी का 21 प्रतिशत हिस्सा भारतीय हैं।
यहां के सार्वजनिक नागरिक सूचना प्राधिकरण (PACI) द्वारा जारी किए गए हालिया आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2023 तक कुवैत की जनसंख्या 48 लाख 59 हजार थी जिसमें से 15 लाख से ज्यादा यहां के नागरिक और 30 लाख से ज्यादा प्रवासी हैं। भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बना हुआ है और पहले ही एक 10 लाख का आंकड़ा पार कर चुका है।
कुवैत आग हादसा : क्यों कुवैत में काम करने जाते हैं भारतीय?
कुवैत में अलग-अलग काम कर रहे लोग अक्सर संघर्ष से गुज़र रहे होते हैं। यह आधे बने हुए घरों, इमारतों में तंग कमरों या शिविरों में रह रहे होते हैं। कुवैत में काम करने जाने की एक अहम वजह बहुत आसानी से मिल रहा रोजगार और दूसरी वजह अधिक वेतन होता है।
अंतर्राष्ट्रीय लेबर ऑर्गेनाइजेशन के नियमों के मुताबिक विदेशों में कार्यरत भारतीय मजदूरों के लिए न्यूनतम रेफरल वेतन (MRW) निर्धारित किया गया है। जिनमें से कई छह खाड़ी देशों - कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, सऊदी अरब और बहरीन में काम करते हैं। खाड़ी देशों में ओमान और कतर में मजदूरी कुवैत की तुलना में थोड़ी बेहतर है, इसलिए यहां दूसरे देशों से आने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा है।
MRW के तहत आने के लिए भारतीय कामगारों को विदेश मंत्रालय के ई-माइग्रेट पोर्टल पर पंजीकरण कराना होता है। वहां मजदूरों को मिलने वाले वेतन की दरें तय होती हैं। कुवैत में कारपेंटर, राजमिस्त्री, ड्राइवर और पाइपफिटर 300 डॉलर प्रति माह की न्यूनतम श्रेणी में आते हैं, जबकि भारी वाहन चालक और घरेलू कामगार थोड़ा बेहतर कमाते हैं।