25 साल में 23 बार मिली असफलता, आखिरकार 56 की उम्र में पास की M.Sc, जानें कौन हैं सिक्योरिटी गार्ड राजकरन
अगर दिल में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आड़े नहीं आ सकती। मध्य प्रदेश के एक 56 साल के सिक्योरिटी गार्ड ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। राजकरन का बस एक ही सपना था गणित में मास्टर्स की डिग्री हासिल करना, इसके लिए उन्होंने लगभग आधा जीवन बिता दिया। गणित में एमएससी करने के लिए वो लगातार प्रयास करते रहे। इस दौरान वो 23 बार फेल हुए।
अपने सपने को पूरा करने के लिए राजकरन ने सिक्योरिटी गार्ड के रूप में डबल शिफ्ट किया, कई बार मुश्किल परिस्थितियां भी आईं। बावजूद इसके उन्होंने अपने जुनून को जिंदा रखा और आखिरकार 2021 में उन्होंने एमएससी परीक्षा पास कर ली। राजकरन बरुआ जबलपुर के रहने वाले हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान राजकरन ने कहा कि साल 2021 में जब उन्होंने एमएससी की परीक्षा पास की, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। बंद कमरे में ही वे खुशी से झूम उठे।
25 साल में पास किया एग्जाम
राजकरन ने रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से गणित से एमएमसी करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। उन्होंने बताया कि साल 1997 में वे पहली बार एमएससी की परीक्षा में बैठे और फेल हो गए। अगले 10 साल तक पांच विषयों में से केवल एक ही सब्जेक्ट में पास हो सके। उन्होंने कहा, "मैंने इस बात की कभी परवाह नहीं की कि लोग क्या सोचते हैं। सिर्फ अपने सपने को पूरा करने पर फोकस किया।" आखिरकार 2020 में बरुआ ने फर्स्ट ईयर की परीक्षा पास की और अगले ही साल 2021 में सेकंड ईयर भी क्लियर कर लिया। अंत में मैंने करीब 25 साल की कठिन तपस्या के बाद एमएससी मैथ की डिग्री प्राप्त कर ली।
किताबों, फीस पर खर्च किए 2 लाख रुपये
राजकरन ने अपने सपने को जीने के साथ-साथ दो नौकरियां भी करते रहे। पहले नौकरी सिक्योरिटी गार्ड की थी जिसमें 5000 रुपए प्रतिमाह का वेतन मिलता थे। वहीं दूसरी नौकरी एक बंगले पर थी, जिसमें 1500 रुपए मिलते थे। उसने पिछले 25 साल में एमएससी मैथ में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के लिए किताबों, परीक्षा फीस समेत अन्य चीजों पर 2 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं।
। राजकरन ने बताया कि उन्होंने साल 1996 में एमए किया था। इसके बाद एक बार मैं एक स्कूल गया और वहां विद्यार्थियों के साथ बातचीक की। इसी बीच मैंने बच्चों को गणित पढ़ाया, मेरे पढ़ाने का तरीका देखकर शिक्षकों ने मेरी तारीफ की। इससे मेरे मन में मैथ से एमएससी करने का विचार आया। इसके बाद मैंने साल 1996 में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। राजकरन ने बताया कि जहां मैं नौकरी करता था वहां मेरे मालिक मेरा उदाहरण देकर अपने बच्चों को ताना मारते थे। वे कहते थे कि देखो इसके दृढ़ संकल्प को, इस उम्र में भी कितनी मेहनत से पढ़ाई कर रहा है।