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Ground Report: गुजरात मॉडल की सरकार देती है दुहाई, फिर भी इन दो जगहों पर ठप पड़ा विकास

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि 2024 के लोकसभा इलेक्शन के लिए आचार संहिता देरी के लिए भी कुछ हद तक जिम्मेदार है।
Written by: गोपाल कटेशिया
नई दिल्ली | Updated: June 28, 2024 20:06 IST
ground report  गुजरात मॉडल की सरकार देती है दुहाई  फिर भी इन दो जगहों पर ठप पड़ा विकास
सुदर्शन सेतु। (इमेज-एक्सप्रेस फोटो)
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Ground Report: लगभग चार महीने से गुजरात के ओखा औ द्वारका नगरपालिकाओं में घर, रेस्टोरेंट और दुकानें बनाने की इजाजत मांगी जा रही है। इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों के पास कई सारे आवेदन भी दायर किए गए हैं लेकिन नगर निगम के अधिकारी सभी आवेदन को लौटा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि वह खुद भी मजबूर हैं। इसके लिए मंजूरी देने के लिए द्वारका-ओखा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अभी तक काम करना चालू नहीं किया है।

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मार्च के महीने में गुजरात सरकार ने ओखा और द्वारका नगर पालिकाओं से एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी का दर्जा छीन लिया और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए DOUDA को नियुक्त किया गया है। लेकिन डीओयूडीए कागजों में ही सिमट कर रह गया है। इसलिए कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन मंजूर नहीं किए जा रहे हैं। इससे उभरते हुए शहरों में बुनियादी ढांचे के विकास में रुकावट हो रही है। यहां पर लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है।

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मैं तीन महीनों से नगर पालिका ऑफिस के चक्कर काट रहा हूं

द्वारका के एक में काम करने वाले एक शख्स ने कहा कि मैं नागेश्वर रोड पर खरीदी गई जमीन पर घर बनाना चाहता हूं, क्योंकि अब हमारे परिवार का घर छोटा पड़ रहा है। मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं। लेकिन पिछले तीन महीनों से मैं द्वारका नगर पालिका ऑफिस के चक्कर काट रहा हूं। उम्मीद है कि मेरी विकास योजना को जल्द मंजूरी मिल जाएगी। मैं अपने घर को बनाने के लिए बैंक से लोन ले पाऊंगा। लेकिन नगर पालिका के अधिकारी मुझे यह कहते हुए मना कर रहे हैं कि DOUDA के गठन के बाद उनके पास अब कोई अधिकार नहीं है। मुझे नहीं पता कि DOUDA का ऑफिस कहां पर है।

पीएम मोदी ने सुदर्शन सेतु का किया था इस्तेमाल

डीयूडीए की नियुक्ति का कदम उस समय उठाया गया जब 25 फरवरी को पीएम मोदी ने बेत द्वारका द्वीप को गुजरात से जोड़ने वाले समुद्री संपर्क सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया। सुदर्शन सेतु की वजह लोगों की नावों से जाने की परेशानी खत्म हो गई है। द्वारका में तीर्थयात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो गया है। द्वारका तालुका चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष और ओखा नगरपालिका के दो बार अध्यक्ष रह चुके सुभाष भयानी ने कहा कि सुदर्शन सेतु के उद्घाटन के बाद पर्यटकों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। लोग घर, दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल बनाना चाहते हैं।

आचार संहिता की वजह से हुई देरी

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि 2024 के लोकसभा इलेक्शन के लिए आचार संहिता देरी के लिए भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। एमसीसी 16 मार्च को लागू हुई थी यानी कि डीयूडीए के ऐलान होने के 10 दिन बाद और इसकी वजह से काम में देरी हुई। एक अधिकारी ने कहा कि एमसीसी जून की शुरुआत तक लागू रही और इसी वजह से डीयूडीए का काम करीब तीन महीने तक के लिए रुका रहा।

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द्वारका शहर भगवान कृष्ण के द्वारकाधीश मंदिर के लिए फेमस है। वहीं, इसके 30 किलोमीटर उत्तर में ओखा एक बंदरगाह शहर है। बेत द्वारका ओखा नगर पालिका का ही भाग है। दोनों नगर पालिकाएं द्वारका जिले के द्वारका तालुका का ही हिस्सा हैं। यह देश के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक फेमस नागेश्वर मंदिर का भी घर है। 6 मार्च को गुजरात सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर DOUDA का ऐलान किया। द्वारका कलेक्टर DOUDA के अध्यक्ष हैं। इतना ही नहीं, इनके अलावा गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड के सदस्य सचिव, देवभूमि द्वारका के जिला विकास अधिकारी, द्वारका जिला पंचायत के अध्यक्ष, नगर पालिकाओं के राजकोट क्षेत्रीय आयुक्त द्वारका नगर पालिका के इंजीनियर हैं।

अधिसूचना में इस बात का भी जिक्र किया कि सरकार लोकल अथॉरिटी के चार सदस्यों को DOUDA के सदस्य के रूप में नियुक्त करेगी। DOUDA का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा था कि इससे 10,721 हेक्टेयर पर टूरिज्म और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में मदद मिलेगी। इन दोनों नगर पालिकाओं के अलावा सरकार ने द्वारका शहर के बाहरी इलाके में मौजूद वरवाला और शिवराजपुर गांव को भी DOUDA के अधिकार क्षेत्र में लिया है। यहां पर शिवराजपुर समुद्र तट मौजूद है।

डीओयूडीए अभी तक आकार नहीं ले पाया

लेकिन लगभग चार महीने का समय बीत चुका है। लेकिन इसके बाद भी डीओयूडीए अभी तक आकार नहीं ले पाया है। द्वारका आरएसी भूपेश जोतनिया मानते हैं कि DOUDA अभी सिर्फ कागजों में ही है। अथॉरिटी का अभी जमीन पर उतरना बाकी है। सरकार ने अभी तक इसके दूसरे सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है। इसके अलावा ऑफिस, कर्मचारी जैसे मामले भी पेंडिग में पड़े हुए हैं। यही वजह है कि हम लोगों से आवेदन नहीं ले रहे हैं।

इस देरी की वजह से लोगों को काफी तकलीफ हो रही है। भयानी ने कहा कि लोग दर-दर भटक रहे हैं। नगर पालिकाओं ने डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मंजूरी और एप्लीकेशन पर विचार करना बंद कर दिया है। न ही सरकार की ऑनलाइन वेबसाइट पर ऐसे एप्लीकेशन स्वीकार किए जाते हैं। द्वारका नगर पालिका के सीओ उदय नासित ने कहा कि वे भी मजबूर हैं। नासित ने कहा कि 125 वर्ग मीटर पर घर बनाने के लिए सरकार से डेवलेपमेंट योजना की मंजूर करवाने की कोई जरुरत नही है और मकान मालिकों को घर बनाने के बारे में केवल एडीए को जानकारी देनी होती थी। लेकिन एडीए का दर्जा वापस लिए जाने के बाद हमारे पास सभी अधिकार खत्म हो गए हैं।

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