Goa Home Demolition Row: गोवा के मुख्य सचिव ने DGP को हटाने के लिए केंद्र को लिखी चिट्ठी, जानें क्या है पूरा मामला
पवनीत सिंह चड्ढा
गोवा के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने गृह मंत्रालय (MHA) को पत्र लिखकर राज्य के डीजीपी जसपाल सिंह के तबादले की सिफारिश की है। इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी मिली है कि यह बात राज्य सरकार को सौंपी गई कथित रिपोर्ट के एक दिन बाद सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि सिंह ने उत्तर गोवा के असगाव में एक घर को गिराने की अनुमति देने के लिए अंजुना पुलिस स्टेशन में अपने अधीनस्थों पर "दबाव" डाला था।
10 मिनट में काम शुरू न होने पर “परिणाम” भुगतने की चेतावनी दी थी
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, "राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर डीजीपी के तबादले की सिफारिश की है।" अंजुना पुलिस स्टेशन के एक पुलिसकर्मी द्वारा कथित तौर पर लिखी गई रिपोर्ट गोयल को सौंपी गई, जिसमें दावा किया गया कि डीजीपी पुलिस अधिकारी पर असगाव में एक घर को गिराने की अनुमति देने के लिए “लगातार दबाव” बना रहे थे और 10 मिनट में काम शुरू न होने पर “परिणाम” भुगतने की चेतावनी दी थी। सिंह ने आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें “निराधार, मनगढ़ंत और बेतुका” बताया है।
पुलिस ने प्रिंशा अग्रवाडेकर की शिकायत के आधार पर मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जो अपने पति के साथ मिलकर 2001 से उक्त घर का "मालिकाना कब्जा” होने का दावा करती हैं।
मुंबई की एक महिला के साथ “धोखाधड़ी” करके बिक्री करने का आरोप
उन्होंने दावा किया कि उनके मकान मालिक ने पकड़े गये संदिग्धों में से एक मुंबई की एक महिला के साथ “धोखाधड़ी” करके बिक्री की थी, जिस पर मामला दर्ज किया गया है। अपनी शिकायत में अग्रवाडेकर ने दावा किया कि वह और उनके पति 22 जून को बैरो ऑल्टो असगाव में अपने घर में थे। उसी समय 15 लोग जबरन घुस आए और दावा किया कि उन्हें घर गिराने का आदेश है। उनमें से अब तक कम से कम आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोयल को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद अंजुना पुलिस स्टेशन के तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था।
कथित रिपोर्ट में डीजीपी के हवाले से कहा गया है कि मुंबई की महिला संपत्ति की मालिक थी और “शिकायत पर कार्रवाई करने की कोई जरूरत नहीं थी।” कथित रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दिन, पुलिस अधिकारियों में से एक को डीजीपी का फोन आया जिसमें उनसे पूछा गया कि “विध्वंस का काम क्यों रोका गया।”
यह घटना राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है, विपक्ष ने मांग की है कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति मामले की जांच करे और आरोप लगाया कि यह कृत्य “भूमि और रियल एस्टेट माफिया” द्वारा किया गया था।