First Time MP in Lok Sabha: पहली बार चुनकर आए हैं 52% सांसद, BJP में 45% तो कांग्रेस में 60%, जानें अन्य दलों की स्थिति
लोकसभा में पहली बार चुनकर आए सांसदों की संख्या एक ऐसा आंकड़ा बन गई है जिसे नियमित रूप से मूल्यांकित किया जाता है। इस बार, 280 सांसद पहली बार चुनकर आए हैं। यह कुल सांसदों की संख्या का 52 फीसद है, यानी सदन के आधे से अधिक। पिछली लोकसभा में 267 सदस्य पहली बार सांसद बने थे। 2014 में, जब सरकार बदली थी, तो निचले सदन में उथल-पुथल कहीं ज्यादा थी और 314 सदस्य पहली बार चुने आए थे, जो सदन की कुल संख्या का 58.8 फीसद था।
नए चेहरे उतारकर सत्ता विरोधी लहर से निपटने की कोशिश करती हैं पार्टियां
जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद औसतन 50 फीसद सदन में बदलाव होता है। दरअसल पार्टियां नए चेहरे उतारकर सत्ता विरोधी लहर से निपटने की कोशिश करती हैं। संसदीय शोध सेवा द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भाजपा के 45 फीसद सांसद पहली बार लोकसभा में पहुंचे हैं। कांग्रेस के 60 फीसद सांसद नए हैं। तेलुगु देशम पार्टी, जो पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर लौटी है और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जिसने खुद को चुनावों में मजबूत साबित किया है, दोनों के तीन-चौथाई सांसद नए हैं। यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है।
अभिनेता, क्रिकेटर से लेकर न्यायाधीश तक सदन में पहली बार रखेंगे कदम
आंकड़ों से पता चलता है कि अलग-अलग पृष्ठभूमि और अलग-अलग स्तर के राजनीतिक अनुभव और राजनीति से नजदीकी रखने वाले पहली बार सांसद चुने गए हैं। चमकदार चेहरों में कंगना रनौत और अरुण गोविल, क्रिकेटर से राजनेता बने यूसुफ पठान और हाईकोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय हैं। ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने जमीनी स्तर के राजनेता के रूप में काम किया है और आगे की सीढ़ी चढ़ी है, जैसे मिताली बाग, जो जिला परिषद सदस्य थीं और पश्चिम बंगाल के आरामबाग से जीतीं। ऐसी ही भारती पारधी हैं, जो पहले सरपंच थीं और फिर मध्य प्रदेश की बालाघाट सीट से लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले नगर परिषद की सदस्य थीं।
दूसरी ओर, कई युवा सांसद हैं जो अपने माता-पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इनमें दिवंगत भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज या प्रिया सरोज, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के मछलीशहर निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर 2014 के चुनावों में अपने पिता तूफानी सरोज की हार का बदला लिया या दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है। नए लोगों में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद, या कांग्रेस की गेनीबेन नागाजी ठाकोर, जिन्होंने गुजरात में अपनी पार्टी का दस साल का चुनावी सूखा समाप्त किया, या भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत, जो राजस्थान के बांसवाड़ा से जीते।
पहली बार लोकसभा में पहुंचने वाले सांसदों में कई युवा सांसद हैं, जिनमें सात की उम्र 30 वर्ष से कम है, तो कुछ ऐसे दिग्गज भी हैं जो पहली बार लोकसभा में पहुंचे हैं, जैसे पीयूष गोयल या भूपेंद्र यादव, जो राजग मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं।