Excise Policy Case: ईडी ने केजरीवाल और AAP को बनाया आरोपी, जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
Excise Policy Case: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही कहा कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को समाप्त हो चुकी उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर अपने सातवें पूरक आरोप पत्र (Seventh Supplementary Chargesheet) में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया है। यह बात ईडी ने सर्वोच्च अदालत में कही।
यह पहली बार है कि केजरीवाल, जिन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी, उनको ईडी की चार्जशीट में आरोपी के रूप में उल्लेख किया गया है। साथ ही यह भी पहली बार है कि किसी मामले में ईडी द्वारा किसी राजनीतिक दल का आरोपी को आरोपी बनाया गया है।
जांच एजेंसी ने 21 मार्च को केजरीवाल को अरेस्ट किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को केजरीवाल को 21 दिन यानी एक जून तक अंतरिम जमानत दी है। 2 जून को उन्हें सरेंडर करना होगा।
केंद्रीय एजेंसी की जांच में पहले कहा गया था कि केजरीवाल उत्पाद शुल्क नीति को बनाने में सीधे तौर पर शामिल थे। जिसे साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
'साउथ ग्रुप' दक्षिण भारत के व्यक्तियों के एक समूह को संदर्भित करता है, जिसके बारे में ईडी का दावा है कि "उन्होंने बेरोकटोक पहुंच, अनुचित लाभ प्राप्त किया। थोक व्यवसायों और कई खुदरा क्षेत्रों में हिस्सेदारी हासिल की (नीति में जो अनुमति दी गई थी उससे अधिक) और इसके बदले में आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये दिए।' एजेंसी ने यह भी दावा किया था कि "साउथ ग्रुप" से प्राप्त रिश्वत को 2021-2022 में AAP के गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में लगाया गया था।
ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पहले दिल्ली कोर्ट में बताया था, 'आप एक लाभार्थी है जो एक कंपनी के रूप में मौजूद है। कंपनी के संचालन के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदार है… एक व्यक्ति के रूप में उत्तरदायी होने के अलावा मुख्यमंत्री भी परोक्ष रूप से उत्तरदायी हैं (पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में)।'
पीएमएलए की धारा 70 कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित है। इसके प्रावधान में कहा गया है कि 'जहां कोई व्यक्ति इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान या किसी कंपनी में बनाए गए किसी नियम, निर्देश या आदेश का उल्लंघन करता है, तो प्रत्येक व्यक्ति, जो उल्लंघन के समय, प्रभारी था, कंपनी के साथ-साथ कंपनी के व्यवसाय के संचालन के लिए कंपनी के प्रति जिम्मेदार को उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ नियम के कानून के मुताबिक उसे दंडित किया जाएगा।'
जबकि एक राजनीतिक दल कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत शामिल एक 'कंपनी' नहीं है, प्रावधान में एक महत्वपूर्ण व्याख्या है जो एक राजनीतिक दल को धन-शोधन विरोधी कानून के दायरे में ला सकती है।
निर्भय ठाकुर की रिपोर्ट