'मेरी गिरफ्तारी गलत', केजरीवाल के निजी सचिव बिभव ने दिल्ली HC का खटखटाया दरवाजा; 31 मई को सुनवाई
Swati Maliwal Assault Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट अब इस मामले में 31 मई को सुनवाई करेगा। बिभव ने स्वाति मालीवाल हमला मामले में अपनी गिरफ्तारी को गलत ठहराया है। साथ ही अवैध गिरफ्तारी के लिए मुआवजे की मांग की है।
बिभव कुमार ने हाई कोर्ट से अपील की है कि उनकी गिरफ्तारी को इस आधार पर अवैध घोषित किया जाए कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। इससे पहले 27 मई को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था ।
दिल्ली पुलिस ने 18 मई को कुमार को गिरफ्तार किया था। उसके बाद उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। 24 मई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के आवास पर कुमार ने उनके साथ मारपीट की थी।
एफआईआर के अनुसार, कुमार ने मालीवाल की छाती, पेट समेत शरीर के अंदरूनी हिस्सों पर भी प्रहार किया था। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें कथित हमले के दिन मालीवाल को सुरक्षाकर्मियों से बहस करते और मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलते हुए दिखाया गया है।
सुनीत केजरीवाल के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग
वहीं एक अन्य मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के खिलाफ अदालती सुनवाई की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।
यह जनहित याचिका अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने कई सोशल मीडिया हैंडलों के नाम भी लिए हैं, जिन्होंने दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल का ऑडियो/वीडियो पोस्ट किया था। सिंह ने घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है।
अपनी याचिका में सिंह ने तर्क दिया है कि 28 मार्च को केजरीवाल द्वारा राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के बाद, आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े कई सोशल मीडिया हैंडलों ने अदालती कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाई और उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया था।