क्या यह कर्नल का टाइम स्केल है? सेना में महिलाओं के प्रमोशन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील पर भड़के CJI चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। डीवाई चंद्रचूड़ आर्मी में ब्रिगेडियर रैंक में प्रमोशन में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के आरोपों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी पेश हुए। उन्होंने कहा कि सेना अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
सेना में कार्यरत 30 से ज्यादा कर्नल रैंक की महिला अधिकारियों ने एक याचिका दाखिल की। महिला अधिकारियों ने लिंग के आधार पर सेना में प्रमोशन में भेदभाव की शिकायत की। महिला अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सेना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है। उन्होंने कहा कि आर्मी में नई प्रमोशन नीति को सरकार ने मार्च की आखिरी हफ्ते में लागू की।
सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने ही फैसला सुनाया है कि सेना में प्रमोशन के लिए पहले से ही बने पैनल में शामिल अधिकारियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए लेकिन आदेश सेना की बेंचमार्किंग को रोकने के लिए नहीं है।
वकील पर भड़के CJI
CJI की टिप्पणी पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील हुजेफा ने कहा कि अगर उनके पास एक विशेष चयन बोर्ड है तो आपके पास बिना पैनल के लोग भी हैं। बस वकील की इसी बात पर सीजेआई भड़का गए और कहा, "आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह कोई कर्नल का टाइमस्केल है? क्या बिना बेंचमार्किंग के यह कैसे तय किया जा सकता है।"
जांच एजेंसियों को सीजेआई ने दी थी नसीहत
बता दें कि पिछले महीने जांच एजेंसियों को सीजेआई ने नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था कि CBI जैसी जांच एजेंसियों को शक्तियों तथा किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच 'नाजुक संतुलन' रखने की जरूरत है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने सीबीआई के स्थापना दिवस पर 20वां डीपी कोहली मेमोरियल व्यख्यान में ये बातें कही थी। सीजेआई ने कहा था कि आज देश की प्रमुख जांच एजेंसियों को केवल उन मामलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र के खिलाफ आर्थिक अपराध शामिल हैं।