इस साल 136 ढेर, 392 गिरफ्तार और 399 सरेंडर… छत्तीसगढ़ में खात्मे की ओर बढ़ा नक्सलवाद?
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में शनिवार को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 8 नक्सलियों को ढेर कर दिया। गोली लगने की वजह से एक जवान शहीद भी हो गया है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद से नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी देखने को मिली है। केंद्र ने भी नक्सलियों के खिलाफ सख्त नीति अपनाई हुई है। अब ताजा उदाहरण की बात की जाए तो जब कोर इलाके में घुसपैठ की बात आती है तो सिर्फ पांच महीनों के अंदर पुलिस ने कोर इलाकों में 32 कैंप लगाए हैं। हर साल करीब 16-17 कैंप ही लगाए जाते हैं।
बस्तर रेंज के आईजीपी ने सुंदरराज पी ने कहा कि बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ कई फोर्स ने जिले में अभियान चलाने में काफी मदद की है। ज्यादातर ऑपरेशन राज्य की फोर्स और सीआरपीएफ, कोबरा, आईटीबीपी और बीएसएफ जैसी टीमों ने चलाए हैं। राज्य सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति के बारे में सवाल किए जाने पर छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अधिकारी और जवान वही हैं, लेकिन सरकार और उसके संकल्प बदल गए हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि जम्मू -कश्मीर में भी कुछ नहीं बदला है, बस पीएम मोदी की सरकार और अमित शाह का संकल्प बदला है। सरकार का संकल्प भी एक अहम भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन साल में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। एक अच्छी सरेंडर नीति लागू करने और नक्सलवाद से ग्रसित लोगों के लिए राहत उपाय करने की प्लानिंग है। सुंदरराज ने बताया कि 2024 के छह महीने से भी कम समय में नक्सल विरोधी अभियानों के बाद 136 नक्सलियों को को ढेर कर दिया है। इनमें से पांच ऐसे भी हैं जिनके शवों को अभी तक पुलिस खोज नहीं पाई है। 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना था। उस समय से लेकर अब तक यह सबसे बड़ी संख्या है। 2016 में 134 नक्सलियों को ढेर किया गया था। यह संख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
अब तक कितने नक्सलियों को किया ढेर
सुंदरराज ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इन अभियानों की संख्या काफी ज्यादा है। लेकिन 72 अभियानों में गोलीबारी की गई है। इसमें 136 नक्सली को ढेर कर दिया गया है। इस साल में अब तक 392 नक्सलियों को पकड़ा जा चुका है और 399 ने सरेंडर किया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल अभी तक करीब 22 आम लोगों और 10 जवानों की जान भी चली गई है। नक्सलियों को ढेर करने के पीछे का बड़ा राज यह है कि राज्य की पुलिस और केंद्रीय बल आपस में बेहतर तालमेल बैठा पा रहा है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में नक्सली इलाकों में कैंप भी खोले गए हैं।
राज्य पुलिस ने निभाई अहम भूमिका
केंद्र के एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि राज्य पुलिस ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। इनमें से ज्यादातर एनकाउंटर राज्य पुलिस के द्वारा ही किए गए हैं। साथ ही, डीआरजी भी बेहतर तरीके से काम कर रही है और अब पूरी ताकत के साथ काम कर रही है। अधिकारी ने आगे कहा कि नक्सलियों को खदेड़ने में राज्य पुलिस की भूमिका अहम है। 2023 के राज्य सरकार के आंकड़ों से पता चला कि 24 नक्सली ढेर किए गए हैं।
राज्य में कांग्रेस सरकार के राज में पांच साल में कुल 210 नक्सली को ढेर किए गए हैं। हालांकि, पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने भी नक्सलियों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया था। सेना ने अपनी रणनीति में काफी सुधार किया है। हमने पिछली सीजन की कमियों को दूर करने की कोशिश की है।
कहां पर कितने नक्सली किए ढेर
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 12 जून से अबूझमाड़ में नक्सल विरोधी अभियान में लगे हुए हैं। कुतुल, फरसाबेड़ा और कोडमेटा के जंगलों में यह अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। एनकाउंटर में कांस्टेबल नितेश एक्का, कैलाश नेताम और लेखराम नेताम घायल हो गए। इलाज के दौरान नितेश की मौत हो गई। इस अभियान में आईटीबीपी और राज्य पुलिस बल शामिल था। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों से इंसास राइफल, एक 303 राइफल और बैरल ग्रेनेड लॉन्चर जब्त किया। अब बात करते हैं कि इस साल मारे गए नक्सलियों में से कौन कहां पर मिला था। इसमें 131 में से 51 बीजापुर से, 34 कांकेर से, 26 नारायणपुर से और 20 बस्तर में मिले हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलवाद को लेकर की थी टिप्पणी
इस साल मई के महीने में द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई पर अमित शाह ने कहा था कि आज यह केवल तीन ही जिलों में सिमटकर रह गया है। छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस पार्टी का शासन था तो लड़ाई को रफ्तार पकड़ने में थोड़ा टाइम लग गया था। अब हम वहां पर पहुंच गए हैं, जहां पांच ही महीनों के अंदर 125 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है। 350 ने सरेंडर कर दिया है और 250 को गिरफ्तार कर लिया गया है। शाह ने कहा था कि नक्सलवाद दो साल से ज्यादा नहीं टिकेगा।