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'जय फिलिस्तीन' का नारा लगा सांसदी गंवा बैठेंगे ओवौसी? जानिए नियमों में क्या बताया गया

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें ओवैसी की फिलिस्तीन टिप्पणी के बारे में कुछ सदस्यों से शिकायतें मिली हैं।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: June 26, 2024 17:34 IST
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी। (इमेज-पीटीआई)
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Asaduddin Owaisi Controversy: एआईएमआईएम (AIMIM) अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद के तौर पर शपथ लेते समय जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन का नारा लगाया। इसके बाद अब सियासत गरमा गई है। ओवैसी की शिकायत राष्ट्रपति तक पहुंच गई। AIMIM नेता को संसद पद से अयोग्य ठहराने की मांग की जाने लगी है। हालांकि, इस नारे को अब लोकसभा के रिकॉर्ड से पूरी तरह हटा दिया गया है।

18वीं लोकसभा सत्र का दूसरा दिन था और उसी समय यह घटना हुई। एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी ने फिलिस्तीन की जय बोलने के बाद कहा कि वे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए आवाज उठाते रहेंगे। हालांकि, नारे के बार सियासत भी काफी तेज हो गई है। सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी ने खासतौर पर मांफी मांगने की मांग की है। यहां तक कि एक वकील ने कहा कि फिलिस्तनी के लिए निष्ठा दिखाने के लिए उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने भी राष्ट्रपति मुर्मू को एक चिट्ठी लिखकर ओवैसी को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है।

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नियमों की जांच करेंगे: किरेन रिजिजू

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें ओवैसी की फिलिस्तीन टिप्पणी के बारे में कुछ सदस्यों से शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि हमारी फिलिस्तीन या किसी दूसरे देश से कोई दुश्मनी नहीं है। मुद्दा यह है कि शपथ लेते वक्त किसी दूसरे देश की तारीफ में नारे लगाना किस हद तक सही है? हमें नियमों की जांच करनी होगी। इसके बाद ही आगे किसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में बार-बार ऑर्टिकल 102 का जिक्र किया जा रहा है। संविधान का अनुच्छेद 102 संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के आधार तय करता है। विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि लोकसभा मेंबर के रूप में शपथ लेते समय किसी दूसरे देश की तारीफ करना बिल्कुल गलत है।

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आर्टिकल 102 में क्या-क्या बताया गया

अब हम बात करेंगे आर्टिकल 102 की इसमें कहा गया है कि किसी भी शख्स की लोकसभा या राज्यसभा की मेंबरशिर रद्द हो सकती है। अगर वह संसद में बताए गए पद के अलावा, केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन आने वाले लाभ का कोई पद ले। अगर किसी नेता की मानसिक स्थिति सही नहीं और कोर्ट भी इस बात को स्वीकार कर ले तो वह अयोग्य ठहराया जा सकता है। दसवीं अनुसूची, जिसे दलबदल विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है।यदि कोई सांसद अपनी मूल पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होता है, तो उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है। आर्टिकल 102 कहता है कि किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता जा सकती है। इसी मामले पर ओवैसी पूरी तरह से विपक्षी दलों के घेरे में है।

इजरायल- फिलिस्तीन विवाद में भारत का रुख

भारत और फिलिस्तीन विवाद को खत्म करने के लिए टू स्टेट सॉल्यूशन के पक्ष में रहा है। हाल के दिनों में भारत ने फिलिस्तीनी शरणार्थी के लिए दी जाने वाली सहायता में भी काफी इजाफा किया है। इसके बाद भी भारत ने हमेशा तटस्थ रुख ही अपनाया है। भारत इजरायल और फिलिस्तीन के विवाद में कभी किसी एक पक्ष के साथ नहीं खड़ा रहा है। भारत और इजरायल के बीच काफी अच्छे संबंध है और फिलिस्तीन के साथ भी यह काफी अच्छे रहे हैं।

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Tags :
Asaduddin OwaisiPalestineParliament
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