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'पहले ईमेल कीजिए…', गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की अर्जी पर बोले CJI- हम मामले को देखेंगे

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति मामले में गिरफ्तारी को चुनौती दी। वह दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: April 10, 2024 11:41 IST
 पहले ईमेल कीजिए…   गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की अर्जी पर बोले cji  हम मामले को देखेंगे
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल। (इमेज- पीटीआई)
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Delhi Liquor Scam Case: दिल्ली के कथित शराब घोटाले में गिरफ्तारी से राहत ना मिलने पर अब सीएम अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुपीम कोर्ट पहुंच गए हैं, जिसमें कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी।

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वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केजरीवाल की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि गिरफ्तारी एक अविश्वसनीय दस्तावेज पर आधारित है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सिंघवी से एक ईमेल भेजने को कहा है और कहा कि मामले को हम देखेंगे।

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बता दें कि एक दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता की बेंच ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी सही है। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी के द्वारा जुटाए गए सबूतों से पता चलता है कि केजरीवाल ने दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची है।

मामला ईडी और केजरीवाल के बीच

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अरविंद केजरीवाल और ईडी के बीच है। केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच नहीं है। इस मामले में राजनीति नहीं मानी जा सकती। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी ने कानून के मुताबिक काम किया है। बता दें कि विपक्षी दल केंद्र सरकार के साथ-साथ ईडी पर भी आरोप लगा रहे हैं कि ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि केजरीवाल ने दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची है। इसके बावजूद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात नहीं की है।

केजरीवाल ने यह भी दलील दी कि गिरफ्तारी से बचने और तिहाड़ जेल से बाहर निकलने के लिए ईडी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करनी चाहिए। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपी यह तय नहीं कर सकता कि पूछताछ कैसे की जाए। आरोपी चाहे मुख्यमंत्री हो या कोई भी, उसके लिए कोई विशेष सुविधा नहीं हो सकती।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए थे। अप्रूवर के बयानों और माफी देने पर सवाल उठाना न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने जैसा होगा। जांच किसी भी व्यक्ति की सुविधा के मुताबिक नहीं चलती है। जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय किसी के भी घर पर जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अप्रूवर्स के बयान के अलावा आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बयान भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि उसे गोवा चुनाव में खर्च के लिए पैसे दिए गए थे। यह गोवा इलेक्शन के संबंध में मनी ट्रेल को पूरा करता है।

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