तीन साल में 40 तारीखें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी HC ने किया नजरंदाज तो भड़के जस्टिस, CJ को बोला- तुरंत बदलिए बेंच
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस शुक्रवार की सुबह एक मामले की सुनवाई के लिए बैठे तो एक रिट को देखकर उनका पारा चढ़ गया। रिट में शीर्ष अदालत को बताया गया था कि कैसे कलकत्ता हाईकोर्ट की डबल बेंच एक मामले की सुनवाई करना ही नहीं चाहती। पिछले तीन सालों में 40 बार केस की सुनवाई को स्थगित करके तारीखें दे दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को हिदायत दी कि तुरंत डबल बेंच से ये केस वापस ले लें।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एक मामले में 40 स्थगन से साफ है कि डबल बेंच सुनवाई करने की इच्छुक ही नहीं है। उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस को हिदायत देकर कहा कि इस बेंच से तुरंत केस वापस ले लिया जाए। किसी और बेंच के पास मामले को अलॉट किया जाए। उसे कहा जाए कि मामले को जल्दी निपटाया जाए।
कलकत्ता के स्कूल La Martiniere से जुड़ा है केस
मामला कलकत्ता के एक स्कूल La Martiniere से जुड़ा है। इस केस की सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट की डबल बेंच कर रही थी। लेकिन बीते तीन सालों में सुनवाई के नाम पर केवल स्थगन (Adjournment) ही सामने आए। हर बार नई तारीख मिलने से याचिकाकर्ता के सब्र का पैमाना छलक ही गया। 17 अप्रैल 2023 को उसने सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होकर सारा वाकया बयां किया। शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल को एक आदेश जारी करके कहा कि मामला एक शिक्षण संस्थान से जुड़ा है लिहाजा तेजी से सुनवाई करके इसे किसी अंजाम तक पहुंचाया जाए। लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं बदला।
आदेश के बाद भी हाईकोर्ट ने दी तारीख तो भड़के जस्टिस
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के पास आकर बयां किया कि आपके आदेश के बाद भी तारीख पर तारीख दी जा रही है। उनकी बात सुनकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसों को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि हमारे कहने के बाद भी हाईकोर्ट की उसी बेंच को मामले की सुनवाई अलॉट की है। वो बेंच अब भी तारीख पर तारीख दिए जा रही है। केस की सुनवाई करने को वो तैयार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि इस केस को हाईकोर्ट की डबल बेंच से वापस लेकर किसी और बेंच को अलॉट करने की जरूरत है। चीफ जस्टिस तुरंत प्रभाव से हमारे आदेश को लागू करें।