CAG की रिपोर्ट पर येदियुरप्पा 2015 में हुए थे नामजद, HC ने FIR को तभी बता दिया गलत पर केस खारिज होने में लग गए 8 साल
न्यायिक सिस्टम की रफ्तार किस कदर धीमी है इसका अंदाजा कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा के मामले को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। उनके खिलाफ 2015 में केस दर्ज हुआ। हाईकोर्ट में मामला गया तो डबल बेंच ने तभी कह दिया कि CAG की रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज नहीं किया जा सकता। अलबत्ता उस FIR को खारिज होने में 8 साल का वक्त लग गया। केस खारिज हुआ भी तो हाईकोर्ट के एक और आदेश के बाद।
येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज ये केस बेंगलुरु डेवलपमेंट अथॉरिटी में जमीन के अलाटमेंट और गैरकानूनी नोटिफिकेशन से जुड़ा है। CAG ने इस मामले में धांधली का आरोप लगाया तो पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। लेकिन येदियुरप्पा हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि CAG की रिपोर्ट को केस दर्ज करने के लिए आधार नहीं बना सकते। ऐसे मामले में जांच करना भी बेमतलब है।
हाईकोर्ट को बताया 2015 का फैसला, फिर रद हुई FIR
हालांकि डबल बेंच ने ये बात तभी कह दी थी। लेकिन येदियुरप्पा के खिलाफ मामला कायम रहा। येदियुरप्पा फिर से हाईकोर्ट पहुंचे और बताया कि डबल बेंच के फैसले के बाद भी उनके खिलाफ दर्ज केस कायम है। 1 जून को दिए फैसले में हाईकोर्ट की मौजूदा बेंच ने कहा कि 2015 में डबल बेंच ने जो फैसला दिया था वो सही है। लिहाजा येदियुरप्पा के खिलाफ दायर केस खारिज किया जाता है।
जानिए 2015 में डबल बेंच ने क्या फैसला दिया था
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि CAG की रिपोर्ट पर दर्ज किया गया केस Cr. PC के सेक्शन 154(1) और 157(1) के अनुरूप नहीं है। बेंच के तेवर इतने ज्यादा तल्ख थे कि टिप्पणी में यहां तक कहा गया कि इस तरह की FIR कानून को गाली देने के जैसी है। हाईकोर्ट ने कहा कि ये संज्ञेय अपराध नहीं है। ऐसे मामलों में जांच करते रहने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में येदियुरप्पा के खिलाफ जांच बेवजह की है।