मंत्री अनुप्रिया पटेल के आरोपों को योगी सरकार ने बताया गलत, जानिए क्या कहा जवाब में
मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के पत्र का उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जवाब दिया है। अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा था कि एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों ने उनसे शिकायत की है कि राज्य सरकार के द्वारा कराई जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में केवल इंटरव्यू के द्वारा ही भर्ती की जाती है और उन्हें कई बार ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ घोषित कर दिया जाता है।
योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री को एक विस्तृत जवाब भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि चयन प्रक्रिया के बाद खाली खाली रह जाने वाले पदों को अनरिजर्व्ड पोस्ट यानी अनारक्षित पदों में नहीं बदला जाता है बल्कि उन्हें अगली भर्ती प्रक्रिया के लिए आगे बढ़ा दिया जाता है।
अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी भी हैं।
आयोग और विभागों से मांगी गई रिपोर्ट
अनुप्रिया पटेल के पत्र का जवाब देने से पहले योगी सरकार ने चयन प्रक्रिया करने वाले आयोगों और विभागों से रिपोर्ट मांगी थी। इन रिपोर्ट्स के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने शुक्रवार देर रात को केंद्रीय राज्य मंत्री को जवाब भेजा है।
जवाब में इस विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी देवेश चतुर्वेदी ने सरकारी संस्थाओं से मिली ऐसी तमाम रिपोर्ट्स का हवाला दिया है, जहां सीधे इंटरव्यू के जरिए ही नियुक्तियां की जाती हैं। चतुर्वेदी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सरकार ने अपने जवाब में केंद्रीय राज्य मंत्री को सही तथ्यों के बारे में जानकारी दी है।
बोर्ड के पास भी नहीं होती व्यक्तिगत जानकारी
जवाबी पत्र के मुताबिक, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सरकार को बताया है कि साक्षात्कार प्रक्रिया में कोडिंग का इस्तेमाल किया जाता है और इसी के आधार पर उम्मीदवारों का नाम, आरक्षण, कैटेगरी और उनकी उम्र को गुप्त रखा जाता है और इस तरह की व्यक्तिगत जानकारी इंटरव्यू बोर्ड के पास भी नहीं होती।
पत्र में कहा गया है कि इंटरव्यू बोर्ड कहीं भी ‘नॉट सूटेबल’ का इस्तेमाल नहीं करता। इसके बजाय यह ग्रेडिंग का इस्तेमाल करता है जिसे मार्कशीट में दर्ज किए जाने वाले अंकों में बदला जाता है।
पत्र में कहा गया है कि ऐसे इंटरव्यू के लिए मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स यानी न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य, ईडब्ल्यूएस और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 40% और अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 35% है। जो भी वैकेंसी होती हैं उनके लिए अगर किसी भी कैटेगरी के उम्मीदवार के पास मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क्स हैं या उम्मीदवार नहीं है तो आयोग को बिना भरी वैकेंसियों को किसी अन्य श्रेणी में बदलने का अधिकार नहीं है। ऐसे में सरकार के आदेशों के मुताबिक वैकेंसियों को आगे बढ़ा दिया जाता है।
इंटरव्यू प्रक्रिया हुई बंद
यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सरकार के अलग-अलग विभागों के लिए ग्रुप सी की चयन प्रक्रिया आयोजित करता है। इस आयोग ने सरकार को जानकारी दी है कि ग्रुप सी के पदों के तहत चयन प्रक्रिया में इंटरव्यू को पहले ही खत्म कर दिया गया है। ऐसा 2017 में नए नियमों को लागू होने के बाद से किया जा रहा है।
चतुर्वेदी की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार का उच्च शिक्षा विभाग कहता है कि अगर इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलता है तो विभाग की तरफ से आरक्षित श्रेणी के पदों को अनारक्षित में नहीं बदला जाता है।
अनुप्रिया पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए जिससे इन वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों में पनप रहे गुस्से को कम किया जा सके।