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भगवान के 'अपमान' पर घमासान: हमने फोटो टेबल पर रख दी तो गलत हो गया पर जो हजारों मूर्तियां खंडित कर दी गईं...

राहुल गांधी ने कल लोकसभा में कहा था कि हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और भय को समाप्त करने की बात की है लेकिन जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे केवल हिंसा, घृणा और असत्य की बात करते हैं।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: July 02, 2024 15:36 IST
कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा (Source- Twitter)
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लोकसभा में कल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शंकर भगवान की तस्वीर दिखाकर सत्ता पक्ष को संबोधित करते हुए हिंदू धर्म पर ऐसा कुछ कहा कि पीएम मोदी और तमाम सत्ता पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी द्वारा सदन में भगवान शिव की तस्वीर दिखाने पर आपत्ति जताई और नियमों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा करना गलत है।

राहुल द्वारा भगवान शिव की तस्वीर दिखाने पर आपत्ति जताते हुए स्पीकर ने कहा, 'आपने कहा नियम प्रक्रिया से सदन चलना चाहिए, नियम तख्तियां दिखाने की अनुमति नहीं देते।' इस पर राहुल ने कहा कि क्या भगवान शंकर की फोटो दिखाना भी मना है? तब लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आपके ही साथी ने नियमों का हवाला दिया है। इसके मुताबिक सदन में किसी तरह के प्लेकार्ड की इजाजत नहीं है।

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इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि क्या यहां शिवजी का चित्र दिखाना मना है? यहां सबके चित्र दिखाये जा सकते हैं पर शिवजी का चित्र नहीं दिखा सकते। राहुल ने कहा, "मैं बताना चाहता हूं कि इनसे मुझे प्रोटेक्शन मिली और कैसे मिली पर आप मुझे चित्र दिखाने नहीं दे रहे हैं। मेरे पास और चित्र हैं जो मैं यहां दिखाना चाहता हूं। स्पीकर सर ये चित्र पूरे हिंदुस्तान के दिल में है, पूरा हिंदुस्तान इस चित्र को जानता है।"

राहुल और ओम बिरला के बीच वाद-प्रतिवाद

राहुल ने कई और धर्मों के भी चित्र सामने रखे जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आप अब नेता प्रतिपक्ष हैं आपसे ये उम्मीद की जाती है कि आप नियम मानें। जिस पर राहुल ने कहा, "ठीक है सर मैं तस्वीर दिखाऊंगा नहीं फिर कैसे करूँ? मैं कुछ समझाना चाहता हूं, समझा नहीं पा रहा हूं, कैसे करूँ?" जिसका जवाब देते हुए ओम बिरला ने कहा कि यहां सब समझदार हैं, सब चुन कर आए हैं समझ जाएंगे। आप एड्रेस करें।

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राहुल ने इस पर आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शिवजी का चित्र दिखा दिया तो ये गुस्सा हो गए। ये चाहते हैं कि बस ये फोटो दिखाएं।

क्या बोले कांग्रेस प्रवक्ता

इस मुद्दे पर आजतक के कार्यक्रम हल्ला बोल में कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने भी राहुल के बयान पर उठे विवाद पर कहा कि नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं, बीजेपी पूरा हिंदू समाज नहीं है, आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है। हिंदू समाज एक अलग चीज है पर ये एक नया वर्ग ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से हिंदू समाज बनने का आ गया है।

हजारों शिवलिंग नाली में पड़े- कांग्रेस प्रवक्ता

कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा, "हमने फोटो टेबल पर रख दी तो गलत हो गया पर जो हजारों मूर्तियां खंडित कर दी गईं, बनारस में हजारों शिवलिंग डस्टबिन में पड़े हैं वो बहुत अच्छा इन्होंने सम्मान किया था।" बीजेपी प्रवक्ता के इस पर सवाल उठाने पर आलोक ने कहा, "जब वहां कॉरीडोर बना था तब ऐसा हुआ था। आप मेरी बात को गलत मानेंगे पर क्या शंकराचार्य जी की बात को भी गलत साबित करेंगे। तमाम शिवलिंग वहां नाली में पड़े हुए थे वो सम्मान है।"

आलोक शर्मा ने आगे कहा, "चारधाम यात्रा में 100 से ज्यादा लोग अब तक जान गंवा चुके हैं उस पर आप बात नहीं करेंगे। अयोध्या में कहावत है हर घर में वहां मंदिर है और हर मंदिर में घर है, वहां कितने घर आपने तोड़े हैं, कितने मंदिरों को आपने खंडित किया। ये गुजरात मॉडल है। सबसे पहले यह आपने वडोदरा में शुरू किया। तमाम मंदिरों को आपने वहां तोड़ा था, चाहे कॉर्पोरेशन हो या कोर्ट का सहारा लेकर और आज एक फोटो रखने में आपको दिक्कत आ रही है।"

गौरतलब है कि जून 2024 में गुजरात स्थित पावागढ़ पर्वत पर पुरानी सीढ़ियों के बगल में स्थापित 500 साल पुरानी जैन तीर्थंकर नेमिनाथ की प्रतिमाओं को हटाए जाने से पूरे जैन समाज में नाराजगी है। जैन समाज के लोगों ने कहा था कि पावागढ़ महाकाली मंदिर की पुरानी सीढ़ियों पर भगवान तीर्थंकर नेमिनाथ की 500 साल पुरानी प्राचीन मूर्तियां रखी हुई थीं, जिनकी हम पूजा करते थे। उसे मंदिर ट्रस्ट ने बिना हमें बताए हटा कर एक जगह रख दिया है। हमें ट्रस्ट से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

राम मंदिर के उद्घाटन में नहीं शामिल हुए थे शंकराचार्य

जानकारी के लिए बता दें कि 22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में चारों मठों के शंकराचार्य शामिल नहीं हुए थे। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उद्घाटन में शामिल न होने का कारण धार्मिक ग्रंथों का पालन न करना बताया। वहीं, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी में बने काशी कॉरिडोर पर सवाल उठाए थे।

शंकराचार्य ने काशी में मूर्तियां तोड़ने का लगाया आरोप

इस दौरान उन्होंने कहा था कि काशी कॉरिडोर बनाने के दौरान कई हजार साल पुरानी मूर्तियों को तोड़ दिया गया है। सरकार ने काशी में सैकड़ों मूर्तियां तोड़ी हैं। हम उसका विरोध करते हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि हमने अपनी आंखों से देखा, ऐसा लग रहा था कि अभी-अभी महाभारत हुई है। किसी का हाथ कटा तो किसी का गला कटा है। वो दृश्य हमने देखा है तो हमने इसका विरोध किया।

शंकराचार्य ने उस दौरान कहा था कि जब उन्होंने काशी में मंदिर तोड़े, सिर्फ मंदिर ही नहीं दो-दो हजार साल, पंद्रह सौ साल, हजारों साल पुरानी मूर्तियों को तोड़कर उन्हें जब मलबे में फेंका तो हमसे नहीं देखा गया।

शंकराचार्य ने कहा था कि एक मूर्ति की पूजा करने के लिए 10 मूर्तियों को तोड़ दें क्या? एक मूर्ति का महत्व बढ़ाने के लिए 10 मूर्तियों को तोड़कर कहें कि हमने अच्छा काम किया, ये हम स्वीकार नहीं करते हैं। वो दृश्य हमने अपनी आंखों से देखे हैं कि हमारे देवताओं की मूर्तियां पड़ी हैं। चारों तरफ छिटक रही थीं, हमसे वह नहीं देखा गया।

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