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गुरुग्राम में नाबाल‍िग पर नए कानून के तहत पहला केस, बच्‍ची को मार कर जलाने का आरोप

आईपीसी को 1860 में लागू किया गया था और लगभग 164 साल तक इसके तहत भारत में अपराधों को लेकर मुकदमे दर्ज होते रहे।
Written by: Pawan Upreti
नई दिल्ली | Updated: July 02, 2024 11:56 IST
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है लेकिन नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है।(Source-PTI)
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देशभर में तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू कर दिया गया है और इनके तहत कई राज्यों में मुकदमे भी दर्ज होने लगे हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट (आईईए) की जगह लागू किया गया है।

आईपीसी को 1860 में लागू किया गया था और लगभग 164 साल तक इसके तहत भारत में अपराधों को लेकर मुकदमे दर्ज होते रहे।

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नए कानूनों के लागू होने के पहले दिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 8 और ग्रेटर नोएडा में 1 मुकदमा दर्ज किया गया। इसी तरह कई अन्य राज्यों में भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

गुरुग्राम में हत्या का पहला मामला दर्ज

गुरुग्राम में भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मुकदमा एक नाबालिग के खिलाफ दर्ज किया गया है। इस अपराध में 16 साल के एक लड़के ने 9 साल की लड़की की हत्या कर दी। लड़की ने नाबालिग को फ्लैट से चोरी करते हुए देख लिया था। इसके बाद लड़के ने लड़की के शव को जला दिया और इसके लिए उसने कपूर की गोलियों का इस्तेमाल किया। 

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नाबालिग चोरी के इरादे से फ्लैट में तब घुसा जब लड़की की मां और भाई बाहर गए हुए थे और उसके पिता भी घर पर नहीं थे। लड़की उस समय फ्लैट में अकेली थी।

नाबालिग ने सबूतों को खत्म करने के लिए लड़की के कपड़ों को भी जला दिया। नाबालिग ने पूछताछ में बताया कि वह पड़ोसी के फ्लैट में यह सोचकर अंदर घुसा कि वहां रहने वाले लोग फ्लैट में नहीं हैं लेकिन जब लड़की ने अचानक उसे फ्लैट में देखा तो वह घबरा गया।

लड़की उस वक्त वॉशरूम में थी और जब उसने घर में कुछ अजीब आवाज सुनी तो वह वॉशरूम से बाहर निकल आई। नाबालिग ने पुलिस को बताया कि उसने बिस्तर पर दुपट्टे से लड़की का गला घोट दिया और जब उसे यह भरोसा हो गया कि लड़की की सांसें थम चुकी हैं तो उसने पूजा घर से माचिस और कपूर की गोलियां लीं और इनको जलाकर लड़की के शव पर फेंक दिया। नाबालिग का कहना है कि उसने ऐसा इसलिए किया जिससे उसकी उंगलियों के निशान और दूसरे सबूत खत्म हो जाएं। यह घटना सुबह 10 बजे के आसपास हुई।

किस राज्य में किस अपराध के तहत दर्ज हुए मुकदमे

राज्य अपराधकौन सी धारा लगी
पंजाब ट्यूबवेल पंप की मोटर का तार चोरी303(2)
कर्नाटकलापरवाही से गाड़ी चलाना और दुर्घटना281 और 106
पश्चिम बंगालपैसों को लेकर धोखाधड़ी61(2)(a), 204, 316(2), 318(4),336(3), 338, 340(2)
आंध्र प्रदेश लापरवाही से गाड़ी चलाने की वजह से मौत 106(1)
छत्तीसगढ़मारपीट और मौखिक दुर्व्यवहार296 और 351(2)
तमिलनाडुमोबाइल फोन छीनना 304(2)
गुजरातजनता को रोकना285
राजस्थानकिसान पर हमला 115(2)
हिमाचल प्रदेश हमला126(2), 115(2), 352, 351(2)
तेलंगाना बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी चलाना 281
उत्तर प्रदेश लापरवाही से मौत106

पुराने और नए कानूनों के तहत लगने वाली धाराएं

अपराध आईपीसी के तहत सजाभारतीय न्याय संहिता में सजा
अपहरण363111
हत्या की कोशिश307109(1)
हत्या302103(1)
लापरवाही से मौत304A106
गैर इरादतन हत्या304105
छीना झपटी379A304
पीछा करना354D78
छेड़छाड़35477
यौन उत्पीड़न354A75(2)
सामूहिक बलात्कार 376D70(1)
डकैती 394309
दंगे147191(2)
चोरी 379303(2)
वसूली383308(2)

नए कानूनों को समझ रहे पुलिस और वकील

नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद वकील और पुलिस महकमे के तमाम अफसर खुद भी इन कानूनों को समझ रहे हैं और आम लोगों को भी इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर लोगों को नए कानूनों के बारे में जानकारी देने के लिए पुलिस ने चौपाल लगाई।

लंबे समय से पुलिस महकमे और वकालत कर रहे लोगों को पुराने कानूनों की तमाम धाराएं अच्छी तरह याद थीं क्योंकि अपने हर दिन के कामकाज में उनका इससे वास्ता पड़ता था। लेकिन अब जब नए कानून लागू हो गए हैं तो उन्हें पुराने कानूनों के तहत अपराधों में लगने वाली धाराओं को भूलकर नई धाराओं के तहत अपना काम करना है।

निश्चित रूप से पुलिस महकमे और वकालत से जुड़े लोगों को इसमें कुछ वक्त जरूर लगेगा। नए कानूनों के लागू होने के पहले दिन कई जगह जिला अदालतों और पुलिस थाने-चौकियों में इन कानूनों को लेकर चर्चा रही।

कोलकाता में वकीलों ने किया प्रदर्शन

कोलकाता हाई कोर्ट और जिला अदालत में कुछ वकील नए आपराधिक कानूनों के विरोध में अपने कामकाज से गैर हाजिर रहे। राज्य की बार काउंसिल ने इन कानूनों के विरोध में प्रदर्शन भी किया। उन्होंने इन कानूनों को आम जनता का विरोधी, अलोकतांत्रिक और कठोर करार दिया। बार काउंसिल ने एक प्रस्ताव पास कर वकीलों से अपील की थी कि वे 1 जुलाई को काले दिन के रूप में मनाएं।

उन्होंने काली पट्टी बांध कर इन कानूनों का विरोध किया। 

कांग्रेस ने भी किया विरोध

चंडीगढ़ से कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद देश में पुलिस राज की वापसी हो जाएगी। उन्होंने मांग की है कि संसद की संयुक्त समिति के द्वारा इन कानूनों की समीक्षा की जानी चाहिए। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है लेकिन नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है।

झारखंड हाई कोर्ट ने बताई गलती

झारखंड हाई कोर्ट ने नए कानूनों के लागू होने के पहले ही दिन भारतीय नागरिक संहिता को लेकर एक गलती को उजागर किया है। जस्टिस आनंद सिंह और सुभाष चंद की बेंच ने भारतीय नागरिक संहिता की लिंचिंग को लेकर एक धारा 103(2) में गलती है।

यह धारा कहती है कि जब पांच या उससे ज्यादा लोगों का कोई एक समूह नस्ल, जाति और समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा या ऐसे ही अन्य किसी समान आधार पर किसी की हत्या करता है तो इस अपराध में शामिल सभी लोगों को या तो मौत की सजा दी जाएगी या फिर उम्र कैद की। साथ ही उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। लेकिन लेक्सिस नेक्सिस संस्करण में ‘किसी अन्य समान आधार’ के बजाय ‘किसी अन्य आधार’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

अदालत ने कहा कि इस गलती के 'गंभीर नतीजे' हो सकते हैं। अदालत ने प्रकाशक को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों में इस संबंध में सुधार से जुड़ा विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए कहा।

झारखंड हाई कोर्ट के वकील मोहम्मद शबाद अंसारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘किसी भी अन्य आधार’ का मतलब कुछ भी हो सकता है और इसे संपत्ति विवाद के मामलों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वह लिंचिंग से जुड़े कई मामलों में पीड़ितों की लड़ाई लड़ चुके हैं। 

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