18th Lok Sabha First Session: 2024 में पहली बार संसद पहुंचने पर 2019 से दोगुना बोले पीएम नरेंद्र मोदी, जानिए कितना अलग रहा भाषण
अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत 24 जून, 2024 (सोमवार) से हो गई। लोकसभा चुनाव 2024 में लगातार तीसरी बार एनडीए की जीत के बाद प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी जब बतौर सांसद शपथ लेने के लिए पहुंचे तो अंदर जाने से पहले मीडिया को संबोधित किया। नए संसद भवन के परिसर में हंस द्वार के पास हुआ उनका यह संबोधन 2019 में सत्र के पहले दिन दिए गए संबोधन से कई मामलों में अलग था।
प्रधानमंत्री ने जहां 'हमारी सरकार' कहते हुए अपनी बात रखी, वहीं विपक्ष की महत्ता और उन्हें सम्मान दिए जाने की बात उतने मजबूत तरीके से नहीं की, जैसे 2019 में की थी।
17वीं लोकसभा का पहला सत्र 2019 में 17 जून को शुरू हुआ था। उस दिन जब प्रधानमंत्री सदन पहुंचे थे तो बाहर करीब सात मिनट तक संबोधन किया था। इस बार उनका संबोधन करीब 15 मिनट लंबा रहा।
मोदी के सामने होगा मजबूत विपक्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 18वीं लोकसभा में जितना मजबूत (संख्या बल) विपक्ष का सामना करना पड़ेगा, उतना मजबूत विपक्ष उनके शासनकाल में कभी नहीं रहा। न गुजरात में मुख्यमंत्री रहते और न ही प्रधानमंत्री के रूप में।
2019 में एनडीए को 353 सीटें मिली थीं, जबकि यूपीए के 91 सांसद थे। इससे पहले 2014 में एनडीए के 336 और यूपीए के 59 सांसद थे। लेकिन, 2024 में एनडीए के 293 और विपक्षी गठबंधन (इंडिया) के 234 सांसद चुने गए हैं।
2024 के संबोधन में प्रधानमंत्री ने विपक्ष और विपक्ष की आवाज की महत्ता पर कोई जोर नहीं दिया। 2019 के संबोधन में उन्होंने विपक्ष को महत्व और सम्मान दिए जाने पर काफी जोर दिया था। प्रधानमंत्री ने विपक्ष से सकारात्मक भूमिका की अपेक्षा जताते हुए उनकी बात को बराबर महत्व देने की बात कही थी।
हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी लोकतंत्र में विपक्ष की महत्ता बताते हुए कहा था कि दूसरा पक्ष विरोधी पक्ष नहीं, बल्कि प्रतिपक्ष है। वह भी एक पक्ष है जो मामले का दूसरा पहलू उजागर करता है।
2019 में 17 जून को सदन के बाहर प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा था-
'लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिया होना, विपक्ष का सामर्थ्यवान होना यह लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है। मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ दें, देश की जनता ने जो नंबर दिया है, दिया है ,लेकिन हमारे लिए उनका हर शब्द मूल्यवान है, उनकी हर भावना मूल्यवान है। जब हम एमपी के रूप में बैठते हैं तब पक्ष विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष का स्पिरिट बहुत महत्व रखता है।'
2019 में लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने से पहले दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण
इस बार प्रधानमंत्री ने विपक्ष के बारे में यह कहा-
देश की जनता विपक्ष से अच्छे कदमों की अपेक्षा रखती है। अब तक जो निराशा मिली है, शायद इस 18वीं लोकसभा में विपक्ष देश के सामान्य नागरिकों की विपक्ष के नाते उनकी भूमिका की अपेक्षा करता है। लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने की अपेक्षा करता है। मैं आशा करता हूं कि विपक्ष उसमें खरा उतरेगा। लोगों को अपेक्षा नहीं है कि नखरे होते रहें, ड्रामा होते रहे, डिस्टर्बेंस होता रहे। लोग सब्सटेंस चाहते हैं, स्लोगन नहीं चाहते हैं।
पहली बार सहयोगी दलों के बूते मिली बहुमत से सरकार चला रहे प्रधानमंत्री ने सहमति पर जोर दिया। उन्होंने कहा-
सरकार चलाने के लिए बहुमत होता है, लेकिन देश चलाने के लिए सहमति की जरूरत होती है। इसलिए हमारा प्रयास रहेगा कि हर किसी की सहमति के साथ लोगों की सेवा करें। हम सबको साथ लेकर संविधान की मर्यादाओं का पालन करते हुए निर्णयों को गति देना चाहते हैं।
मोदी ने दिलाई आपातकाल की याद
प्रधानमंत्री ने आपातकाल की याद भी दिलाई। उन्होंने कहा, 'कल 25 जून है। जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है। 25 जून को लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, कल उसके 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, देश को जेलखाना बना दिया गया था। उन्होंने कहा कि अब देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में अब कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा जो 50 साल किया गया था।'
2019 में प्रधानमंत्री ने लगातार दोबारा सरकार चुने जाने का जिक्र करते हुए कहा था कि कई दशकों बाद देश की जनता ने पहले से ज्यादा बहुमत के साथ एक सरकार को देाबारा मौका दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा था-
हमने सबका साथ, सबका विकास के साथ यात्रा शुरू की थी। जनता ने सबका साथ, सबका विकास के अंदर एक अदभुत विश्वास भर दिया।
2024 के भाषण में भी प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरी बार एक ही सरकार चुने जाने को बहुत बड़ी घटना बताया और कहा कि यह आजादी के बाद केवल दूसरी बार हुआ है और वह भी करीब साठ साल बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में बहुत बड़ी गौरवपूर्ण घटना है।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का वीडियो
पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता ने हमें तीसरी बार मौका दिया है, यह बहुत ही महान विजय है। उन्होंने देशवासियों को विश्वास दिलाया- हमारे तीसरे कार्यकाल में हम पहले से तीन गुना ज्यादा मेहनत करेंगे। हम परिणामों को भी तीन गुना लाकर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के शुरुआत के मौके पर अंक 18 का महत्व भी समझाया। उन्होंने कहा
भारत की परंपराओं को जो जानते हैं, भारत की विरासत से जो परिचित हैं उन्हें पता है कि हमारे यहां 18 अंक का बहुत सात्विक महत्व है। गीता में 18 अध्याय हैं, पुराण व उप पुराण 18 हैं, 18 का मूलांक 9 है जो पूर्णता का प्रतीक अंक है। 18 वर्ष की आयु में हमारे यहां मताधिकार मिलता है।
प्रधानमंत्री ने 2024 के लोकसभा चुनाव का महत्व बताते हुए कहा कि विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार तरीके से गौरवमय तरीके से संपन्न होना सभी भारतवासियों के लिए गौरव की बात है। उन्होंने इस बार सदन में युवा सांसदों की 'अच्छी संख्या' होने का जिक्र किया। 2019 में उन्होंने महिला सांसदों की संख्या और महिला मतदाताओं के मतदान में बढ़ कर भूमिका लेने का जिक्र किया था।
विकसित भारत का संकल्प दोहराया
प्रधानमंत्री ने अपनी उपलब्धि और संकल्प का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए हम सबका दायित्व है। हम मिल कर उस दायित्व को निभाएंगे। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालना इस बात का विश्वास पैदा कराता है कि हम जल्द गरीबी से मुक्त करने की क्षमता रखते हैं।
17वीं लोकसभा का रिपोर्ट कार्ड
17वीं लोकसभा ने जून 2019 से फरवरी 2024 के बीच काम किया। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक इस दौरान लोकसभा की 274 बैठकें हुईं। इससे पहले केवल चार लोकसभा की इससे कम बैठकें हुई हैं। हालांकि, इनमें से कोई पूरे पांच साल नहीं चली थीं।
17वीं लोकसभा के 15 में से 11 सत्र तय समय से पहले खत्म कर दिए गए थे। 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में दोनों सदनों के 206 सदस्य निलंबित किए गए थे। 2023 के शीतकालीन सत्र में 146 सदस्य निलंबित किए गए थे। कई अहम बिल सांसदों के निलंबन के दौरान ही पारित किए गए। 179 में से 58 फीसदी बिल पेश करने से पारित होने तक में दो सप्ताह या इससे भी कम समय लगा। जो बिल पारित हुए, उनमें से 35 फीसदी पर लोकसभा में एक घंटा से भी कम चर्चा हुई। जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन अधिनियम और महिला आरक्षण बिल तो दो दिन में पाारित हो गया था।
17वीं लोकसभा में पेश ज्यादातर बिल पास हो गए थे और वह भी बिना रिकॉर्डेड वोटिंग के। बजट भी बिना चर्चा के या बहुत कम चर्चा कर पारित होते रहे। 2023 में बिना किसी चर्चा के पूरा बजट पारित हो गया था। इससे पहले 2013 और 2018 में ऐसा हुआ था।