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महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन ने एक भी मुसलमान को नहीं दिया टिकट, नेता बोले- सिर्फ मुस्लिम वोट चाहिए, उम्मीदवार नहीं

वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने पार्टी की प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने निराशा व्यक्त की है कि MVA ने लोकसभा चुनाव में कोई अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं उतारा है।
Written by: Ankit Raj
नई दिल्ली | Updated: April 28, 2024 15:24 IST
महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन ने एक भी मुसलमान को नहीं दिया टिकट  नेता बोले  सिर्फ मुस्लिम वोट चाहिए  उम्मीदवार नहीं
नमाज पढ़ते मुसलमान (Express Photo by Kamleshwar Singh)
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महाराष्ट्र में लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अपने कॉलम 'इनसाइड ट्रैक' में बताया था कि राज्य में भाजपा को अपने गठबंधन सहयोगियों की वजह से नुकसान हो सकता है। अब यही बात विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) के लिए भी कही जा सकती है।

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है। इस बात से कांग्रेस और सपा समेत गठबंधन में शामिल विभिन्न दलों के मुस्लिम नेता नाराज हो गए हैं। MVA में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल है। महाराष्ट्र की करीब 11.56 फीसदी आबादी मुस्लिम है। राज्य में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं।

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महाराष्ट्र और मुस्लिम प्रतिनिधित्व

60 के दशक में महाराष्ट्र राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से राज्य से कुल 567 संसद (लोकसभा सांसद) चुने गए हैं। ऐसे राज्य में जहां हर दसवां व्यक्ति मुस्लिम है, इन 567 सांसदों में से केवल 15 यानी 2.5 प्रतिशत से कम मुस्लिम थे।

पिछले कुछ वर्षों में मुसलमानों ने खुद को राज्य की चुनावी राजनीति में तेजी से हाशिए पर पाया है। राजनीतिक दल उन्हें टिकट देने में झिझक रहे हैं। महाराष्ट्र में हुए पिछले चार आम चुनावों में प्रमुख राजनीतिक दलों ने केवल पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने 2004 में एक, 2009 में एनसीपी और कांग्रेस ने एक-एक, 2014 में कांग्रेस ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था।

पिछले आम चुनाव (2019) में कांग्रेस ने अकोला में केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार हिदायत पटेल को मैदान में उतारा था। इस बार विपक्षी गठबंधन ने एक भी टिकट मुसलमानों को नहीं दिया है। 2019 में महाराष्ट्र से केवल एक मुस्लिम नेता लोकसभा पहुंचा था, वो भी AIMIM की टिकट पर।

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प्रतिनिधित्व के इस इनकार ने समुदाय को कांग्रेस-एनसीपी से एआईएमआईएम जैसी मुस्लिम-केंद्रित पार्टियों की ओर धीरे-धीरे धकेला है। कुछ मामलों में मुसलमानों ने बीजेपी का साथ देना भी पसंद किया है।

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ये भी पढ़ें- भाजपा की मुश्किल, कहीं गठबंधन से नुकसान का डर तो कहीं गठबंधन ना होने का उठाना पड़ सकता है खामियाजा (फोटो पर क्लिक करें)

बेंगलुरु: शनिवार (20 अप्रैल, 2024) को लोकसभा चुनाव से जुड़ी एक सार्वजनिक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (PTI Photo/Shailendra Bhojak)

14 सीटों पर निर्णायक भूमिका में मुसलमान

महाराष्ट्र के कुल आबादी 11.24 करोड़ है, इसमें मुस्लिम 1.3 करोड़ हैं। यानी राज्य की आबादी में 11.56 प्रतिशत मुसलमना हैं। मुस्लिम समुदाय राज्य की 14 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं - जिसमें मुंबई की सीटें भी शामिल हैं - जहां वे मतदाताओं का 14 से 25 प्रतिशत के बीच हैं। ये 14 सीटें जहां मुस्लिम बड़ी भूमिका निभाएंगे वो हैं धुले, नांदेड़, परभणी, लातूर, औरंगाबाद, भिवंडी, अकोला, ठाणे और मुंबई की छह सीटें।

इन 14 सीटों में से पिछली बार आठ पर भाजपा और पांच पर उसकी तत्कालीन सहयोगी शिवसेना को जीत मिली थी। एक सीट AIMIM के हिस्से गया था। 2019 के चुनाव में भी भाजपा-शिवसेना ने 14 में से 13 सीटें जीत ली थीं। 2014 की मोदी लहर से पैदा हुए ध्रुवीकरण ने मुस्लिम वोटों को बेअसर कर दिया था, जिससे सभी 14 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। 2009 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को नौ सीट जीतने में कामयाबी मिली थी।

टिकट न देने की वजह?

मुस्लिम सामाजिक संगठन ने राज्य के मुसलमानों को टिकट देने के लिए कई राजनीतिक दलों से आवेदन कर चुके हैं। हालांकि, राजनीतिक दल आमतौर पर इस डर से ऐसा करने से बचते रहे हैं कि आज के युग में मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करने से भाजपा के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण हो जाएगा।

पिछले आम चुनाव में द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा था, "ऐसा कोई मजबूत मुस्लिम नेता नहीं है जो अपने समुदाय के अलावा वोट हासिल कर सके। मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करने से यह खतरा भी पैदा होता है कि चुनाव सांप्रदायिक रंग ले सकता है। जब ऐसा होता है, तो वोट आम तौर पर भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकृत हो जाते हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों को सीटें न दिए जाने का यह एक कारण रहा है।"

कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से यह भी कहा है कि जीतने वाले मुस्लिम उम्मीदवारों को खोजने में कठिनाई हो रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पिछले आम चुनाव से पहले कहा था, "अगर जीतने की संभावना अच्छी है तो अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को शामिल करने में मुझे खुशी होगी।"

कांग्रेस नेता ने प्रचार नहीं करने का किया फैसला

वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने पार्टी की प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने निराशा व्यक्त की है कि MVA ने लोकसभा चुनाव में कोई अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं उतारा है। अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोग और संगठन किसी भी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं देने के गठबंधन के फैसले से नाराज हैं।

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए खान ने कहा कि "कांग्रेस की विचारधारा शुरू से ही समुदाय या जाति की परवाह किए बिना सभी को साथ लेकर चलने की रही है। लेकिन इस बार अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों में बहुत गुस्सा है क्योंकि राज्य की 48 लोकसभा सीटों पर एक भी मुस्लिम (विपक्ष) उम्मीदवार नहीं है। जबकि कांग्रेस अपने स्थापना के दिनों से ही, यह सभी को साथ लेकर चलने के लिए जाना जाता है, चाहे वे मुस्लिम हों, ओबीसी हों, मराठा हों, एससी हों या एसटी हों।"

खान ने बताया कि "अगर मैं वोट मांगने के लिए लोगों के पास जाता हूं, तो वे मुझसे पूछते हैं कि इस बार अल्पसंख्यक समुदाय से कोई उम्मीदवार क्यों नहीं है? मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं होता है। इसलिए मैंने तीसरे, चौथे और पांचवें चरण के लिए प्रचार नहीं करने का फैसला किया है।"

Congress
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित पत्र में मोहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने ये लिखा है।

ध्यान रहे कि खान को मुंबई उत्तर मध्य से टिकट पाने की रेस में बताया जा रहा था, जहां 6.5 लाख से अधिक मुस्लिम और दो लाख उत्तर भारतीय मतदाता हैं। कांग्रेस ने मुंबई उत्तर मध्य से वर्षा गायकवाड़ को मैदान में उतारा है।

खान ने अपने त्यागपत्र में लिखा है, "दो महीने पहले यह निर्णय लिया गया था कि मुझे पार्टी की उम्मीदवारी दी जाएगी। इससे मुंबई में अल्पसंख्यक समुदाय में उत्साह था। हालांकि, पार्टी ने इस सीट (मुंबई उत्तर मध्य) से एक अलग नाम की घोषणा की है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर अशांति पैदा हो गई है।"

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मुस्‍ल‍िमों के पास 9 प्रत‍िशत सोना (Source- Express Illustration by Manali Ghosh)

सामाजिक कार्यकर्ता से नेता बने थे खान

खान ने 1992-93 के मुंबई दंगों के बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया था, जिसमें करीब 900 लोग मारे गए थे। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के अकबरपुर के मूल निवासी खान अक्सर मुंबई के कुर्ला उपनगर में घूमकर दंगों से प्रभावित लोगों के लिए चंदा जुटाया करते थे। तब वे एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस से जुड़े हुए थे।

खान अक्टूबर 1998 में श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्षों को लागू करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे। श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट में दंगों के दौरान पुलिसकर्मियों और राजनेताओं को उनके आचरण के लिए दोषी ठहराया गया था।

खान 1999 में मुख्यधारा की राजनीति से जुड़े, जब कांग्रेस ने उन्हें उस साल के विधानसभा चुनाव में कुर्ला से टिकट दिया। उन्होंने सीट जीती और राज्य सरकार में मंत्री बने। तब से, खान ने चार बार विधानसभा चुनाव जीता, दो बार कुर्ला से और दो बार चांदीवली से विधायक बने। वह लगातार कांग्रेस-एनसीपी सरकारों में मंत्री भी रहे और विभिन्न विभागों को संभाला।

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मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल (PC- FB)

महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव भी निराश

महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव जाकिर अहमद ने कहा है, "राज्य में 35 और सीटों पर मतदान होना है और समुदाय ज्यादा उत्साह नहीं दिखाएगा। पार्टी ने राज्य में कम से कम एक मुस्लिम को मैदान में उतारा होता। अब मुस्लिम मतदान केंद्रों पर पहुंचेंगे उनका दिल भारी है क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है।"

गुजरात में इसलिए मुस्लिमों ने छोड़ा कांग्रेस का साथ!

शहर कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के उपाध्यक्ष मुदस्सर पटेल पूछते हैं, "जब समुदाय हमसे हमारे प्रतिनिधित्व के बारे में पूछेगा तो हम उसे क्या बताएंगे? क्या कांग्रेस भूल गई है कि 2002 के बाद गुजरात में मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस से दूर चला गया और भाजपा को वोट देने लगा? उसके लिए कांग्रेस की नीतियां जिम्मेदार थीं। उन्हें किसने बताया कि 48 में से एक सीट देने से हिंदू मतदाता नाराज हो जाएंगे?"

सपा नेता ने जताई भी नाराजगी

इसी तरह की नाराजगी महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने जताई है, उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस को मुस्लिम वोट तो चाहिए लेकिन मुस्लिमों को टिकट नहीं देना है। इंडिया टुडे समूह से बातचीत में आजमी ने कहा है कि "कांग्रेस पार्टी हमेशा मुस्लिम वोटों पर दावा करती है। कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों के साथ है, लेकिन कांग्रेस को सिर्फ मुस्लिम वोट चाहिए।"

Muslim Voter Council of India

एमवीए का सीट बँटवारा

एमवीए ने हाल ही में महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों के लिए अपने सीट बँटवारे की घोषणा की थी। सीट बंटवारे के समझौते के तहत, शिवसेना (यूबीटी) 21 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) ने क्रमशः 17 और 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। महाराष्ट्र में मतदान पांच चरणों में हो रहा है - 19 अप्रैल से 20 मई तक। वोटों की गिनती 4 जून को होनी है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में ही हैं।

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