Rahul Gandhi Speech Analysis: जय महादेव का उद्घोष, डरना नहीं है का संदेश- राहुल के भाषण में किसके लिए है क्या संकेत?
राहुल गांधी ने एक जुलाई को लोकसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष पहला भाषण दिया। करीब पौने दो घंटे का भाषण शुरू करते हुए राहुल ने सबसे पहले उस नैरेटिव को मजबूती दी कि विपक्ष संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। संविधान की प्रति साथी सांसद से मांग कर उन्होंने लहराई और 'जय संविधान' का नारा लगाया।
राहुल गांधी का यह भाषण काफी हंगामेदार रहा। कई जगह उन्हें विपक्ष के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन राहुल गांधी 'डरो नहीं' की तर्ज पर पूरे भाषण में बीजेपी, प्रधानमंत्री और नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे। उन्होंने कई जगह प्रधानमंत्री की चुटकी ली।
राहुल का हिंंदू व हिंंदुत्व से संबंधित सबसे ज्यादा चर्चित और विवादास्पद बयान रहा। राहुल ने कहा-
इस बयान के बाद राहुल एक्स (पहले ट्विटर) पर खूब ट्रोल किए जाने लगे और 'राहुल खान' टॉप ट्रेंड्स में शुमार हो गया।
राहुल के इस भाषण में कई संदेश और संकेत छिपे हैं। सत्ता पक्ष, विपक्ष, कांग्रेस, लोकसभा स्पीकर और जनता…सभी के लिए।
सत्ता पक्ष को मैसेज
सत्ता पक्ष के लिए मैसेज यही रहा कि इस बार वह विपक्ष के वार सहे बिना नहींं रह सकता। राहुल ने अपने अंदाज में सरकारी एजेंसियों, संस्थाओं के कथित दुरुपयोग, मणिपुर, महंगाई, एमएसपी, अग्निपथ, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा। उनके भाषण के करीब 20 मिनट बाद ही प्रधानमंत्री को उठना पड़ा।
बाद में एक बार और प्रधानमंत्री उठे। इस बार उन्होंने राहुल गांधी पर तंज कसा और कहा कि संविधान ने मुझे सिखाया है कि नेता प्रतिपक्ष को गंभीरता से लेना चाहिए।
सरकार के बड़े मंत्री भी उठने को हुए मजबूर
राहुल के पूरे भाषण के बीच अमित शाह, राजनाथ सिंंह, किरन रिजिजू, शिवराज सिंंह चौहान, भूपेंद्र यादव को भी बीच में उठ कर अपनी बात रखनी पड़ी। कभी राहुल की बातों पर आपत्ति जताने या सफाई देने के लिए और कभी स्पीकर से व्यवस्था देने की गुहार लगाने के लिए।
जनता को मैसेज
राहुल ने जनता को यह मैसेज दिया कि वह उनसे जुड़े मुद्दों पर लोकसभा में बात करेंगे। मणिपुर हिंंसा, महंगाई, बेरोजगारी, ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग के आरोप जैसे मुद्दों पर जो बात वह अक्सर बाहर कहते हैं, वही बात उन्होंने सदन के अंदर भी कही।
स्पीकर को मैसेज
राहुल गांधी ने स्पीकर को विपक्ष की आवाज को जगह देने और बिना भेदभाव कार्यवाही चलाने का मैसेज भी दिया। राहुल ने पूछा- माइक का कंट्रोल किसके हाथ में है। मेरे भाषण के बीच में माइक ऑफ हो जाता है। साफ-साफ यह तक याद दिला दिया कि आप सदन में नरेंद्र मोदी से झुक कर मिलते हैं, विपक्ष के नेता से नहीं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी बेबस से दिख रहे थे। उन्हें दोनों तरफ से घेरा गया। सत्ताधारी पक्ष की ओर से अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को छूट दी जा रही है और वह नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, सत्ताधारी पक्ष को संरक्षण की जरूरत है।
स्पीकर ने जब कहा कि बहस को राष्ट्रपति के अभिभाषण से जुड़े मुद्दों तक ही सीमित रखें तब भी राहुल ने अपने जवाब से स्पीकर को सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए समान रुख रखने का ही संदेश दिया।
राहुल के पूरे भाषण के दौरान सत्ता पक्ष ने कई बार स्पीकर से संरक्षण की मांग करते हुए नियमों का हवाला देते हुए राहुल के खिलाफ व्यवस्था देने की गुहार लगाई।
विपक्ष के साथियों को मैसेज
राहुल ने इंडिया गठबंधन के अपने साथियों को संदेश दिया कि बतौर नेता प्रतिपक्ष वह सारे दलों की आवाज बनेंगे। यह कह कर उन्होंने गठबंधन की एकता बनाए रखने के लिए भी अपने साथियों को संदेश दे दिया। साथ ही, यह भी संदेश दिया कि आगे भी मिल कर चुनाव लड़ने की जरूरत है। राहुल ने भाजपा से कहा- इंडिया गठबंधन इस बार आपको गुजरात में भी हराएगा।
कांग्रेस को मैसेज
राहुल के भाषण में कांग्रेस के लिए भी मैसेज है। एक मैसेज यह भी हो सकता है कि अब भाजपा को राम का जवाब शिव से दिया जाए। साथ ही, यह मैसेज भी कि राहुल गांधी पहले से मजबूत नेतृत्व क्षमता से लैस हैं।
जनता को राहुल गांधी का मैसेज यही हो सकता है कि उनकी आवाज सदन में उठती रहेगी। जरूरत पड़ी तो नियमों की परवाह न करते हुए भी वह ऑफिशियल वर्जन के उलट जनता के मन की बात रखेंगे। जैसा कि अग्निवीर के मामले में उन्होंने किया। एक संदेश यह भी है कि भाजपा ने राहुल गांधी की जो छवि बनाई थी, राहुल के बतौर नेता प्रतिपक्ष पहले भाषण से जनता उसकी सच्चाई परखे।