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Haryana Lok Sabha Election Rohtak Seat : क्‍या कांग्रेस के ल‍िए वाकई ‘सबसे सेफ’ है बीजेपी की यह सीट?

हरियाणा की सभी 10 सीटों पर लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा।
Written by: वरिंदर भाटिया | Edited By: shruti srivastava
नई दिल्ली | May 22, 2024 16:24 IST
haryana lok sabha election rohtak seat   क्‍या कांग्रेस के ल‍िए वाकई ‘सबसे सेफ’ है बीजेपी की यह सीट
(बायें से दाएं) बीजेपी के अरविंद शर्मा और कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा (Source- facebook)
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कांग्रेस और हुड्डा परिवार का गढ़ मानी जाने वाली हरियाणा की रोहतक सीट लोकसभा चुनाव 2024 की सबसे हॉट सीटों में से एक है। यहां से कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा चुनाव मैदान में हैं। दीपेंद्र हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट से तीन बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन पिछले आम चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने एक बार फिर डॉ अरविंद शर्मा को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पिछली बार दीपेंद्र हुड्डा को हराया था।

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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के गढ़ के रूप में जाना जाने वाला रोहतक निर्वाचन क्षेत्र इस बार राज्य में कांग्रेस के सबसे सुरक्षित दांव के रूप में उभरा है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस को इस बात से भरोसा है कि लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले नौ विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर उसका कब्जा है। भाजपा के कब्जे वाली एकमात्र सीट कोसली है। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू बीजेपी के खिलाफ नजर आ रहे हैं, हालांकि वे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस का समर्थन भी नहीं कर रहे हैं।

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वहीं, रोहतक से मौजूदा भाजपा सांसद अरविंद शर्मा ने इस दावे को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ हुड्डा पर‍िवार द्वारा बनाई गई एक धारणा है।

बीजेपी उम्मीदवार ने कहा- रोहतक के लोग "मोदी फैक्टर" के कारण नहीं करेंगे वोट

अरविंद शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “यह तथाकथित सबसे मजबूत सीट सिर्फ एक धारणा है जो हुडा ने बनाई है। 2019 में क्या हुआ, वे हार गए। इस बार भी वे जीत नहीं पाएंगे क्योंकि यह स्थानीय चुनाव नहीं है, लोग राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट करेंगे।” शर्मा इस बात पर भी जोर देते हैं कि रोहतक के लोग "मोदी फैक्टर" के कारण नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने पूरे देश के लिए जो काम किया है, उसके कारण उनके पक्ष में मतदान करेंगे।

रोहतक में सिर्फ दो बार हारी है कांग्रेस

रोहतक सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों - गढ़ी-सांपला-किलोई, रोहतक, कलानौर, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर और बेरी पर कब्जे के अलावा, कांग्रेस को उम्मीद है कि निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी की मजबूत उपस्थिति, लोगों के साथ दीपेंद्र का व्यक्तिगत जुड़ाव, विरोधी अरविंद शर्मा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के साथ ही किसानों के विरोध और बेरोजगारी जैसे अन्य मुद्दे उन्हें आने वाले चुनावों में मदद करेंगे।

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साल 1991 से कांग्रेस रोहतक में जीत का परचम लहराती रही है। पार्टी यहां सिर्फ दो बार 1999 और 2019 में हारी। एक बार INLD और एक बार BJP बस यहां कांग्रेस को हरा सकी। भाजपा के विकास के नारे से सीख लेते हुए दीपेंद्र हुड्डा इस बारे में भी बात कर रहे हैं कि एक सांसद के रूप में उन्होंने रोहतक, सोनीपत और आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को कैसे बढ़ावा दिया।

दीपेंद्र का दावा- भाजपा के सत्ता में आने के बाद रोकी गईं कई परियोजनाएं

दीपेंद्र का दावा है कि उन्होंने रोहतक में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक, आईटीआई, सरकारी कॉलेज, केंद्रीय विद्यालय और सरकारी स्कूलों सहित कई शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने में मदद की। उन्होंने कहा, ''मुझे रेवाड़ी-झज्जर-रोहतक और रोहतक-महम-हांसी रेलवे लाइनों के लिए भी मंजूरी मिल गई लेकिन 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद कई बड़ी परियोजनाएं रुक गईं जबकि अन्य को राज्य से बाहर ले जाया गया। कांग्रेस सरकार की गरीब-समर्थक कल्याण योजनाएं बंद कर दी गईं जबकि भाजपा मूकदर्शक बनी रही।''

वह झज्जर विधानसभा क्षेत्र के बरहाना गांव में एक सभा के दौरान कहते हैं, “आप मुझे तब से जानते हैं जब मैं बच्चा था। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने दिल की आवाज सुनकर वोट करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपका आशीर्वाद व्यर्थ नहीं जाएगा।” दीपेंद्र ने सभा में कहा कि यह उनका क्रोध था जिसने भाजपा को सीएम बदलने के लिए मजबूर किया। दरअसल, हाल ही में एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया था।

भाजपा में राजनीतिक संकट

दीपेंद्र बताते हैं कि तब से तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। कांग्रेस ने राज्य में राजनीतिक संकट का आरोप लगाया था। हुड्डा कहते हैं, “विधायक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। यह एक मजबूत संकेत है कि हरियाणा के लोगों ने कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का मन बना लिया है। यहां लड़ाई केवल जीत के अंतर को लेकर है।''

दीपेंद्र ने कहा कि तब से तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, कांग्रेस ने राज्य में राजनीतिक संकट का आरोप लगाया था। “विधायक भाजपा कांग्रेस को खत्म करने में शामिल हो रहे हैं।” यह एक मजबूत संकेत है कि हरियाणा के लोगों ने कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का मन बना लिया है। यहां लड़ाई केवल जीत के अंतर को लेकर आती है,'' वह कहते हैं।

लोग कांग्रेस पर वोट बर्बाद नहीं करेंगे- भाजपा उम्मीदवार

वहीं, दूसरी ओर अरविंद शर्मा का कहना है कि लोग नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम के रूप में देखना चाहते हैं और कांग्रेस पर अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे, जिसके पास कोई प्रधानमंत्री पद का चेहरा नहीं है। हालांकि, वह अग्निपथ योजना, बढ़ती बेरोजगारी और मुद्रास्फीति के बारे में आलोचना को दूर करने का प्रयास करते हैं।

विकास को लेकर दीपेंद्र के दावे पर अरविंद ने कहा कि ये काम तत्कालीन राज्य और केंद्र सरकार ने किए थे। वह भाजपा की आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना जैसी 'जन-केंद्रित' कल्याणकारी योजनाओं को सामने रखते हैं। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस ने अपने दावे के अनुसार काम किया तो वे 2014 में विधानसभा में 15 सीटों पर क्यों सिमट गए? 2019 में भी उन्हें खारिज कर दिया गया और फिर से वही हश्र होगा।

कौन-कौन है रोहतक के चुनाव मैदान में?

कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और बीजेपी के अरविंद शर्मा के अलावा रोहतक से बसपा के उम्मीदवार राजेश बैरागी ने कुछ दिन पहले अपना नामांकन वापस ले लिया था और वह दीपेंद्र के साथ आ गए हैं। इनेलो ने यहां से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है जबकि जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने रविंदर सांगवान को टिकट दिया है।

Source- Indian Express

रोहतक लोकसभा चुनाव परिणाम

2019 के आम चुनाव में डॉ अरविंद शर्मा ने दीपेंद्र हुड्डा को हराया था। उनकी हार का कुल अंतर सिर्फ 7503 वोटों का था। अरविंद को जहां 5.73 लाख वोट और दीपेंद्र को 5.66 लाख वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी के ओम प्रकाश को हराया था। दीपेंद्र को 4.90 लाख और ओम प्रकाश को 3.19 लाख वोट मिले थे।

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