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Narendra Modi Cabinet 2024: चुनाव हारने वाले रवनीत सिंह बिट्टू को नरेंद्र मोदी ने क्‍यों बनाया मंत्री?

रवनीत सिंह बिट्टू की पहचान पंजाब में आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ खुलकर बोलने वाले नेता की रही है। इसलिए वह कट्टरपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं।
Written by: Pawan Upreti
नई दिल्ली | Updated: June 10, 2024 20:19 IST
सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह निर्दलीय ही चुनाव जीत गए हैं।
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बीजेपी को इस बार पंजाब में एक भी सीट नहीं मिली है लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने लुधियाना से चुनाव हारे रवनीत सिंह बिट्टू को मंत्री बनाया है। पंजाब ऐसा राज्य है जहां पर भाजपा का कोई बड़ा आधार कभी भी नहीं रहा है। बावजूद इसके, बीजेपी ने केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में पंजाब को जगह दी है तो इसके कई मायने हैं।

लेकिन इससे पहले हम यह जरूर जानेंगे कि रवनीत सिंह बिट्टू कौन हैं।

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तीन बार कांग्रेस के टिकट पर जीते बिट्टू

रवनीत सिंह बिट्टू तीन बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव जीता था। 2014 और 2019 में वह लुधियाना से सांसद चुने गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही बिट्टू कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के साथ आ गए थे।

बीजेपी ने उन्हें लुधियाना से ही चुनाव लड़ाया लेकिन कांग्रेस ने लुधियाना की सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। कांग्रेस ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को चुनाव लड़ाया और बेहद नजदीकी मुकाबले में रवनीत सिंह बिट्टू लगभग 21,000 वोटों के अंतर से चुनाव हारे।

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अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद की पेशकश की गई लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया। (Source-FB)

बेअंत सिंह के पोते हैं बिट्टू

रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह ने पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी और उन्हें आतंकवाद का ही शिकार होना पड़ा था।

1995 में पंजाब सचिवालय के बाहर बेअंत सिंह की कार को आतंकवादियों ने बम से उड़ा दिया था। इस भयानक हमले में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

रवनीत सिंह बिट्टू की पहचान पंजाब में आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ खुलकर बोलने वाले नेता की रही है। इसलिए वह कट्टरपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं।

यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि पंजाब एक लंबे वक्त तक आतंकवाद से पीड़ित रहा है। 1980 के बाद पंजाब में आतंकवाद का जो दौर शुरू हुआ, उसमें हजारों हिंदुओं और सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह एक ऐसे नाम थे जिन्होंने पंजाब में आतंकवाद की कमर तोड़ कर रख दी थी।

रवनीत सिंह बिट्टू अपने भाषणों में लगातार पंजाब में शांति की पुरजोर वकालत करते हैं और हिंदू व सिख भाईचारे के समर्थक हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान बाएं से टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी और जनसेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण। (Source-PawanKalyan/FB)

अमृतपाल का किया था खुलकर विरोध

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रवनीत सिंह बिट्टू ने अलगाववादी अमृतपाल सिंह के खडूर साहिब से चुनाव लड़ने को लेकर आवाज उठाई थी। बिट्टू ने कहा था कि फैसला पंजाब के लोगों को करना है क्या वे बेअंत सिंह के परिवार का समर्थन करेंगे, जिन्होंने पंजाब की शांति के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया या फिर अमृतपाल सिंह जैसे लोगों का।

बिट्टू ने कहा था कि जो पंजाब को तोड़ने वाले लोग हैं वे अमृतपाल को जिताने की कोशिश कर रहे हैं और अगर अमृतपाल चुनाव जीत जाता है तो हमें पंजाब छोड़ना होगा। अमृतपाल सिंह ऐसे लोगों को पंजाब में नहीं रहने देगा जो शांति और भाईचारे को पसंद करते हैं।

बताना होगा कि अमृतपाल सिंह को खडूर साहिब लोकसभा सीट से लगभग दो लाख वोटों से जीत मिली है। इसके अलावा इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा को भी इस चुनाव में फरीदकोट सीट से जीत मिली है। ऐसे में कहीं अलगाववाद को फिर से हवा न मिले, शायद यही सोच कर बीजेपी ने सिख चेहरे रवनीत सिंह बिट्टू को यह बड़ा पद दिया है।

हालांकि पंजाब में बीजेपी इस बार कोई भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन उसने अपना वोट प्रतिशत दोगुना किया है। पंजाब में बीजेपी को 18.56 प्रतिशत वोट मिले हैं और यह पिछली बार मिले 9.63 प्रतिशत वोटों से लगभग दोगुना है।

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडा और सीएम नायब सैनी। (Source- FB)

स‍िखों से जुड़ाव द‍िखाने की कोश‍िश, किसानों की नाराजगी बनी है मुसीबत

बीजेपी पिछले कई सालों से लगातार पंजाब में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है लेकिन 2020 में हुए किसान आंदोलन के बाद से ही उसके लिए ऐसा करना बेहद मुश्किल हो रहा है। इस लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के उम्मीदवारों को कई जगहों पर पंजाब में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।

पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार सिख समुदाय के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की है। मोदी पटना साहिब सहित कई गुरुद्वारों में गए हैं और उन्होंने सिर पर पगड़ी बांधकर सिख समुदाय की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है।

2027 के चुनाव पर है नजर

बीजेपी की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उसके पास हिंदू चेहरा सुनील जाखड़ है लेकिन उसे 58% सिख आबादी वाले इस राज्य में एक मजबूत सिख चेहरा भी चाहिए जो हिंदू और सिख समुदाय दोनों में ही लोकप्रिय हो। ऐसे में पार्टी को रवनीत सिंह बिट्टू ही सबसे मुफीद चेहरे लगे और उसने हार के बाद भी उन्हें इतनी अहम जिम्मेदारी दी है।

कांग्रेस से आए एक बड़े नाम अमर‍िंंदर स‍िंंह भी भाजपा में हैं, लेक‍िन वह उम्र और सेहत से जुड़ी समस्‍याओं के चलते सक्र‍िय नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में भी वह सक्र‍िय नहीं थे।

रवनीत सिंह बिट्टू को हारने के बाद भी मंत्री बनाए जाने का पंजाब बीजेपी ने जमकर प्रचार किया है। पार्टी ने कहा है कि पंजाब मोदी के दिल में है। चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब में बीजेपी ने करतारपुर कॉरिडोर बनवाने, चार साहिबजादों का बलिदान दिवस मनाने के मोदी सरकार के फैसले को लोगों के सामने रखा था।

स्मृति ईरानी और हेमा मालिनी। (Source-FB)

शाह ने कहा था- बड़ा आदमी बनाऊंगा

चुनाव प्रचार के दौरान लुधियाना पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि वह लुधियाना वालों से यह अपील करने के लिए आए हैं कि वे बिट्टू को चुनाव जिताएं, उन्हें बड़ा आदमी बनाने का काम मेरा है। अब हार के बाद भी बिट्टू मोदी सरकार में मंत्री बने हैं।

किस राज्य से कितने मंत्री

राज्य2019 में बने मंत्री2024 में बने मंत्रीराज्यों में एनडीए के मंत्रियों का सांसदों के मुकाबले प्रतिशत
उत्तर प्रदेश91130.6
बिहार5826.7
महाराष्ट्र8635.3
गुजरात 3624
कर्नाटक4526.3
मध्य प्रदेश 5517.2
राजस्थान 3428.6
हरियाणा 3360
ओडिशा1315
आंध्र प्रदेश 0314.3
पश्चिम बंगाल2216.7
झारखंड 2222.2
असम 1218.2
तेलंगाना 0225
केरल (एनडीए का एक सांसद लेकिन दो मंत्री बनाए गए)02200

प्रभावशाली जट सिख समुदाय से आते हैं बिट्टू

पंजाब में जट सिख एक ताकतवर समुदाय है और रवनीत सिंह बिट्टू इसी समुदाय से आते हैं। राज्य में जट सिखों की आबादी 25 प्रतिशत के आसपास है। 1966 के बाद से सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है जब पंजाब में जट सिख समुदाय के नेता मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा को उम्मीद है कि राज्य में जट सिख आबादी के बड़े तबके का वोट उसे मिल सकता है।

बड़े नेताओं पर दी तरजीह

रवनीत सिंह बिट्टू को मंत्री बनाए जाने का फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि बीजेपी ने ढाई महीने पहले आए एक नेता को कई बड़े चेहरों पर तरजीह दी है। पंजाब में भाजपा के पास और भी कई बड़े चेहरे हैं। भले ही यह नेता चुनाव हार गए हैं लेकिन रवनीत सिंह बिट्टू से ज्यादा लोकप्रिय और अनुभवी हैं। ऐसे नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर, जाने-माने गायक हंसराज हंस का नाम शामिल है।

पंजाब में बीजेपी के साथ कोई सहयोगी दल भी नहीं है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के साथ उसका गठबंधन टूट चुका है। ऐसे में उसे अकेले ही आगे की लड़ाई लड़नी है।

बिट्टू ने कहा है कि पार्टी ने उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी को बिट्टू को केंद्रीय मंत्री बनाने का 2027 के विधानसभा चुनाव में कितना फायदा मिलता है और बिट्टू पार्टी के इस फैसले पर कितना खरा उतर पाते हैं।

30 सांसद बने कैबिनेट मंत्री

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में 30 कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं।  

दायित्व 20192024
कैबिनेट मंत्री2531
राज्य मंत्री95
राज्य मंत्री2436

36 सांसद फिर से बने मंत्री 

36 सांसद ऐसे हैं जिन्हें मोदी सरकार में दोबारा मंत्री बनने का मौका मिला है। बीजेपी से प्रधानमंत्री समेत 61 नेता मंत्री बने हैं जबकि टीडीपी से दो और जेडीयू से भी दो सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली है। 

20192024
बीजेपी के मंत्री5361
सहयोगी दलों के मंत्री411
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