Dhubri Lok Sabha Chunav 2024: आजादी के बाद से आज तक नहीं बना कोई हिंदू सांसद
लोकसभा चुनाव 2024 में असम की एक ऐसी सीट पर भी वोटिंग होनी है, जहां आजादी के बाद से अब तक एक भी हिंदू लोकसभा का चुनाव नहीं जीता है। इस सीट पर 1971 से 2004 तक कांग्रेस लगातार जीतती रही लेकिन 2009 के बाद से वह भी यहां जीत नहीं दर्ज कर पाई है।
इस सीट का नाम है धुबरी।
धुबरी सीट पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल का मुकाबला कांग्रेस के रकीबुल हुसैन और एजीपी के जावेद इस्लाम से है।
Dhubri Lok Sabha Seat: धुबरी सीट से कब कौन जीता
साल | कौन बना सांसद |
1952 | अमजद अली |
1957 | अमजद अली |
1962 | गयासुद्दीन अहमद |
1967 | जहां उद्दीन अहमद |
1971 | मोइनुल हक चौधरी |
1977 | अहमद हुसैन |
1980 | नुरुल इस्लाम |
1984 | अब्दुल हामिद |
1991 | नुरुल इस्लाम |
1996 | नुरुल इस्लाम |
1998 | अब्दुल हामिद |
1999 | अब्दुल हामिद |
2004 | अनवर हुसैन |
2009 | बदरुद्दीन अजमल |
2014 | बदरुद्दीन अजमल |
2019 | बदरुद्दीन अजमल |
2014 के लोकसभा चुनाव में असम की 14 में से 7 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी जबकि 2019 में वह 9 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन मोदी लहर के बाद भी वह धुबरी लोकसभा सीट पर बदरुद्दीन अजमल के सियासी तिलिस्म को नहीं तोड़ सकी।
Dhubri Congress Rakibul Hussain: धुबरी में फिर से जीतना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस के उम्मीदवार रकीबुल हुसैन भी बड़े कद के नेता हैं और साल 2001 से समागुड़ी विधानसभा चुनाव से जीत दर्ज करते आ रहे हैं। रकीबुल हुसैन को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस ने यह जाहिर किया है कि बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ उसके तेवर बेहद सख्त हैं और वह धुबरी सीट को किसी भी कीमत पर वापस अपने पाले में लाना चाहती है। रकीबुल असम विधानसभा में विपक्ष के उप नेता भी हैं।
राजनीतिक आंकड़े इकट्ठा करने वाली वेबसाइट चाणक्य के मुताबिक धुबरी लोकसभा सीट पर 72.3% मुस्लिम आबादी है।
Badruddin Ajmal Perfume Business: इत्र के बड़े कारोबारी हैं अजमल
बदरुद्दीन अजमल इत्र के बड़े कारोबारी हैं। उनका भारत के अलावा खाड़ी के देशों में भी व्यवसाय है। अजमल के व्यवसाय की प्रमुख कंपनी अजमल परफ्यूम्स का हेड क्वार्टर दुबई में है। मिडिल ईस्ट में उनके 270 रिटेल शोरूम हैं। अजमल की कंपनी के परफ्यूम को 42 देश में एक्सपोर्ट किया जाता है।
इसके अलावा 'अजमल सुपर 40' योजना के जरिये अजमल फाउंडेशन मेडिकल, इंजीनियरिंग और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को वित्तीय सहायता देता है। उनका फाउंडेशन असम में 73 स्कूल भी चलाता है, जहां सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं। अजमल को असम में मुसलमानों का मसीहा भी कहा जाता है।
चुनाव प्रचार के दौरान अजमल कहते हैं कि उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर धुबरी फुलबारी पुल के निर्माण की पैरवी की और यह पुल साउथ असम की अर्थव्यवस्था को बदल देगा।
धुबरी में 11 विधानसभा सीट हैं। इन सीटों के नाम- गोलकगंज, गौरीपुर, धुबरी, बिरसिंग-जरूआ, बिलासीपारा, मनकचर, जलेश्वर, गोलपारा पूर्व, श्रीजंगराम, मंडिया और चेंगा हैं। धुबरी में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बाढ़, कटाव, गरीबी और बाल विवाह का मुद्दा हावी है। यह लोकसभा सीट बांग्लादेश के साथ 142 किलोमीटर लंबा बॉर्डर शेयर करती है।
BJP Muslim Politics: मुस्लिमों को लुभा रही बीजेपी
बीजेपी और कांग्रेस दोनों की कोशिश बदरुद्दीन अजमल को यहां से चुनाव हराने की है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा यहां चुनावी जनसभाएं कर चुकी हैं जबकि एनडीए के उम्मीदवार जावेद इस्लाम के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा खुलकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान हिमंता मुस्लिम मतदाताओं से कहते हैं कि सरकार की योजनाओं में किसी तरह का भेदभाव नहीं है और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का फायदा मिल रहा है। चुनावी रैलियों के दौरान वह तीन तलाक और बहुविवाह पर रोक जैसे कदमों का भी बार-बार जिक्र करते हैं।
इस साल मार्च में मुख्यमंत्री सरमा के उस बयान पर अच्छा-खासा विवाद हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बदरुद्दीन अजमल दोबारा शादी करना चाहते हैं तो उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा कर लेना चाहिए क्योंकि उसके बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी और उन्हें जेल में जाना पड़ेगा।