अंतरिक्ष में फंसीं सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी क्यों है मुश्किल, NASA के पास बचा अब सिर्फ इतने दिन का समय
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (ISS) पर फंस गए हैं। उनकी धरती पर वापसी की उम्मीद एक बार फिर टूट गई है। 6 जून को उन्होंने ISS पर कदम रखा था। इसके बाद उन्हें 13 जून को वापस लौटना था लेकिन बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल में खराबी आ गई। इससे उनकी यात्रा का 22 जून तक टाल दिया गया। 22 जून को भी किसी तकनीकि कारणों से उनका धरती पर वापसी नहीं हो पाई। इसके बाद अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की चिंता बढ़ गई है। इस यान की समस्या अभी तक ठीक नहीं हुई है।
क्यों नहीं हो पा रही वापसी
बता दें कि स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान को उड़ान के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यान के थ्रस्टरों ने पांच बार अचानक काम करना बंद कर दिया है। हीलियम गैस के रिसाव होने से यान का उड़ान भरना जोखिम भरा था। बोइंग का स्टारलाइनर कार्यक्रम वर्षों से सॉफ्टवेयर गड़बड़ियों, डिजाइन समस्याओं से जूझ रहा है। 6 जून को यह यह यान डॉक करने के लिए स्पेस स्टेशन के करीब पहुंचा तो थ्रस्टर फेलियर देखा गया। इस कारण अंतरिक्ष यान स्पेस स्टेशन के करीब तब तक नहीं गया जब तक खराबी ठीक नहीं कर ली गई।
नासा के पास कितना समय बचा
न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर की मुताबिक इन अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए नासा ने अधिक से अधिक 45 दिनों का समय रखा है। इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी को वापस लाने के लिए की ऑन-ग्राउंड इंजीनियर्स की टीम दिन-रात काम पर लगे हैं। नासा के अधिकारियों ने बताया कि स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान का रिटर्न मॉड्यूल आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल से जुड़ा हुआ है। हार्मनी का ईंधन भंडार कम होने के कारण यात्रियों की वापसी एक बड़ी चुनौती है।
नासा के सामने क्या है चुनौती
जिस कैप्सूल में सुनीता विलियम्स सवार हैं उसमें तकनीकि खराबी आ गई है। नासा ने तीन बार मिशन रोकने के बाद बोइंग को अंतरिक्ष में भेजा था। यह बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल की पहली उड़ान है, जिसमें चालक दल के सदस्यों में नासा के दो पायलट शामिल हैं। बता दें कि अंतरिक्ष से धरती पर वापसी काफी जटिल प्रक्रियाओं में से एक है। पृथ्वी के वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान, स्पेसक्राफ्ट 28,000 Km/घंटे की गति से धीमा होना शुरू होता है। रीएंट्री के बाद पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए स्पेसक्राफ्ट की आगे लगी हीट शील्ड को हटाया जाएगा। इसकी रफ्तार को धीमे-धीमे कम किया जाता है। लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 6 किलोमीटर प्रति घंटे रह जाती है।